Amritpal Singh case: पंजाब में दोबारा से अराजकता आती दिख रही है। पंजाब दोबारा से पुराने दौर में जाता दिख रहा है। हजारों की भीड़ हाथों में तलवारे लेकर, बंदूकें लेकर, धारदार हथियार लेकर पुलिस स्टेशन के ऊपर हमला कर देती है और अपने उद्देश्य में सफल होती है।
इस लेख में पढ़िए पंजाब कैसे पुराने दौर में वापस लौटता दिख रहा है।
पंजाब में अराजकता
पंजाब के अजनाला में खालिस्तानी अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) के समर्थकों ने थाने के ऊपर कब्जा करके पुलिसवालों को दौड़ा दिया।
पंजाब में अराजकता ने अपना राज कायम कर लिया है।
अमर देशभक्तों की धरती में ऐसे दृश्य देख कर भारत की एकता और अखंडता के लिए प्रतिबद्ध हर भारतीय का दिल दुखेगा।
आम आदमी पार्टी की सरकार इस उपद्रव के लिए जिम्मेदार है। पंजाब में लॉ एंड आर्डर अब एक खिलौना बन गया है।#Punjab pic.twitter.com/Fz02R48rQG
— Gajendra Singh Shekhawat (मोदी का परिवार) (@gssjodhpur) February 23, 2023
खालिस्तानी अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) के समर्थकों ने पंजाब पुलिस के बैरिकेड तोड़कर पुलिस स्टेशन पर हमला बोला और इसके बाद शुरू हुआ अराजकता का वो दौर जिसकी तस्वीरें देखकर प्रतीत होता मानो पंजाब में कानून नाम की कोई चीज़ है ही नहीं- सबसे पहले जान लेते हैं कि खालिस्तानी समर्थकों की ये भीड़ उग्र कैसे हुई?
पंजाब के अजनाला पुलिस स्टेशन में 16 फरवरी की रात अमृतपाल, लवप्रीत सिंह तूफान और उसके समर्थकों पर चमकौर साहिब के रहने वाले वरिंदर सिंह को किडनैप कर मारपीट करने का मामला दर्ज किया गया। कार्रवाई करते हुए पुलिस ने गुरदासपुर से लवप्रीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया।
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उसके बाद लवप्रीत सिंह की रिहाई के लिए समर्थकों के साथ अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) गुरुग्रंथ साहिब सुशोभित पालकी साहिब के साथ अजनाला पहुंच गया। बड़ी संख्या में अमृतपाल सिंह के करीबी अजनाला पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन करने लगे। इन लोगों की मांग थी कि लवप्रीत सिंह तूफान को तुरंत छोड़ा जाए। इस दौरान हजारों की भीड़ हाथों में तलवार और बंदूकों के साथ नारेबाजी कर रही थी।
पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो समर्थकों ने तलवारें लेकर हमला कर दिया। सभी समर्थक लवप्रीत तूफान की रिहाई की मांग करने लगे और 16 फरवरी को दर्ज FIR वापस देने का दबाव बनाया गया। इसके बाद भगवंत मान की पुलिस खालिस्तानी समर्थकों के सामने झुक गई और लवप्रीत तूफान को कोर्ट में एप्लीकेशन देकर छोड़ दिया।
कौन है अमृतपाल सिंह
अब आपके मस्तिष्क में प्रश्न उठ रहे होंगे कि आखिरकार यह अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) है कौन? जिसने कुछ ही घंटो में एक राज्य की पुलिस को घुटनों पर ला दिया? कौन है अमृतपाल सिंह जिसके सामने पंजाब पुलिस कुछ भी करने की स्थिति में नहीं थी- कौन है अमृतपाल सिंह जो खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाता है लेकिन उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती। अमृतपालक सिंह वो व्यक्ति है जिसका विवादों से पुराना नाता रहा है।
अमृतपाल का जन्म 1993 में अमृतसर जिले की बाबा बकाला तहसील के जल्लूपुर खेड़ा गांव में हुआ था। रिपोर्ट्स के मुताबिक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) 2012 में काम के लिए दुबई गया था। जहां से वो हाल ही में भारत वापस लौटा है। पंजाब में उसके काफी बड़ी संख्या में समर्थक है। अमृतपाल सिंह खालिस्तान की मांग करता है और इसके लिए ही लोगों को भड़काता है।
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अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) जरनैल सिंह भिंडरावाले को अपना आदर्श मानता है और भिंडरावाले की तरह ही पोशाक पहनता है। भिंडरावाले को अपना आदर्श बताने वाले अमृतपाल सिंह का कहना है कि मैं भिंडरावाले के पैरों की धूल भी नहीं हूं। मेरा काम उनके दिखाए गए रास्ते पर चलना है और मैं वहीं कर रहा हूं। दरअसल अमृतपाल सिंह बिल्कुल भिंडरावाले की तरह हाव-भाव भी बनाता है। अमृतपाल के कट्टर भाषणों के चलते एक विशेष वर्ग के बीच वो लोकप्रिय है।
इससे पहले भी अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) पर अपहरण, चोरी समेत कई आरोपों में मामले दर्ज किए गए हैं। हाल ही में खालिस्तानी मूवमेंट को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पंजाब में खालिस्तान समर्थकों पर हमारी नजर है।
इस पर जब अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) से प्रश्न किया गया तो उसने कहा था कि पंजाब का हर बच्चा खालिस्तान की बात करता है। जिसे जो करना है कर ले। हमें इंदिरा गांधी तक न हटा सकी और न ही मोदी या अमित शाह हटा सकता है।
भिंडरावाले की कहानी
जिस भिंडरावाले को अमृतपाल (Amritpal Singh) अपना आदर्श मानता है उसे पंजाब में उग्रवाद को चरम पर पंहुचाने का श्रेय जाता है और उसका नाम इतिहास में एक आतंकी के रुप में दर्ज है। 1980 के दशक में पंजाब में आतंक और अराजकता ने खालिस्तान के नाम पर अपने पैर फैलाए थे, इस आतंक और अराजकता का नेतृत्व कोई और नहीं बल्कि भिंडरावाले ही कर रहा था।
जिस कारण पूरे पंजाब में आंतकवादी गतिविधियां चरम पर थीं। ऑपरेशन ब्लू स्टार भिंडरावाले को ख़त्म करने के लिए ही हुआ था। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपरेशन ब्लू स्टार की मंजूरी दी थी।
उस वक्त जनरैल सिंह भिंडरावाले अपने हथियारबंद गिरोह के साथ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपा हुआ था। उसे काबू करने के लिए भारतीय सेना ने 3 से 6 जून 1984 तक ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया। स्वर्ण मंदिर से भिंडरावाले और उसके साथियों का सफाया करने में सेना को भारी मशक्कत करनी पड़ी थी।
जरनैल सिंह भिंडरावाले की मौत के साथ ऑपरेशन ब्लू स्टार का अंत हुआ। ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ भारत के इतिहास में एक ऐसी घटना थी जिसे इंदिरा गांधी की मौत का मूल कारण माना जाता है। ये वो समय था जब खालिस्तान की मांग उग्र रूप ले चुकी थी और पंजाब हिंसा की आग में जल रहा था।
अब एक बार फिर पंजाब में 80 के दशक जैसे हालातों के उत्पन्न होने का खतरा मंडरा रहा है, आम आदमी पार्टी राज्य में कानून व्यवस्था स्थापित करने में असमर्थ नजर आ रही है। आम आदमी पार्टी का खालिस्तनियों की ओर झुकाव होने की बातें कही जाती रही हैं।
आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता एवं संस्थापक सदस्य कुमार विश्वास ने अपने पुराने अनुभवों और क्षणों को साझा करते हुए पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान अरविन्द केजरीवाल को खालिस्तान चाहने वालों का साथी बताया था।
खालिस्तानियों के लिए सॉफ्ट कॉर्नर
पूर्व आप नेता कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने एक बार मुझसे कहा था कि वे पंजाब के सीएम या खालिस्तान के पीएम बनने का ख्वाब देख रहे हैं। यही नहीं, कुमार ने यह भी बताया कि पंजाब के पिछले चुनाव 2017 में केजरीवाल अपने घर में खालिस्तानी नेताओं के साथ बैठक करते दिखते थे, जिसपर कुमार ने आपत्ति जताई थी पर केजरीवाल अपने मद में चूर थे।
इतना ही नही कुमार विश्वास ने केजरीवाल को सीधी चेतावनी भी दी थी कि वो एक बार कह दें कि मैं खालिस्तान के विरुद्ध हूं। वो एक बार कह दें कि मैं खालिस्तानियों को नहीं पनपने दूंगा- लेकिन केजरीवाल खालिस्तान के विरुद्ध मौन साध लेते हैं।
आज खालिस्तान के समर्थकों को राज्य सरकार का कोई भय नही है। पंजाब में अपराध चरम पर है- दिन दहाड़े लोगों की हत्या कर देने के मामले सामने आ रहे हैं। पिछले नवंबर में ही पंजाब के अमृतसर में हिंदू नेता सुधीर सूरी की सरेआम गोली मारकर हत्या कर देने का मामला सामने आया था।
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हिंदू नेता सुधीर सूरी को अमृतसर में गोपाल मंदिर के बाहर 5 गोलियां मारी गईं थीं। सुधीर सूरी पर AK-47 से बड़ा हमला हुआ था। इस मामले में जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात थी वो यह कि सुधीर सूरी की हत्या पुलिस प्रोटेक्शन में हुई। इस पूरी घटना की जिम्मेदारी कनाड़ा में बैठे खालिस्तानी आतंकी लखबीर लंडा ने ली थी।
आतंकी लखबीर लंडा पाकिस्तान में बैठे आतंकी हरमिंदर सिंह उर्फ रिंदा के साथ पंजाब में आतंकी नेटवर्क चला रहा है। लखबीर लंडा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि सूरी की हत्या हमारे भाईयों ने की है।
आतंकी ने आगे धमकाते हुए यह भी कहा था कि जो सिख कौम या किसी अन्य धर्म के बारे में बुरा बोलते हैं, वे सभी तैयार रहें। सबकी बारी आएगी। सिक्योरिटी लेकर यह न समझें कि वह बच जाएंगे। यह तो अभी शुरुआत है, हक लेना अभी बाकी है।
पंजाब में दिन दहाड़े खालिस्तानियों के द्वारा हत्या कर देना, थाने पर कब्जा कर लेना ये कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो पंजाब के हालातों को बताती हैं। बताती हैं कि भगवंत मान सरकार अपराधियों पर नकेल कसने में असमर्थ है। ऐसे में यदि हालात नहीं सुधरे तो भविष्य में पंजाब उसी पुराने दौर में दोबारा लौट जाए तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए।
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