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“कश्मीर पर कट्टर सोच और खालिस्तानी बड़ा खतरा”, ब्रिटेन की रिपोर्ट और क्या बताती है?

विस्तार से समझिए।

Yogesh Sharma
द्वारा Yogesh Sharma
11 February 2023
in विश्व
0
Britain report warned against anti-India rhetoric over Kashmir and pro-Khalistan extremism

Source- TFI

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ब्रिटेन समीक्षा रिपोर्ट: अब पूरी दुनिया ये मान रही हैं कि इस्लामिक कट्टरपंथ विश्व के लिए बहुत बड़ा खतरा है। हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान कश्मीर का राग अलापकर भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के प्रयास करता रहता है। समय समय पर दुनिया के कई देशों में इस्लामिक कट्टरपंथियों के द्वारा कश्मीर का राग अलापा जाता रहा है। अब कश्मीर के मुद्दे पर मुस्लिमों की कट्टर सोच और खालिस्तानी समर्थकों भी ब्रिटेन के लिए चिंता का विषय बन रहे हैं।

और पढ़ें: ब्रिटेन नहीं इस्लामिक स्टेट ऑफ ब्रिटेन कहिए!

ब्रिटेन की समीक्षा रिपोर्ट

दरअसल, ब्रिटेन की सरकार के द्वारा आतंकवाद को रोकने के लिए बनाई गई योजना की समीक्षा रिपोर्ट पेश की गई है, जिसमें कश्मीर मुद्दे को लेकर देश में बढ़ रहे इस्लामी चरमपंथ को एक बड़ा खतरा बताया गया है। इसके अलावा ब्रिटेन ने खालिस्तान समर्थक उग्रवाद को लेकर भी अपनी चिंता  प्रकट की है। आपको बता दें कि ब्रिटेन समीक्षा रिपोर्ट में मुस्लिम कट्टरवाद को देश के लिए “पहला खतरा” बताया गया है। साथ ही चेतावनी देते हुए सिफारिश की गई है कि इसे रोकने के लिए एक प्रभावी योजना बनाई जाने की आवश्यकता है। ब्रिटेन सरकार की इसी सप्ताह प्रकाशित रिपोर्ट में इसे लेकर चेतावनी जारी की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की बयानबाजी ब्रिटेन में रह रहे मुस्लिम समुदायों की भावना को भड़काती है।

ब्रिटेन समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया कि ब्रिटेन के चरमपंथी समूहों से जुड़े साक्ष्य दिखे हैं। साथ ही कश्मीर में हिंसा का आह्वान करने वाले एक पाकिस्तानी मौलवी के ब्रिटेन में समर्थक देखे गए हैं। ऐसे प्रमाण भी देखे हैं, जो बताते हैं कि कश्मीर से संबंधित उकसावे में ब्रिटेन के इस्लामियों की बहुत रुचि होती है। ऐसा कोई कारण मौजूद नहीं है कि यह मुद्दा ऐसे ही समाप्त हो जाएगा, क्योंकि इस्लामवादी आने वाले वर्षों में इसका लाभ उठाने का प्रयास करेंगे।

और पढ़ें: “जिसने 30 लाख से ज्यादा भारतीयों को भूख से मार दिया”, विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन का नायक क्यों?

इस्लामिस्टों का बढ़ता खतरा

आपको बता दें कि पिछले वर्ष अगस्त माह में एशिया कप के मैच में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया था, जिसके बाद ब्रिटेन में पाकिस्तानी मुस्लिमों ने हिंदुओं पर हमला कर दिया। दो समुदायों के बीच ये विवाद लीसेस्टर शहर में हुआ था। यहां इस्लामिक कट्टरपंथियों ने हिंदुओं को निशाना बनाते हुए उनके घरों में तोड़फोड़ भी की थी। उनके वाहनों को क्षति पहुंचाई थी, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। ब्रिटेन समीक्षा रिपोर्ट में दावा किया गया कि ये हमला सुनियोजित था। लोग हथियार लेकर आए थे, नस्लीय टिप्पणियां कर रहे थे, जान से मारने की धमकियां भी दे रहे थे। इस दौरान वहां पुलिसकर्मी भी मौजूद थे लेकिन वो कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहे थे। इस्लामिस्टों की भीड़ ने मंदिर के ऊपर लगे भगवा ध्वज को फाड़कर फेंक दिया था। इस घटना के बाद लीसेस्टर के मेयर पीटर सोलस्बी ने एक आपातकाल बैठक बुलाई थी। ब्रिटेन में भारत के राजदूत ने हिंदुओं और उनके पूजास्थलों के ऊपर हुए ऐसे हमलों की कड़ी निंदा की थी। इसके साथ ही भारतीय राजदूत ने बयान जारी कर ब्रिटेन सरकार से कार्रवाई की अपील की थी।

ऐसे ही ब्रिटेन में कश्मीर मुद्दे को लेकर कट्टपंथियों के द्वारा प्रर्दशन किए जाने के मामले सामने आ चुके हैं। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को लेकर लंदन में विरोध प्रर्दशन हुए थे। उस दौरान भारतीय उच्चायोग में तोड़फोड़ तक की गई थी। प्रदर्शनकारियों ने उच्चायोग की खिड़कियों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और खलिस्तान के झंडे और तख्तियां लेकर कहा था कि कश्मीर में गोलीबारी बंद करों, कश्मीरियों की घेराबंदी बंद करों, कश्मीर पर कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र का समय आ गया, कश्मीर में युद्ध अपराध बंद करो।

तब प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे ब्रिटिश सांसद लियाम बर्न ने कहा था कि आप एक सांसद को मौन रखने का प्रयास कर सकते हैं, लेकिन मगर आप लोगों को चुप नहीं करा सकते। हम अपने शहरों की गलियों में प्रदर्शन करते रहेंगे। ऐसा तब तक करते रहेंगे जब तक संयुक्त राष्ट्र कश्मीरी लोगों को न्याय नहीं देता। यह विचार की मामला दो पक्षों का है, अब मर चुका है। अब बहुपक्षीय समाधान का समय है।

और पढ़ें: तुष्टीकरण की राजनीति का परिणाम – ब्रिटेन के बाद अब ऑस्ट्रेलिया में काफी तेजी से पैर पसार रहा इस्लाम 

खालिस्तान समर्थक भी कम खतरनाक नहीं

कश्मीर के मुद्दे पर जिस तरह मुस्लिम कट्टरपंथ को चेताया गया है ठीक उसी तरह खालिस्तान समर्थकों को लेकर भी चेतावनी जारी की गई है। ब्रिटेन समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन के सिख समुदायों में पैदा हो रहे खालिस्तान समर्थक चरमपंथ के प्रति भी सावधान रहना चाहिए। ब्रिटेन में सक्रिय खालिस्तान समर्थक समूहों की एक छोटी संख्या की ओर से यह झूठ फैलाया जा रहा है कि सरकार सिखों को परेशान करने के लिए भारत में अपने समकक्ष के साथ मिलीभगत कर रही है। इसमें कहा गया कि ऐसे समूहों के बयान भारत में खालिस्तान समर्थक आंदोलन के दौरान की गई हिंसा का महिमामंडन करते हैं। वर्तमान में अभी खतरा कम है, लेकिन ये खतरनाक हो सकते हैं।

आपको बता दें कि खालिस्तानी समर्थक अपने एजेंडे के तहत दुनियाभर में अपने नेटवर्क का प्रचार प्रसार करते हैं। 1980 के दशक में सिखों के लिए अलग खालिस्तान की मांग उठी थी और जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में खालिस्तान आंदोलन ने जोर पकड़ा था। जिस कारण पूरे पंजाब में आतंकवादी गतिविधियां चरम पर थीं। भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर तक को बंधक बना लिया। इस प्रकरण से निपटने के लिए पहले इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाकर भिंडरावाले को मरवाया और फिर अलगाववादियों और भिंडरावाले के समर्थकों ने 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। भिंडरावाले टाइगर फोर्स ऑफ खालिस्तान, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान टाइगर फोर्स, खालिस्तान कमांडो फोर्स, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स जैसे कई संगठनों से जुड़े लोग खालिस्तान आंदोलन को हवा देते रहते हैं।

पंजाब को भारत से अलग करने की मांग को लेकर ब्रिटेन, कनाडा समेत कई अन्य देशों में जनमत संग्रह का आयोजन तक किया गया। इस जनमत संग्रह को  Khalistan Referendum नाम दिया गया। नवंबर 2021 में ब्रिटेन में जनमत संग्रह कराने का ड्रामा किया गया था। वो बात अलग है कि यह आयोजन पूरी तरह से फ्लॉप साबित हो गया था। इस जनमत संग्रमह का विरोध भारत सरकार द्वारा भी किया गया था। पंजाब के अलगाव पर जनमत संग्रह कराने को लेकर प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस को अनुमति देने के लिए भारत ने लंदन को अपनी गंभीर चिंताओं से अवगत कराया था। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने स्पष्ट कर दिया था कि मोदी सरकार ब्रिटेन में भारतीय प्रवासियों के एक छोटे से हिस्से को हथियार बनाकर किसी तीसरे देश के मामलों पर जनमत संग्रह की अनुमति देने का कड़ा विरोध करती है। भारत और ब्रिटेन रणनीतिक साझेदारों के रूप में हिंद-प्रशांत पर समान विचार साझा करते हैं। भारत ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि पंजाब में पूर्ण शांति है और कट्टरपंथी सिख तत्व हर पांच साल में होने वाले विधानसभा या लोकसभा चुनावों के दौरान एक प्रतिशत भी वोट पाने में विफल रहे हैं।

मोदी सरकार ने अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि ब्रिटिश सरकार अपने अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए सिख प्रतिबंधित समूहों द्वारा भारतीय प्रवासी के खुले कट्टरपंथ से आंखें मूंद रही हैं। बता दें कि सिख फॉर जस्टिस 2019 से भारत में प्रतिबंधित संगठन है और इसके नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को आतंकवादी घोषित किया गया है।

खबरें ऐसी भी आती हैं कि भारत से अलग एक देश की मांग करने वाले खालिस्तानी आंदोलकारियों को पाकिस्तानी ISI का समर्थन मिलता है। वर्ष 2019 में सेना के पूर्व अधिकारी ने दावा किया था कि खालिस्तानी आंदोलन को ब्रिटेन और कनाडा में ISI का समर्थन प्राप्त है और वह इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। दावा ये भी किया था कि इन देशों में कुछ गुरुद्वारे खालिस्तान आंदोलन के सूत्रधार हैं और वह इसे जीवित रखने के लिए भारी धन का उपयोग कर रहे हैं।

और पढ़ें: अमेरिका से ब्रिटेन तक: डोभाल ने सूचना युद्ध के विरुद्ध अंतिम लड़ाई का शंखनाद कर दिया है

जब भारत में तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन चल रहा था उस वक्त भी लंदन में भारतीय दूतावास के सामने किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे प्रदर्शकारियों ने खालिस्तानी का झंडा फहराया था। इस दौरान मोदी सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी भी की गई थी। इस घटना सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे सामने आई थीं, जिसमें प्रदर्शनकारी खालिस्तानी झंडा फहराते हुए दिखाई दे रहे थे।

साल 2022 में ब्रिटेन के तत्कालीन पीएम बोरिस जॉनसन जब भारत दौरे पर आए थे तो उन्होंने खालिस्तान अलगावादियों के लेकर बड़ा बयान दिया था। ब्रिटेन में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा था कि हमारा बहुत मजबूत दृष्टिकोण है कि हम दूसरे देशों को धमकी देने वाले चरमपंथी समूहों को बर्दाश्त नहीं करते हैं, भारत को धमकी देने वालों को बर्दाश्त नहीं करते हैं। उन्होंने कहा था कि हमने भारत की सहायता के लिए एक चरमपंथी विरोधी कार्यबल का गठन किया है।

इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि ब्रिटेन में बैठे कट्टरपंथी भारत विरोधी विचारधारा को जमकर हवा दे रहे हैं, जिसके चलते अब ब्रिटेन के द्वारा इन कट्टरपंथियों को लेकर बड़ी चेतावनी जारी की गई है। ब्रिटेन ने ये कदम ऐसे समय उठाया गया है जब हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल वहां के दौरे पर गए थे। वहीं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने से पहले भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने घोषणा की थी कि अगर वे प्रधानमंत्री बनते हैं, तो इस्लामी चरमपंथ के विरुद्ध कड़ा एक्शन लेंगे। सुनक ने इस्लामी चरमपंथ को ब्रिटेन के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा था कि आतंकवाद रोधी कानूनों को और अधिक मजबूत करेंगे।

आज ब्रिटेन अपने देश में बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों के विरुद्ध खुलकर बोल रहा है, इसके विरुद्ध आवाज उठा रहा है। क्योंकि ब्रिटेन भी वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती ताकत से भली भांति परिचित हैं। ब्रिटेन भी भारत के साथ अपने संबंध खराब नहीं करना चाहता। यही कारण है कि पहले भले ही ब्रिटेन में कट्टरपंथियों ने भारत विरोधी गतिविधियों को खूब हवा दिया गया हो और खालिस्तानियों ने यहां जनमत संग्रह जैसे आयोजन भी कर लिए हो। परंतु अब वहीं ब्रिटेन कट्टरपंथियों के बढ़ते खतरे से सचेत हो रहा है।

 

और पढ़ें: कनाडा, ब्रिटेन के बाद अब ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानियों के निशाने पर हिंदू मंदिर

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Tags: कश्मीरखालिस्तानीब्रिटेनब्रिटेन की समीक्षा रिपोर्ट
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Yogesh Sharma

Columnist, TFI Media. Thinker and Creative Writer.

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