“अगर अबकी गलती हुई, तो यूनिट बंद कर दूंगा, और तुझे निष्कासित!”
“सर व्हाट इज़ निष्कासित?”
“टर्मिनेशन! मिनिस्टर से ट्रांसलेटर बना दिया है!”
वेबसीरीज़ देखते हैं और यदि अब तक यह प्रसंग नहीं देखा तो आपने बहुत कुछ नहीं देखा है। यह संवाद अमेजॉन प्राइम पर आई शाहिद कपूर और विजय सेतुपति की वेबसीरीज़ फ़र्ज़ी का है। सिनेमा जगत को छोड़िए, ऐसा प्रतीत होता है कि OTT प्लेटफॉर्म में बेहतर कंटेट देने की होड़ मची हो। अमेजॉन प्राइम पर आई, फ़र्जी इसका उत्कृष्ठ उदाहरण है।
इस लेख में पढ़िए कि कैसे विजय सेतुपति ने हिंदी वेबसीरीज़ फ़र्जी करके दिखा दिया कि वो हिंदी फिल्म उद्योग में लंबी पारी खेलने के लिए तैयार हैं।
फर्जी वेबसीरीज़ में विजय सेतुपति का कमाल
फ़र्जी वेबसीरीज़ में हम विजय सेतुपति की भूमिका की बात करेंगे लेकिन उससे पहले आपको एक आवश्यक जानकारी दे दें कि “फ़र्ज़ी” विजय सेतुपति का प्रथम प्रोजेक्ट नहीं था? अब इसे दर्शकों का सौभाग्य कहें या आमिर खान की बदकिस्मती, जिस रोल के पीछे “लाल सिंह चड्ढा” में नागा चैतन्य का उपहास उड़ाया गया था, वह पहले विजय सेतुपति को ऑफर किया गया था, और बात भी आगे बढ़ चुकी थी।
और पढ़ें: बॉलीवुड में रीमेक तो सभी बनाते हैं, चलते हैं केवल अजय देवगन
परंतु विजय को प्रतीत हुआ कि उनका रोल बहुत बड़ा नहीं है और वे उसके लिए अपनी फिटनेस से भी कोई ‘क्रांतिकारी समझौता’ नहीं करना चाहते थे। अब सत्य जो भी हो, परंतु इस बात को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि विजय सेतुपति ने इस फिल्म को न करके अपने दर्शकों एवं भारतीय सिनेमा पर बहुत बड़ा उपकार किया, अन्यथा ये फिल्म इनके करियर का क्या हाल करती, ईश्वर ही जाने।
इसके अतिरिक्त ‘अंधाधुन’ के रचयिता श्रीराम राघवन के साथ इन्होंने “मेरी क्रिसमस’ नामक फिल्म पर भी काम किया, जो आधिकारिक रूप से इनका फिल्मी डेब्यू होता। परंतु किन्ही कारणों से ये फिल्म दिसंबर 2022 में नहीं प्रदर्शित हो पाई, और “फ़र्जी” उनका आधिकारिक डेब्यू प्रोजेक्ट बना।
परंतु इस प्रोजेक्ट को देखकर लगता नहीं कि ये विजय सेतुपति का प्रथम हिन्दी प्रोजेक्ट है। अब उन्होंने कोई खास हिन्दी नहीं बोली, और कई दृश्यों में वे स्थानीय भाषाओं, विशेषकर तमिल भी बोलते दिखाई दिए, परंतु जितनी बार भी उन्होंने हिन्दी में संवाद किया, वे अन्य अभिनेताओं की भांति असहज नहीं लगे।
आजकल बहुभाषीय सिनेमा का दौर चल रहा है और कई अभिनेता अपने आप को देशभर में लोकप्रिय बनाने के लिए हिन्दी सिनेमा में भी हाथ आजमाते हैं, और स्वयं अपने किरदार की डबिंग भी करते हैं।
और पढ़ें: आँखों देखी: संजय मिश्रा की वो मास्टरपीस जिससे आज भी कई अनभिज्ञ हैं
परंतु सभी इस खेल में सफल नहीं हो पाते। बहुत कम ही ऐसे स्टार हैं, जो रजनीकान्त और कमल हासन की भांति हिन्दी ऑडियंस में पकड़ बना पाते हैं, यदि जूनियर एनटीआर के अपवाद को छोड़ दें तो।
वास्तविक हीरो हैं विजय सेतुपति
एक हीरो बनने के लिए आपको क्या क्या चाहिए? आज के परिप्रेक्ष्य, विशेषकर बॉलीवुड की दृष्टि से देखें, तो एक हीरो बनने के लिए अच्छे लुक्स होने चाहिए, डांस में पीएचडी होनी चाहिए, शरीर का वास्तुशिल्प ऐसा हो कि आप “ग्रीक गॉड” से कम न लगें और अगर किसी फिल्मी परिवार से कनेक्शन हो तो सोने पे सुहागा!
परंतु विजय सेतुपति के लिए ये सब कतई मायने नहीं रखता। इन्हे तमिल सिनेमा प्रेमी यूं ही “मक्कल सेल्वन” की उपाधि नहीं दिए हैं। विश्वास नहीं होता तो विक्रम में इनके किरदार की एंट्री देखिए।
ये फिल्म के प्रमुख विलेन थे, परंतु जब इनकी एंट्री हुई, तो वो सीटियाँ और तालियाँ बजी कि स्वयं कमल हासन का किरदार एक बार को असहज हो जाए, और यदि फिल्म के अंत में रोलेक्स यानि सूर्या का कैमियो न होता, तो आधे से अधिक लाइमलाइट यही उड़ा ले जाते।
तो इन सबका फ़र्जी से क्या कनेक्शन? जैसा कि हमने पूर्व में कहा था, इस सीरीज़ के एक्स फैक्टर एक नहीं दो है – मिनिस्टर पवन गहलोत के रूप में जाकिर हुसैन और एसटीएफ अफसर माइकल वेदनयगम के रूप में विजय सेतुपति।
माइकल और मंत्री गहलोत के बीच की वार्तालाप आपको हँसाएगी भी और ये भी बताएगी कि जीवन में सब कुछ ब्लैक एण्ड व्हाइट नहीं होता।
इतना ही नहीं, अन्य वेब सीरीज़ की भांति विजय सेतुपति के किरदार को प्रोफेशनल फ्रंट पर दृढ़निश्चयी परंतु निजी जीवन में असहाय नहीं दिखाया गया, जैसा लगभग समान थीम पर पूर्व के कई वेब सीरीज़ में हुआ है।
और पढ़ें: भारत के सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकारों में से एक ब्रह्मानन्दम की अद्वितीय कथा
विजय का किरदार माइकल अनेक समस्याओं से जूझता है, परंतु किसी को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता। अपने निजी जीवन से जुड़े एक प्रसंग पर जब उससे अदालत में प्रश्न पूछे जाते हैं, तो वह जो उत्तर देते हैं, उसे सुनकर आप भी बोल उठोगे, कुछ तो बात है इस व्यक्ति में!
ऐसे में निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि विजय सेतुपति अब हिंदी फिल्म उद्योग में भी झंडे गाढ़ने के लिए निकल पड़े हैं। “मेरी क्रिसमस” तो है ही और साथ ही “जवान” में वे शाहरुख खान को चुनौती देते हुए दिखाई पड़ेंगे। बॉलीवुड के लिए भले ही विजय सेतुपति हीरो मैटेरियल नहीं हैं लेकिन उन्होंने अपनी प्रतिभा को अस्त्र बनाया है और ऐसे में उन्हें हिंदी फिल्म उद्योग में भी छाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।