मुस्लिम तुष्टीकरण के चक्कर में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में रहते हुए वक्फ संपत्ति का जमकर बंदरबांट किया। मुस्लिमों से वोट लेने के लिए कांग्रेस ने देश की संपत्ति वक्फ के नाम कर दी, लेकिन इस षड्यंत्र के 9 वर्ष के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने इस पर विराम लगा दिया है।
इस लेख में आप पढ़ेंगे कि कैसे दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जाए गईं 123 संपत्तियों को केंद्र सरकार ने स्वतंत्र कराने का निर्णय ले लिया है।
संपत्तियों को अपने अधिकार में लेगी केंद्र सरकार
हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) से जुड़ी 123 संपत्तियों को अपने अधिकार में लेने का निर्णय किया है। दिल्ली वक्फ बोर्ड की इन संपत्तियों में मस्जिद, कब्रिस्तान और दरगाह तक सम्मिलित हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ बोर्ड की यह संपत्तियाँ केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के कब्जे में रहेंगी। इस मामले में, उप भूमि और विकास अधिकारी ने 8 फरवरी, 2023 को वक्फ बोर्ड को एक पत्र भेजा था। इस पत्र में वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को सभी मामलों से ‘मुक्त’ करने के बारे में कहा गया है।
दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति में इस कब्जे को लेकर आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के भूमि एवं विकास कार्यालय ने कहा है कि रिटायर्ड जस्टिस एसपी गर्ग की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति बनाई गई थी।
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इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में गैर-अधिसूचित वक्फ संपत्तियों के मुद्दे पर कहा गया है कि उसे दिल्ली वक्फ बोर्ड से कोई प्रतिनिधित्व या आपत्ति प्राप्त नहीं हुई है। भूमि एवं विकास कार्यालय के पत्र के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने इस समिति का गठन किया था।
ये इसलिए भी रोचक निर्णय है, क्योंकि आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री को कोई और नहीं, पूर्व राजनयिक हरदीप सिंह पुरी हैं। पिछले वर्ष सीएनएन के साथ अपने साक्षात्कार के लिए जितना महोदय सुर्खियों में रहे थे, उतना ही सुर्खियों में वह DDA के कुछ ब्लॉक रोहिंग्याओं को अलॉट करने को लेकर रहे थे, जिस पर काफी बवाल मचा था और NDA सरकार को स्वयं इस कदम से मुंह मोड़ने पर विवश होना पड़ा।
अमानतुल्लाह खान का राग
वहीं दूसरी ओर केंद्र के इस फैसले पर वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान ने कहा है कि वह सरकार को इन संपत्तियों पर कब्जा नहीं करने देंगे। दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को जब्त करने को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) विधायक और बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान (Amanatullah Khan) ने कहा है कि वह संपत्तियों पर कब्जा नहीं होने देंगे।
अमानतुल्लाह ने ट्वीट कर कहा है, “अदालत में हमने 123 वक्फ संपत्ति पर पहले ही आवाज उठाई है। उच्च न्यायालय में हमारी रिट याचिका संख्या 1961/2022 लंबित है। कुछ लोगों द्वारा इस बारे में झूठ फैलाया जा रहा है। इसका सबूत आप सबके सामने है। हम वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर किसी भी तरह का कब्जा नहीं होने देंगे।”
अमानतुल्लाह खान ने इस परिप्रेक्ष्य में केंद्रीय मंत्रालय के उपभूमि और विकास अधिकारी को दिए जवाब में कहा है कि दो सदस्यीय समिति के गठन के विरुद्ध दिल्ली वक्फ बोर्ड ने जनवरी 2022 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मुस्लिम इन 123 संपत्तियों का उपयोग कर रहे हैं। वक्फ बोर्ड की तरफ से नियुक्त प्रबंध समिति या मुतवल्ली इन सभी संपत्तियों की देखरेख करते हैं।
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परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। इस कार्रवाई की आवश्यकता ही क्यों आन पड़ी? यह सभी संपत्तियाँ कॉन्ग्रेस सरकार के दौरान दिल्ली वक्फ बोर्ड को दे दी गईं थीं। इन संपत्तियों को दिल्ली वक्फ बोर्ड को देने को लेकर ‘विश्व हिंदू परिषद’ ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
अगस्त 2014 में हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए मंत्रालय ने हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एसपी गर्ग की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने ही दिल्ली वक्फ बोर्ड के सभी हित धारकों और प्रभावितों के पक्ष को सुनते हुए रिपोर्ट जारी की है।
इसके अतिरिक्त दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना ने गृह मंत्रालय से दिल्ली वक्फ बोर्ड के पूर्व सीईओ और आईएएस अधिकारी एसएम अली के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की सिफारिश की है। एसएम अली पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान के कहने पर अवैध प्रस्तावों को मंजूरी दी थी।
उपराज्यपाल ने की कार्यवाही की अपील
‘इंडिया टुडे’ की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना ने सीसीएस (सीसीए) 1965 रुलिंग के नियम 16 के अंतर्गत केंद्रीय गृह मंत्रालय से दिल्ली वक्फ बोर्ड के पूर्व सीईओ और आईएएस अधिकारी एसएम अली के खिलाफ कार्यवाही करने की सिफारिश की है।
दरअसल, एसएम अली पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ रहते हुए, नए सीईओ और संविदा कर्मियों की नियुक्ति मामले में अनियमितता बरतने और नियमों का उल्लंघन करने के आरोप लगे हैं। इस मामले में बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान के खिलाफ चल रही सीबीआई की जाँच रिपोर्ट में सामने आया है कि एसएम अली ने वक्फ वॉर्ड के सीईओ रहते हुए बिना किसी आपत्ति के अवैध प्रस्तावों को मंजूरी दे दी थी।
यही नहीं, उन्होंने दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ पद के लिए प्रकाशित विज्ञापन में दिल्ली वक्फ अधिनियम और नियम का उल्लंघन किया गया था। साथ ही, नए सीईओ के रूप में महबूब आलम की नियुक्ति को मंजूरी देते हुए औपचारिक तौर पर अपना पद भी महबूब आलम को सौंप दिया था।
आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान दिल्ली वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले में गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधी शाखा (ACB) ने कहा था कि अमानतुल्लाह खान के खिलाफ बेहद गंभीर आरोप हैं।
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इन आरोपों के चलते उन्हें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान खान कथित तौर पर कई अनियमितताओं में शामिल थे। अभी तो हमने दिल्ली के विभिन्न सांप्रदायिक हिंसाओं में इनकी भूमिका पर प्रकाश भी नहीं डाला है।
अमानतुल्लाह खान पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए वित्तीय गड़बड़ी, वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में किरायेदारी का निर्माण, वाहनों की खरीदी में भ्रष्टाचार और दिल्ली वक्फ बोर्ड में सेवा नियमों में उल्लंघन करते हुए 33 लोगों की नियुक्ति के आरोप है।
इन तमाम आरोपों को लेकर ही एंटी करप्शन ब्यूरो ने साल 2020 में अमानतुल्लाह खान के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) के विभिन्न प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया था। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की मनमानी पर केंद्र सरकार ने लगाम लगाने की ठान ली है, और अब चाहे अमानतुल्लाह खान हो या उसके आका, वह किसी की नहीं सुनेगी।
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