एनडीटीवी में कुछ वक्त पहले तक एक एंकर हुआ करते थे जिनका नाम था रवीश कुमार। उनकी लोकप्रियता वामपंथियों में कितनी अधिक थी ये हमे बताने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इससे पूरा ब्रह्मांड परिचित है।
रवीश कुमार बने जोकर
कॉंग्रेस नेता के भाई और दुनिया के इकलौते निष्पक्ष पत्रकार रवीश कुमार की पत्रकारिता कैसी पत्रकारिता करते थे इससे हर कोई भली-भांति परिचित है। जिन लोगों को थोड़ी बहुत शंका थी वो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर रवीश कुमार ने दूर कर दी।
परंतु ये सभी बातें तो पुरानी हो गईं, अब रवीश कुमार के केस में नया अपडेट यह है कि रवीश कुमार अब जोकर बन गए हैं। जोकर तो आप जानते ही होंगे- जो सभी को हंसाता रहता है। अजीब-अजीब हरकते करके। तो वही अब रवीश कुमार कर रहे हैं।
रवीश कुमार आजकल कभी सरसों के खेत से लाइव करने लगते हैं और कभी राह चलते मौज मस्ती करने लग जाते हैं। यह तो चलिए ठीक है, चल जाता है लेकिन वीडियो बनाते-बनाते घंटी लेकर बजाने लगना क्या है? और कभी गाजियाबाद की हिंडन नदी पर कैमरा और कैमरामेन लेकर हिंडनबर्ग का कार्यालय ढूँढने पहुंच जाते हैं। एक वीडियो में रवीश कुमार दो पीले रंग घंटी लेकर ये जांचने का प्रयास कर रहे हैं कि कौन-सी अच्छी बज रही है।
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रवीश कुमार के द्वारा वीडियो में इस तरह के कारनामे करना समझ से परे हैं। अडानी के द्वारा एनडीटीवी खरीदे जाने के बाद रवीश कुमार के व्यवहार में अजीबो-गरीब परिवर्तन आया है। वे लगातर अजीबो-गरीब हरकतें और बातें कर रहे हैं।
रवीश कुमार की खोजी पत्रकारिता को देखने के बाद आपको ये भी पता चलेगा कि हिंडनबर्ग का दफ्तर दिल्ली से सटे गाजियाबाद की हिंडन नदी के किनारे भी है। यह हम नहीं ये इकलौते निष्पक्ष पत्रकार राजा रवीश कुमार कह रहे हैं।
हिंडन नदी के किनारे पहुंचे रवीश कुमार
मैग्सेसे पुरस्कार विजेता रवीश कुमार हिंडन नदी के किनारे हिंडनबर्ग का कार्यालय देखने पहुंच गए और हिंडन नदी की सीढ़ियों से नीचे उतरते समय एंडरसन-एंडरसन चिल्लाने लगे।
इस दौरान रवीश कुमार कई बार आवाज देने के बाद कहते हैं कि हम एंडरसन को पुकार रहे है लेकिन एंडरसन बाहर नहीं आ रहे हैं। इसके बाद रविश कुमार अंग्रेजी में कहते हैं “वेयर आर यू एंडरसन”, इसके बाद रविश कुमार ने कहा कि हम अंग्रेजी भी बोल रहे हैं लेकिन एंडरसन बाहर नहीं आ रहे हैं।
इन घटनाओं को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि एनडीटीवी से नौकरी चले जाने के बाद रवीश कुमार जोकर बन गए हैं- जो अपना मजाक बनवाने पर उतारू है। रवीश कुमार ने एनडीटीवी में नौकरी चली जाने के बाद अपने कई बेरोजगार साथियों को इंटरव्यू भी दिए थे।
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इस दौरान दुनिया के इकलौते पूर्व निष्पक्ष और जीरो टीआरपी एंकर रवीश कुमार ने यह प्रचारित किया कि गौतम अडानी ने एनडीटीवी इसीलिए खरीदा जिससे कि उनको बेरोजगार किया जा सके। हालांकि यह और बात है कि बाद में रवीश कुमार के पूर्व मालिक रॉय दंपत्ति ने ही उनके झूठे प्रचार की पोल खोलकर रख दी।
एक इंटरव्यू में रवीश कुमार ने कहा था कि लोग सरसों का तेल, रुपया, पैसा, लैपटॉप सब कुछ लेकर देश की मीडिया के कथित इकलौते स्तंभ रवीश कुमार के पास पहुंच रहे हैं। सरसों का तेल? हां सही सुना आपने सरसों का तेल और घी भी।
पुलिस वाले सड़कों पर रवीश कुमार को सलामी दे रहे हैं। देश को टीवी नहीं देखने की सलाह देने वाले रवीश कुमार के सपनों में भी टीवी ही आ रहा है, स्टूडियो की लाइट आ रही है।
रवीश कुमार ने जगह-जगह जाकर अपनी लोकप्रियता का व्याख्यान किया। रविश कुमार को लगता है कि भारतीय पत्रकारिता का मैं ही एक मात्र चिराग हूं। कभी NDTV में चिठ्ठियां छांटने की नौकरी करने वाले भूतपूर्व पत्रकार रवीश कुमार आत्ममुग्ध हुए जा रहे हैं।
अपनी लोकप्रियता का व्याख्यान करते थक नहीं रहे हैं। रवीश कुमार को कुछ वामपंथी सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करते हैं लेकिन ये तो सब जानते ही हैं कि रवीश कुमार की पत्रकारिता पर टीवी और यूट्यूब पर कितनी अच्छी और सच्ची है। नेताओं के साथ फोटो खिंचवाने वाले पत्रकारों को गोदी मीडिया कहने वाले रवीश कुमार को जब स्वयं मौका मिला तो कूदकर राहुल की भारत जोड़ों यात्रा में जा पहुंचे और वहां राहुल गांधी के साथ ख़ूब तस्वीरें खिंचवाईं।
घंटी बजाते रवीश कुमार
अब बात कर लेते हैं कि एनडीटीवी के पूर्व एंकर रवीश कुमार कैसे एक जोकर बन गए हैं। रवीश कुमार का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में रवीश कुमार दो घंटिया लेकर बजा रहे हैं।
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बार-बार वो घंटिया लेकर बजाते हुए दिख रहे हैं। सोशल मीडिया पर जब यह वीडियो आया तो लोगों को लगा कि चलो रवीश कुमार नए-नए यूट्यूबर बने हैं अपनी क्रिएटिविटी दिखाने के मौके तलाश रहे होंगे।
बात यहीं रुक जाती तब भी ठीक था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रवीश कुमार ने अपने जोकरपने के स्तर को और विकसित किया। हिंडनबर्ग के कार्यालय की खोज में महोदय हिंडन नदी पहुंच गए। हिंडन नदी पर जाकर चिल्लाने लगे।
हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी के संस्थापक का नाम लेकर चिल्लाने लगे। इसके बाद जो होना था, वही हुआ। सोशल मीडिया पर लोग रवीश की हिंडन नदी की क्लिप को शेयर करने लगे। इसके साथ ही लोग लिखने लगे कि रवीश कुमार ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है।
इस बात को यदि स्वीकार नहीं भी किया जाए कि रवीश कुमार मानसिक तौर पर दिवालिया हो चुके हैं तो इस बात को स्वीकार करने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए कि रवीश कुमार अब लोगों के लिए जोकर बन गए हैं।
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