संसद की कार्यवाही के दौरान आए दिन कुछ न कुछ बवाल होता रहता है किंतु इसमें नया क्या है, बवाल तो पहले भी होता था। अब अंतर बस इतना हो गया है कि पहले बवाल मुद्दों पर होता था और विपक्ष सरकार का विरोध करते हुए देश हित को ध्यान में रखता था, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है क्योंकि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। किसी भी साधारण सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर ऐसे पेश किया जाता है मानों देश बर्बाद हो गया। अहम बात यह भी है कि संसद में विमर्श की जगह अब बदतमीजी ने ले ली है जिसके चलते आवश्यक है कि संसद में नौटंकी करने वाले नेताओं के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
विपक्षी दलों की नौटंकी
इस समय अडानी मुद्दे पर संसद में विपक्षी दलों की नौटंकी जारी है जिसका यथार्थ से कोई सरोकार ही नहीं हैं। वहीं कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के सांसद अपनी मर्यादा तोड़ रहे हैं और सदन में सभापतियों तक का अपमान कर रहे हैं। हाल में समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने सदन में बदतमीजी की। वे सदन की कार्यवाही के दौरान वेल में आ गईं और चेयर पर बैठे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ उंगली उठाकर कुछ बोलती हुई नजर आई जो दिखाता है कि जया बच्चन कितनी सभ्य हैं।
राज्यसभा सांसद जया बच्चन का व्यवहार शर्मनाक है। pic.twitter.com/5lQxrCO2JF
— Ajay Sehrawat (मोदी का परिवार) (@IamAjaySehrawat) February 11, 2023
ये वही जय बच्चन हैं जिन्होंने एक बार पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू को लेकर बयान दिया था तो अभिनेता अमिताभ बच्चन इतना ज्यादा डर गए थे कि यह तक कह दिया था कि वो (नेहरू-गांधी परिवार) राजा हैं और हम रंक हैं। आज वही अमिताभ बच्चन आए दिन अपनी पत्नी की अभद्रता पर चूं तक नहीं करते हैं। जया बच्चन का यह वीडियो वायरल हुआ तो उनकी आलोचना भी हुई और मजाक भी उड़ाया गया।
Reminded of the occasion when Jaya Bachchan commented harshly on Nehru clan. UPA was in power.
Amitabh Bachchan rushed to apologise and issued a hand-wringing statement that ended with “वो राजा हैं, हम रंक हैं।” (They are rulers, we are commoners.)
pic.twitter.com/4PTgffVC5I— Kanchan Gupta (Hindu Bengali Refugee)🇮🇳 (@KanchanGupta) February 12, 2023
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कुछ इसी तरह हाल ही में लोकसभा की कार्रवाई के दौरान टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सदन की मर्यादा भंग की थी और गाली तक का प्रयोग कर दिया था जो कि आलोचनात्मक था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सदन में ये विपक्षी नेता यह भूल चुके हैं कि वे अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, बल्कि उनकी नौटंकियां ऐसी हैं मानों कोई अपनी निजी लड़ाई कर रहा है। इसके चलते विपक्ष की प्रासंगिकता पर अब खतरा मंडराने लगा है क्योंकि लोकतंत्र के लिए सशक्त और सजग विपक्ष का होना अत्यंत आवश्यक है।
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जब अटल बिहारी वाजपयी विपक्ष में थे
एक वक्त था जब पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपयी विपक्ष में थे तब सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह विपक्ष की मजबूत आवाज माने जाते थे लेकिन अब यदि विपक्ष के सशक्त नेता की बात की जाए तो लोगों को नाम याद ही नहीं आएगा।
मोदी सरकार जनहित को लेकर सबसे अधिक सजग रहती है ऐसे में विपक्ष का सशक्त न होना इतना नहीं खल रहा है लेकिन सोचिए कि यदि किसी और दल की सरकार के वक्त विपक्ष का रवैया कुछ ऐसा ही होता तो कैसे देश तानाशाही की ओर चल पड़ता था। विपक्षी दलों की दिक्कत केवल यह है कि उन्हें पता ही नहीं है कि आखिर उनका रोल क्या है क्योंकि लगभग 60 सालों में उनकी सक्रिय भूमिका सत्ता में रही है और अब सत्ता जाने के 9 सालों में ही उनकी फड़फड़ाह़ट बौखलाहट में परिवर्तित हो गई है।
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