Pervez Musharraf death: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का दुबई में 79 साल की उम्र में निधन (Pervez Musharraf death) हो गया। वो एमाइलॉयडोसिस नामक बीमारी से पीड़ित थे और लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था। उनके ज्यादातर अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। जनरल परवेज मुशर्रफ दुनिया से तो चले गए लेकिन उन्होंने अपने काले कारनामों से भरी एक सूची छोड़ दी है। वो एक क्रूर, निर्मम, दमनकारी, देशद्रोही और अत्याचारी सैन्य तानाशाह थे। उन्हें देशद्रोह के लिए फांसी तक की सजा सुनाई गई थी।
भारत के खिलाफ खूब षडयंत्र रचे
परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ रहते हुए भारत के खिलाफ खूब षडयंत्र रचे। भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध के दौरान परवेज मुशर्रफ ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख थे। बताया जाता है कि इस युद्ध के बारे में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी जानकारी नहीं दी थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था कि मुशर्रफ ने उन्हें बिना बताए युद्ध को अंजाम दिया था।
हालांकि परवेज मुशर्रफ को अपने मंसूबों में सफलता नहीं मिली और पाकिस्तान को इस युद्ध में नुकसान उठाना पड़ा। जिसके बाद परवेज मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध में भारत से मिली करारी हार का ठीकरा तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर फोड़ दिया और साल 1999 में पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू कर उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था और पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन बैठे।
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देशद्रोही परवेज मुशर्रफ
परवेज मुशर्रफ पहले जनरल थे जिन्हें देशद्रोही करार दिया गया था। तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने 3 नवंबर, 2007 को पाकिस्तान में आपातकाल लगाया था। जिसके बाद उन्होंने महाभियोग के खतरे से बचने के लिए साल 2008 में इस्तीफा दे दिया था। जिसेक चलते साल 2019 में पाकिस्तान की एक अदालत ने राजद्रोह के मामले में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी और देशद्रोही करार दिया था। मुशर्रफ पाकिस्तान के पहले ऐसे सैन्य शासक थे जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।
परवेज मुशर्रफ ने कई बार भारत के साथ धोखेबाजी करने का काम किया था। साल था 2002. नेपाल में सार्क देशों के सम्मेलन के समय जनरल परवेज मुशर्रफ तब पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे। उस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने भारत से अच्छे संबंधों की दुहाई दी. फिर अचानक ही मंच पर बैठे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पास पहुंचे और उनसे हाथ मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ा दिया जिसके बाद तत्कालीन भारतीय पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उठकर उनसे हाथ मिला लिया। कहा जाता है कि अटल बिहारी वाजेपयी से हाथ मिलाते समय परवेज मुशर्रफ के हाथ कांप रहे थे। क्योंकि कारगिल युद्ध को हुए तक ज्यादा समय नहीं हुआ था।
जम्मू-कश्मीर पर बयान
कारिगल के बाद 2001 में मुशर्रफ आगरा भी आए थे जहां उन्होंने भारत के खिलाफ बड़ी चतुराई से एक ऐसा बयान मीडिया को जारी कर दिया जो भारत के खिलाफ था और इससे सरकार की आलोचना भी हुई जबकि पाकिस्तान में वह इसे लोकप्रियता के संदर्भ में भुनाने में कामयाब हो गए। हालांकि यह ज्यादा दिन तक नहीं चल सका। आगरा में मुशर्रफ ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में हो रही हिंसा को ‘आतंकवाद‘ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने इसे आजादी के लिए लड़ाई बताया।
भारत के प्रति मुशर्रफ की क्या सोच थी उससे सब परिचित हैं। उन पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए गए थे। जिसमें उनके पसंदीदा अधिकारियों को महंगे भूखंडों का अवैध आवंटन करना भी शामिल था। कहा जाता है कि उनके और उनके परिवार के नाम पर अरबों रुपये की संपत्ति थी। महाभियोग से बचने के लिए राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ने के बाद, वह लंदन और बाद में दुबई में चले गए।
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विवादों में फंसी विरासत
मानवाधिकारों के हनन और सैन्य विफलता सहित कई विवादों में फंसी उनकी विरासत के बावजूद, उन्हें पाकिस्तान और भारत के संबंधों पर उनके प्रभाव के लिए हमेशा याद किया जाएगा। कुल मिलाकर, पाकिस्तानी इतिहास में परवेज मुशर्रफ की विरासत बहुत जटिल है। मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई आरोपों और उनके शासन के आसपास के अन्य विवादों के बावजूद, उनकी मृत्यु (Pervez Musharraf death) देश के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के समापन का प्रतिनिधित्व करती है।
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