तमिलनाडु में बिहारवासियों की पिटाई का मामले सामने आने से राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। दावा किया गया है कि राज्य में हिंदी भाषी लोगों के साथ दुर्वव्यवहार किया गया है। हिंदी भाषी मजदूरों के राज्य में हो रहे इस तरह के व्यावहार बेहद चिंताजनक हैं। बिहारवासियों के साथ अत्याचार की खबरें सामने आने के बाद तमिलनाडू की स्टालिन सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। हिंदी भाषियों के साथ अत्याचार के लिए स्टालिन सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है। लेकिन अब वहीं बिहार में तेजस्वी यादव भी उनके नक्शे कदम पर चलते दिखाई पड़ रहे हैं।
मनीष कश्यप पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार
तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के पिटाई के मामले में बिहार पुलिस लगातार गिरफ्तारियां कर रही है। तमिलनाडु केस को लेकर बिहार पुलिस ने अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और पोस्ट की लगातार जांच की जा रही। बिहार के एक यूट्यूबर मनीष कश्यप समेत कई लोग इस मामले में फंसे हैं। मनीष कश्यप पर कई सारी धाराएं लगाई गई हैं। धारा 67, 153, 153 (ए), 153 (बी), 505 (1)(बी), 505(1)(सी), 468, 471 और धारा 120(बी)। मनीष कश्यप का कहना है कि उनसे पहले कई प्रमुख मीडिया हाउस बिहारी मजदूरों की ‘पिटाई’ की खबर चला चुके थे। लेकिन पुलिस केवल उन्हें निशाना बना रही है। मनीष समर्थकों को कहना है कि तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों की कथित पिटाई के प्रकरण को लेकर मनीष ने तेजस्वी यादव को चैलेंज किया गया था। बताया जा रहा है कि तेजस्वी को चैलेंज पसंद नहीं आया। जिसके परिणाम स्वरुप अब मनीष कश्यप पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही हैं।
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ऐसे में मनीष कश्यप के द्वारा तमिनाडू में हिंदी भाषियियों की सुरक्षा के मुद्दे को उठाने पर बिहार पुलिस हाथ धोकर पीछे पड़ जाना, बदले की भावना प्रतीत होती है। जो प्रथम दृष्टिया बिहार सरकार की तानाशाही ही प्रतीत होती है। तमिलनाडू में इस प्रकरण पर बोलने वालों पर जिस तरह की कार्रवाई की जा रही है उस प्रकार का व्यवहार बिहारवासियों के लिए तेजस्वी कर रहे हैं और दोनों नेता क्रूर तानाशाह की भांति व्यवहार करते दिख रहे हैं।
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