ग्रीन एनर्जी सेक्टर को बढ़ावा देना न सिर्फ प्रदूषण कम करता है, बल्कि जीडीपी का आकार और रोज़गार भी पैदा करता है। ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने की घोषणा की थी, और साल 2030 तक देश की अपनी जरूरत की 50 फीसदी ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्ति करने का भी लक्ष्य रखा था। जहां अब भारतीय ग्रीनको ग्रुप ने सिंगापुर के सॉवरेन वेल्थ फंड जीआईसी, ओरिक्स कॉरपोरेशन ऑफ जापान, अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीआईए) से 70 करोड़ डॉलर (करीब 5,700 करोड़ रुपये) जुटाए हैं।
25 गीगावाट घंटे से अधिक की भंडारण क्षमता
ग्रीनको ग्रुप के संयुक्त प्रबंध निदेशक कोल्ली के अनुसार, इक्विटी फंडिंग का उपयोग पंप स्टोरेज परियोजनाओं के कैपेक्स के लिए किया जाएगा, जिसमें 25 गीगावाट घंटे से अधिक की भंडारण क्षमता होगी, इससे 45 अरब यूनिट डिस्पैचेबल कार्बन मुक्त ऊर्जा (सीएफई) में सक्षम होगी। ग्रीनको के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक अनिल कुमार चालमालासेट्टी ने कहा कि मौजूदा शेयरधारकों की यह इक्विटी प्रतिबद्धता हमारी दृष्टि में उनके भरोसे को बल प्रदान करती है। बता दें कि ग्रीनको बड़े स्तर पर और दीर्घकालिक समाधानों के कार्यान्वयन के जरिये भारत के ऊर्जा परिवर्तन की अगुआई कर रही है और यह लगातार हमारे सभी हितधारकों को दीर्घकालिक मूल्य प्रदान कर रही है। ग्रीनको ने कंपनी ने आंध्र प्रदेश में 5.2 गीगावॉट की एकीकृत अक्षय ऊर्जा भंडारण परियोजना का निर्माण भी शुरू कर दिया है। इस परियोजना में प्रति घंटा 10 गीगावॉट की भंडारण क्षमता, तीन गीगावॉट की सौर ऊर्जा और 0.5 गीगावॉट की पवन ऊर्जा शामिल हैं।
बता दें कि पिछले साल ही भारत की नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी ग्रीनको और सिंगापुर की केप्पल इन्फ्रास्ट्रक्चर के बीच सिंगापुर स्थित केप्पल के नए 600 मेगावॉट के ऊर्जा संयंत्र के लिए सालाना 2,50,000 टन की ऊर्जा आपूर्ति के लिए अनुबंध किया गया था। ग्रीनको ग्रुप के प्रेजिडेंट और जॉइंट एमडी महेश कोली के अनुसार, ग्रीनको 2025-26 के बाद हरित हाइड्रोजन का निर्यात भी करेगी। ऐसे में भारतीय कंपनी द्वारा 70 करोड़ डॉलर धन जुटाया जाना भारत के परिप्रेक्ष्य में काफी महत्वपूर्ण है।
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