भगवंत मान क्यों मान रहे अमित शाह की हर बात, और कैसे इसके पीछे सिसोदिया का हाथ

सत्ता के लिए कुछ भी

Reason Behind Amritpal Singh transfer: वो कहते हैं न, राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता, मित्रता और शत्रुता भी नहीं। अब कल्पना कीजिए कि एक विद्यालय में एक छात्र है, जो इतना बेढंगा और बदतमीज़ है, कि उसके पास बैठना भी आपके व्यक्तित्व के लिए उचित नहीं। परंतु विद्यालय में बढ़ती गंदगी को रोकने हेतु वह अचानक से एक आज्ञाकारी बच्चा बन जाए, और स्कूल के अध्यापक से लेकर प्रधानाचार्य की बातों को ऐसे माने, जैसे ब्रह्मवाक्य हो। इस समय पंजाब के सीएम भगवंत मान वही कर रहे हैं।

इस लेख में पढिये वो कारण जानना  जिसके पीछे पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री भगवंत मान केंद्र प्रशासन की लगभग हर बात मानने को तैयार है, और अमृतपाल सिंह के संबंध में भी संपूर संयोग दे रहा है।

ऐसा समर्थन तो नहीं सोचा था

निस्संदेह अमृतपाल सिंह को पकड़ने में केंद्र सरकार ने काफी महत्वपूर्ण प्रयास किया। परंतु अपेक्षाओं के विपरीत इस बार पंजाब प्रशासन ने भी इस विषय पर केंद्र का भरपूर साथ दिया। यहाँ तक कि जब केंद्र प्रशासन ने अमृतपाल को असम के डिब्रूगढ़ जेल स्थानांतरित (Reason Behind Amritpal Singh transfer) करने का निर्णय लिया, तो भी अन्य सरकारों की भांति भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने आश्चर्यजनक रूप से कोई विरोध नहीं जताया।

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परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। अमृतपाल सिंह की गिरफ़्तारी से लेकर उसके ISI कनेक्शन, उसके विदेशी लिंक्स इत्यादि का सम्पूर्ण कच्चा चिट्ठा भगवंत मान के नेतृत्व वाले पंजाब प्रशासन ने केंद्र सरकार के साथ साझा किये हैं। इतना ही नहीं, अमृतपाल पर पंजाब प्रशासन के कार्य को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इनकी सराहना भी की है।

Reason Behind Amritpal Singh transfer: संयोग, या फिर

कुछ भी कहिए, परंतु ये मात्र संयोग नहीं हो सकता। कुछ ही माह पूर्व भगवंत मान ऐसे बर्ताव कर रहे थे, जैसे पंजाब राज्य के नहीं, पंजाब नामक देश के अधिपति हों। परंतु अमृतपाल सिंह के अजनाला कांड के बाद इन्होंने जिस प्रकार से इन्होंने अपनी चाल ढाल बदली है, वह भी किसी से छुपा नहीं है।

तो प्रश्न ये उठता है : क्या ये संयोग है, या फिर एक सोचा समझा प्रयोग? जैसा कि पूर्व में कहा था, चाहे उपद्रव हो या प्रदर्शन, प्लानिंग होती है, पैसा लगता है और राजनीतिक समर्थन तो है ही। परन्तु अमृतपाल के पास ऐसा कुछ भी नहीं, और ये 1984 नहीं, 2023 है। जब एक अत्याधुनिक ड्रोन से आपके घड़ी की टाइमिंग पता चल जाए, तो अमृतपाल किस खेत की मूली?

भगवंत AAP के तारणहार?

तो अब प्रश्न उठता है, कि सत्ता प्राप्ति के लिए इस हद तक जाने वाली AAP की पंजाब सरकार अचानक अमृतपाल जैसे व्यक्ति को पकड़ने के लिए कैसे उद्यत हुई, और इसका मनीष सिसोदिया से क्या कनेक्शन है?

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भले ही लोग भगवंत मान को प्रशासन के लिए कम, और उनके विवादों के लिए अलग जानते हो, परंतु वे पंजाब के मुख्यमंत्री हैं, दिल्ली जैसे “आधे राज्य” के नहीं। इतना ही नहीं, गृह मंत्रालय पंजाब सरकार से निरंतर संपर्क में बनी हुई, ऐसे में उनकी आँखों में धूल झोंकने का दुस्साहस करना इस समय भगवंत के बस की बात नहीं।

कहीं न कहीं भगवंत मान को ये बात समझ में आ गई होंगी कि यदि सत्ता में बने रहने, तो औपचारिकता के लिए सही, परंतु ये उग्रवाद प्रेम त्यागना होगा। यही बात मनीष सिसोदिया के लिए भी लागू होती है, क्योंकि वे कुमार विश्वास तो है नहीं कि कविताओं की ओर अपना ध्यान मोड़ ले, या योगेंद्र यादव की भांति ‘आन्दोलनजीवी’ बन जाए। ऐसे में मार्ग कोई भी हो, कहीं न कहीं भगवंत मान और मनीष सिसोदिया का उद्देश्य एक ही है : अरविन्द केजरीवाल का विनाश!

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