Sterlite copper plant: कॉपर,रसायन विज्ञान के बुनियादी तत्वों में से एक है और उद्योग के लिए एक प्रमुख धातु है और इसका उपयोग केबल, कंडक्टर, प्लेट, शीट, रॉड, ट्यूब आदि के निर्माण के लिए किया जाता है। यही कारण है देश में कॉपर की भारी मांग रहती है। परंतू देश में इस भारी मांग को कम किया जा सकता है परंतू इस क्षेत्र की ये वृद्धी राजनीति का शिकार है।
इस लेख में पढियेकि कैसे एक विशाल कॉपर प्लांट (Sterlite copper plant) के खिलाफ स्टालिन सरकार षंडतंत्र रच रही है और कैसे तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने षंडयंत्र का खुलासा किया है।
स्टरलाइट प्लांट करता था देश के 40 प्रतिशत कॉपर का उत्पादन
दरअससल, जो भारत कुछ साल पहले तक रिफाइंड तांबे का एक प्रमुख निर्यातक हुआ करता था। लेकिन वर्ष 2018 के उपरांत भारत में कॉपर के उत्पादन में कमी आई। जिसका पीछे का कारण है तमिलनाड़ू में स्थित वेदांता स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टिंग संयंत्र का बंद होना। क्योंकि ये देश के 40 प्रतिशत कॉपर का अकेला Sterlite copper plant ही उत्पादन करता था। स्टरलाइट प्लांट की क्षमता ऐसी थी कि यह अकेले दम पर भारत को कॉपर का प्रमुख एक्स्पोर्टर बना सकता था। लेकिन राजनीति के शिकार होने के कारण मई 2018 में इस प्लांट को बंद करना पड़ा। लेकिन अब एक बार फिर इस प्लांट को खोले जाने की मांग की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने वेदांता को तमिलनाडु के तूतीकोरिन में बंद पड़े अपने Sterlite copper plant में मेंटेनेंस से जुड़े कार्य करने की सोमवार 10 अप्रैल को मंजूरी दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला तमिलनाडु सरकार की ओर से गठित एक उच्च-स्तरीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर लिया है। लेकिन मैं आपको बताउगां कि आखिर ये प्लांट क्यों बंद हुआ और परिचित कराउगां उस खुलासे जिसमें तमिलनाडू के राज्यपाल आरएन रवि ने बताया है कि वेदांता स्टरलाइट प्लांट का विरोध करने वाले लोगों को विदेशी फडिंग मिली थी।
दरअसल, Sterlite copper plant पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए थे। 2018 में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 13 लोगों की मौत हो गई थी। ईसाई, माओवादियों और पर्यावरण-फासीवादी समूहों द्वारा चीन समर्थित विरोध के बाद संयंत्र को बंद कर दिया गया था। बार-बार के प्रयासों के बावजूद, केंद्र सरकार इसे फिर से खोलने में सफल नहीं हुई है। इस प्लांट के ना खुलने के पीछे की सबसे बड़ी बाधक तमिलनाडु की स्टालिन सरकार है। तमिलनाडु सरकार श्रमिकों की मांग और इस तथ्य से परिचित होते हुए भी कि इस संयंत्र का खुलना राष्ट्रीय हित में अत्यंत लाभकारी है, लेकिन स्टालिन सरकार इस प्लांट को खोलने को बिल्कुल भी उत्सुक नही है।
और पढ़ें: Bandi Sanjay arrest : ऐसा कर रही टीआरएस पीएम मोदी का स्वागत
राज्यपाल आरएन रवि ने किया बड़ा खुलासा
इन सब घटनाक्रमों के बीच अब राज्यपाल आरएन रवि ने भारत के सबसे बड़े कॉपर उत्पादन के Sterlite copper plant के बंद होने के पीछे की सच्चाई से पर्दा उठाया है। उन्होंने खुलासा करते हुए कहा है कि “तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टिंग संयंत्र का विरोध पूरी तरह से फॉरेन फंडेड यानि विदेश से वित्तपोषित था।”
लोगों ने उसके खिलाफ आवाज उठाई, प्रदर्शन हुआ और फिर पुलिस फायरिंग में मासूम लोगों को जान गंवानी पड़ी। वो दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। वो जो इसके पीछे थे, चाहते थे कि Sterlite copper plant पर ताला जड़ दिया जाए, क्योंकि ये देश की 40 फीसदी कॉपर जरूरत को पूरा करता था और आप सभी जानते हैं कि कॉपर इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री के लिए कितना अहम है।” राज्यपाल यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, “जिन्होंने पूरा जाल बुना, उन्हें FCRA के जरिए विदेशी सहायता मिल रही थी।’ बता दें कि एफसीआरए एक ऐसा संघ है जिसके द्वारा कोई भी एनजीओ(NGO) या संस्था विदेशों से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकती है।
राज्यपाल आरएन रवि ने कहा ‘मुझे लगता है कि इससे जुड़े नियमों को और सख्त करना होगा। आज भी ये उतने कड़े नहीं हैं, जितने होने चाहिए। हालांकि इसे दुरूस्त करने की प्रक्रिया चल रही है। आलोचना होगी, लेकिन ये तो चलता है। लोग आजाद हैं, उनके पास विरोध का अधिकार है। वो कुछ भी कह सकते हैं और मैं समझता हूं इसमें कोई बुराई नहीं है।’
उन्होंने कुछ गैर सरकारी संस्थाओं और दानकर्ताओं पर एंटी नेशनल एक्टिविटी में शामिल होने का आरोप लगाया। राज्यपाल ने कहा, ‘सरकार को देखना होगा कि राष्ट्रीय हित बरकरार रहे। देखना होगा कि जो भी कुछ जानबूझकर देश के विकास को अवरुद्ध करने के लिए किया जाएगा, उससे दिक्कतें उत्पन्न होगीं।’ राज्यपाल का कहना है कि आज जो देश में कट्टरता फल फूल रही है, उसके पीछे भी ज्यादातर विदेशी फंडिंग ही है। राज्यपाल का इशारा देश के अन्य और भी ऐसे देश विरोधी आंदोलन पर था जो देश छवि और देश। के विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं। उन्होंने बताया कि हमारे पास कन्याकुमारी में अपना परमाणु संयंत्र है। जब भी उसमें काम शुरू होता है, तो क्लाइमेट के नाम पर विरोध शुरू हो जाता है।
अब राज्यपाल आरएन रवि के इस खुलासा के बाद विकास विरोधी तमिलनाडू की स्टालिन सरकार को गहरा दर्द हुआ है। स्टरलाइट विरोध के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को कानूनी नोटिस भेजा गया । इस नोटिस में कहा गया है- “प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए विरोध को विदेश से हो रही फंडिंग बताकर राजयपाल ने इस प्रदर्शन में भाग लेने वाले पुरुषों और महिलाओं का अपमान किया है। उनके इस दावे का कोई भी आधार नहीं है कि विरोध को विदेशों द्वारा फंडिंग किया गया है।”
और पढ़ें: दूध का दरिया है और डूब के जाना है, हाय रे पागल कांग्रेसी!
खैर क्लाइमेट का नाम लेकर भारत में तूतीकोरिन स्थित Sterlite copper plant का विरोध हुआ जिसके बाद उसे बंद कर दिया गया। इस संयंत्र बंद होने के बाद भारत को भारी नुकसान उठाना पड़ा। भारत के आयात में तेज़ी से वृद्धि हुई और निर्यात में कमी आई। बताते चलें कि वेदांता स्टरलाइट कॉपर की उत्पादन क्षमता 4 लाख टन थी अब ऐसे में इसे फिर शुरु करने की मांग हो रही है। जिसमें प्रम्मुख रुप से बाधक तमिलनाड़ू की स्टालिन सरकार बन रही है। ऐसे में स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टिंग संयंत्र के शुरु होने में बाधक बनना भारत के विकास में बाधक बनना ही है।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।