विश्वभर से भारत के लिए साकारत्मक खबरें लगातार सामने आ रही हैं। कारण यही है कि भारत तीव्र गति के साथ वैश्विक स्तर पर अपने आप को शक्तिशाली स्थिती में स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रहा है। फिर बात चाहे आर्थिक मोर्चे की हो या फिर अन्य किसी क्षेत्र की। हर ओर भारत अपनी उपस्थिती अंकित करा रहा है। भारत के इस बढ़ते ग्राफ को देखते हुए विश्वभर के कई शक्तिशाली देश भारत के साथ व्यापारिक समझौते करने की महत्वकांक्षाएं प्रकट कर रहे हैं। जहां अब रुस ने भारत के साथ मुक्त व्यापार पर बातचीत के लिए उत्सुकता दिखाई है।
इस लेख में पढिये रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने उस इच्छा से जिसमें उन्होंने भारत के साथ व्यापार बढ़ाने की इच्छा प्रकट की है।
इसमें कोई संशय नहीं है कि वर्तमान समय में सशक्त नेतृत्व के चलते वैश्विक स्तर पर भारत के प्रभाव में अतुलनीय परिवर्तन हुए हैँ। इन परिवर्तनों के चलते विश्व का भारत को लेकर दृष्टीकोण बदल रहा है। हम आपको कई बार परिचित करा चुके हैं कि कई देश वर्तमान समय में भारत के साथ व्यापार करने की इच्छाएं प्रकट कर रहे हैं। देखिए आर्थिक शक्ति ही विदेशी संबंधों की आधारशिला मानी जाती है।
अब कोई देश आर्थिक मोर्चे पर शक्तिशाली कैसे होगा? वो होगा व्यापार से। जितने अधिक FTA किसी देश के साथ होंगे, उतना ही उस देश की ओर लोग और संस्थाएं आकर्षित होंगी क्योंकि FTA यानी मुक्त व्यापार समझौता इस बात का सूचक है कि देश की आर्थिक स्थिति कैसी है और इस परिप्रेक्ष्य में भारत का कद लगातार बढ़ रहा है।
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रुस ने जताई भाारत के साथ FTA करने की इच्छा
जहां अब इसी कड़ी में रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने भारत के साथ व्यापार बढ़ाने की इच्छा जताई है। दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंचे रूसी उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने कहा कि हमें भारत से व्यापार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। रूस भारत के साथ मुक्त व्यापार पर बातचीत तेज करने के लिए उत्सुक है। उन्होंने कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के ढांचे के भीतर प्रमुख भागीदारों में से एक बन सकता है। बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा भारत और रूस के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए एक गलियारा है। यह व्यापार मार्ग 7200 किलोमीटर लंबा है और माल ढुलाई सड़कों, जहाजों और रेलवे के एक बहु-मोड नेटवर्क के माध्यम से होती है। यह मार्ग ईरान और अजरबैजान के रास्ते भारत और रूस को जोड़ता है।
रूस-भारत व्यापार संवाद को संबोधित करते हुए रूस के उप प्रधानमंत्री मंटुरोव ने कहा कि यूरेशियन आर्थिक आयोग के साथ मिलकर हम भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत को तेज करने की उम्मीद कर रहे हैं। इसके अलावा हम निवेश के संवर्धन और संरक्षण के लिए रूस-भारत द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करने पर काम कर रहे हैं।
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रूस के उप प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से की मुलाकात
बता दें कि रूस के उप प्रधानमंत्री और उद्योग तथा व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव ने मंगलवार को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से नई दिल्ली में मुलाकात की। जहां इस दौरान उन्होंने भारत के साथ मुक्त व्यापार यानि FTA करने की अपनी इच्छा प्रकट की। वहीं इस दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कोविड महामारी के कारण भारत और रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन के बीच मुक्त व्यापार वार्ता पर चर्चा में व्यवधान आया था और अब हम उम्मीद करते हैं कि इसमें तेजी आएगी क्योंकि हमें विश्वास है कि इससे हमारे व्यापारिक संबंधों में वास्तविक बदलाव आएगा।
अब आपको बताते हैं कि FTA क्या है जिस समझौते के होने से दोनों देशों के संबंध तो प्रगाढ़ होंगे ही साथ ही साथ आर्थिक मोर्चे पर भी दोनों देशों को काफी लाभ होगा। FTA का पूरा नाम फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है यानी मुक्त व्यापार संधि. इसके जरिए दो देशों के बीच एक एग्रीमेंट किया जाता है और दोनों देशों के बीच के व्यापार को सरल बनाने पर काम किया जाता है. जब दो देशों के बीच एफटीए साइन होता है तो उन देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा आदि में छूट दी जाती है या नियमों को आसान बना दिया जाता है. इससे दोनों देशों के बीच लागत कम होती है और वैश्विक स्तर पर दोनों देशों की रेट कम हो जाती है. इससे व्यापार में काफी ज्यादा बढ़ोतरी होती है।
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रुस और भारत के संबंध प्रगाढ़ हैं। जिसके कारण भारत को रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल मिल रहा है और रुस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में भी भारत ने रुस का के विरुद्ध कोई बयानबाजी नही की है। ऐसे में दोनों देशों के बीच भविष्य में और अधिक व्यापारिक साझेदारियां होने की अधिक संभावनाएं हैं। भारत ने कई देशों के FTA किया है। जिसमे लाभ भी मिला है और कई FTA के दुष्परिणामों का भी सामना करना पड़ा है। लेकिन अधिक संभावनाएं FTA से व्यापार को बढ़ाने में मदद और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। इस समझौते में सामान, सेवाएं, निवेश, बौद्धिक संपदा आदि शामिल होते हैं। अब अगर रुस और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता होता है भारत से होने वाले निर्यात में काफी बढ़ोतरी होगी, जिससे अर्थव्यवस्था को सीधे फायदा होगा।
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