अरविंद केजरीवाल 2024: वर्तमान समय में देश में जितनी आवश्यकता राजनीति में एक सशक्त विपक्ष की अनुभूत की जा रही है। उससे कहीं अधिक विपक्ष में एक “चेहरे” का आभाव देखा जा रहा है।
2014 के बाद से लगातार जनता विपक्ष की तलाश में है परतूं अब तक ना तो देश को कोई विपक्ष मिल पाया और ना ही विपक्ष का कोई चेहरा । कांग्रेस पार्टी लंबे समय से राहुल गाँधी को जबदस्ती विपक्ष के चेहरे के रुप देश को परोसने को उतारु है। लेकिन देश की जनता ना तो कांग्रेस स्वीकारने को रेड़ी है और ना ही युवराज राहुल गाँधी को। अब 2024 के चुनाव नजदीक आ रहे हैं। ऐसे में हम आपसे कहें कि एक व्यक्ति है जो 2024 में विपक्ष का चेहरा होने का दावा कर सकते हैं।
इस लेख में पढिये कि कैसे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल 2024 के चुनावों में स्वयं को विपक्ष का चेहरा होने का दावा कर सकते हैं.
वर्तमान समय में विपक्ष की कमी को जितना महसूस किया जा रहा है, उतना शायद ही पहले की सरकारों के समय किया गया हो। देश की सबसे पुरानी पार्टी का प्रर्दशन राष्ट्र स्तर पर तो छोड़ दो राज्य स्तर पर भी काफी हीन हो गया है और अन्य कारणों में से एक यह भी कारण है कि देश में भाजपा का एकक्षत्र राज है और अभी कोई संभावना दूर दूर तक नही दिख रही है कि भाजपा को चुनावी रण में कोई टक्कर दे सके।
कांग्रेस भाजपा को चुनौती देने के लिए दम तो भरती है लेकिन जब पार्टी के स्तर में कोई सुधार ही ना आए तो ऐसे दम भरने का क्या फायदा। आज भी कांग्रेस पार्टी को परिवारवाद के जाल ने जकड़ा हुआ है। जिसकी आड़ में वो देश पर जबदस्ती एक अयोग्य व्यक्ति को स्वीकारने का दबाव बना रही है। लेकिन जनता कतई भी उस व्यक्ति को स्वीकारने को राजी नही है। हम बात राहुल गाँधी की ही कर रहे हैं।
स्पष्ट है कि कांग्रेस बेशक सबसे पुरानी पार्टी हो, लेकिन उसका भारतीय राजनीति में अस्तित्व अब दूर दूर तक नही दिखता है। अब ऐसे में प्रश्न यही है 2024 के लोकसभा चुनावों विपक्ष का चेहरा कौन होगा? कौन स्वयं को विपक्ष का चेहरा होने का दावा कर सकता है?
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केजरीवाल ही कर सकते हैं विपक्ष का चेहरा होने का दावा
ऐसे में हम कह सकते हैं कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल स्वयं को विपक्ष का चेहरा होने का दावा कर सकते हैँ। वो अलग बात है देश की जनता इनके भी कारनामों से परिचित हो गई है। दिल्ली की गलियों में इनकी पार्टी के मंत्रियों के भष्ट्राचारों के चर्चे हैं। लेकिन इन सब घटनाक्रमों के बीच निर्वाचन आयोग ने सोमवार को आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया तथा तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का राष्ट्रीय दल का दर्जा वापस ले लिया।
आयोग ने कहा कि आप को चार राज्यों-दिल्ली, गोवा, पंजाब और गुजरात में उसके चुनावी प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी दिल्ली और पंजाब में सत्ता में है। बता दें कि वर्तमान में देश में 6 राष्ट्रीय पार्टियां हैं। जिसमें भारतीय जनता पार्टी , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी, भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी , बहुजन समाज पार्टी और नेशनत पीपुल्स पार्टी।
अब इनमें से हम 2024 के लोकसभा के चुनाव के परिपेक्ष्य में देखें तो, भाजपा को चुनौती दे सके ऐसी पार्टी कोई भी नही दिख रही है और ना ही किसी पार्टी का कोई ऐसा नेता दिख रहा है जो पीएम मोदी को 2024 में चुनौती दे सके और यही कारण है कि ना तो विपक्ष को 2024 के लिए अपना कोई चेहरा नजरा आ रहा है और ना ही जनता को कोई ऐसा नेता दिख रहा है जिसे वो विपक्ष के चेहरे के रुप में देख सके।
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पंजाब में कर दिया था कांग्रेस का सूपड़ा साफ
अब इन सब स्थितियों को देखने के बाद अरविंद केजरीवाल ही हैं तो स्वयं को 2024 में विपक्ष का चेहरा होने का दावा कर सकते हैं। क्योंकि विकल्प के रुप में वो ही हैं जो कांग्रेस की सपूड़ा साफ करके अपनी राहें क्लियर कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि पिछले साल आम आदमी पार्टी ने पंजाब में कांग्रेस की सरकार का सूफड़ा साफ़ करते हुए 117 में से 92 सीटें जीत ली थी। जिसमें उसे 42.01 प्रतिशत मत प्राप्त हुआ था। ऐसे ही आप ने गोवा विधानसभा चुनाव में दो सीटें जीती थीं, जिसमें उससे कुल वोट के 6.77 प्रतिशत मत मिले थे। गुजरात के विधानसभा चुनावों में 5 सीटें प्राप्त करके आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी।
अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को राष्ट्र पार्टी का दर्जा मिलना बताता है कि केजरीवाल विपक्ष के सही उम्मीद्वार हो सकते हैँ। क्योंकि कांग्रेस के पास ना कोई ऐसा नेता है जिसे 2024 में विपक्ष के उम्मीद्वार के रुप में देखा जा सके और यही हाल भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी का भी है वहीं बहुजन समाज पार्टी के पास भी कोई प्रभावशाली चेहरा नही है और ना ही नेशनत पीपुल्स पार्टी के पास कोई उम्मीद्वार है।
ऐसा नही है कि केजरीवाल का प्रभाव जनता के बीच कुछ साकारात्मक बन रहा है या वो या उनकी पार्टी भाजपा को चुनाव में मजबूत टक्कर दे सकती है।
कर तो राजनीति में केजरीवाल भी कुछ खास नही रहे हैं। उनकी कारनामे उनके ईमानदार पार्टी होने वाले दावों की पोल खोल रहे हैँ। भष्ट्राचार के बोझ तले दबी पार्टी के पूर्व मंत्री जेल में सजा काट रहे हैँ। लेकिन इतना कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी का बढ़ता कद कांग्रेस को साइडलाइन कर ही रहा है साथ ही अब अगर 2024 में संपूर्ण विपक्ष एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरता है तो केजरीवाल स्वयं को विपक्ष का चेहरा होने का दावा करने लायक हैं।
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केजरीवाल में जनता को अपनी ओर खींचने की कला है जो राहुल गाँधी में नही है। केजरीवाल 3 बार के मुख्यमंत्री हैं इसलिए उन्हें शासन का अनुभव है राहुल गाँधी इस मामले में निल बटे सन्नाटा हैं। यही कारण है कि हम ये कह रहे हैं कि प्रभावरहित ही सही परतूं अरविंद केजरीवाल ही हैं जो 2024 में विपक्ष का चेहरा होने का दावा कर सकते हैं।
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