Ram Navami violence: हमारे देश में लगता है सनातनियों के लिए अपने त्योहार मनाना पाप हो गया है। कम से कम बिहार और बंगाल का हाल देखकर तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। लोगों ने रामनवमी क्या मनाई, उनको हिंसा की आग में झोंक दिया गया है। दोनों ही जगह प्रशासन पीड़ितों से अधिक उपद्रवियों को अप्रत्यक्ष समर्थन दे रही है, और केंद्र में रहते हुए भी इस समय भाजपा को राजनीति की खुजली मच रही है।
इस लेख में पढिये कैसे रामनवमी (Ram Navami violence) के नाम पर बिहार और बंगाल को उपद्रवियों के हवाले कर दिया गया, और कैसे भाजपा का रवैया कोई शुभ संकेत नही देता।
Ram Navami violence: बिहार और बंगाल में त्राहिमाम मचा है
रामनवमी को मानो किसी की कुदृष्टि लग गई है। अगर किसी की आपत्ति को संभालो, तो दूसरी जगह उपद्रव प्रारंभ हो जाता है। किसी भांति पुलिस सुरक्षा में दिल्ली में रामनवमी पर शोभायात्रा निकाली गई, तो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में Ram Navami के विरोध के नाम पर violence प्रारंभ हो गया।
परंतु ये बात केवल इन दो राज्यों तक सीमित नहीं रही। बिहार और बंगाल में इस समय जो हो रहा है, उसे त्राहिमाम के अतिरिक्त शायद ही कोई परिभाषा दी जा सकेगी। रामनवमी पर शोभायात्रा के विरोध में जगह जगह उपद्रव हुआ, कई निर्दोष लोग अराजकतावादियों की बलि चढ़ गए, और लाखों करोड़ों की संपत्ति की हानि हुई।
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परंतु ये तो कुछ भी नहीं है। सबसे ज्यादा जो इस समय चुभ रहा है, वह है दोनों राज्यों के प्रशासन की निरंकुशता। बंगाल की कुत्सित राजनीति से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है, परंतु अब ऐसा लगता है कि बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला प्रशासन ममता बनर्जी को टक्कर देने लगा है कि कौन अधिक उपद्रवियों को बढ़ावा देगा। पुलिस मानो हिंदुओं के पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई है, चाहे बिहार हो या बंगाल।
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“सत्ता में लाइये, परिवर्तन पाइए”
तो ऐसे में भाजपा शासित केंद्र प्रशासन क्या कर रही है? कहने को भाजपा घटनाओं का संज्ञान ले रही है, और सासाराम में प्रस्तावित कार्यक्रम रद्द करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने भारी मात्रा में सशस्त्र बलों को जगह जगह तैनात करवाया है। सूत्रों के अनुसार, केवल बिहार में CRPF, SSB एवं ITBP के 1000 से भी अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किये गए हैं।
10 CAPF companies sent to communal violence-hit Bihar
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— ANI Digital (@ani_digital) April 2, 2023
परंतु क्या ये पर्याप्त है? कम से कम अमित शाह के बयानों को देखते हुए ऐसा तो नहीं प्रतीत होता। महोदय द्वारा नवादा में सम्बोधन के दौरान, “नीतीश कुमार ने अपने जीवन में कई पार्टियाँ बदली हैं। कई लोगों को धोखा दिया है। लेकिन जिन लोगों के साथ आज सरकार बनाई है उन लोगों ने बिहार की जनता को क्या दिया? केंद्र सरकार ने 2009 से 2014 तक सिर्फ 50 हजार करोड़ रुपए दिया था। लेकिन 2014 से 2019 तक मोदी से ने 1 लाख 9 हजार करोड़ रुपए बिहार को दिया है। केंद्र की सरकार ने बिहार को दोगुना से अधिक पैसा दिया है। आज पूरा बिहार चिंतित है। बिहार शरीफ में आग लगी है। सासाराम में आग लगी है। सबको चिंता हो रही है। 2024 में मोदी जी को 40 में 40 सीटें दीजिए और 2025 में भाजपा की सरकार बनाइये। इसके बाद भाजपा सरकार दंगा करने वालों को उल्टा लटकाकर सीधा करने का काम करेंगे। भाजपा सरकार में दंगे नहीं होते।”
HM Shri @AmitShah addresses public meeting in Nawada, Bihar. https://t.co/EKCc0wZtPh
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आज समग्र बिहार चिंता कर रहा है… बिहारशरीफ में आग लगी है, सासाराम में आग लगी है।
2024 में मोदी जी को पूर्ण बहुमत दीजिए और 2025 में बिहार में भाजपा की सरकार बनाइए… इन दंगा करने वालों को उल्टा लटका कर सीधा करने का काम भाजपा करेगी।
– श्री @AmitShah pic.twitter.com/xXawJhpNWO
— BJP (@BJP4India) April 2, 2023
क्षमा कीजिएगा अमित शाह जी, पर ये कोई समय नहीं है राजनीति का। अगर इतना ही बोल देते कि संकट की इस घड़ी में हम बिहारवासियों के साथ है, तो क्या चला जाता? हर विषय चुनावी मुद्दा नहीं होता, अन्यथा फिर आप में और मणिशंकर अय्यर में क्या अंतर रह जाएगा? वह भी तो पाकिस्तान में कहे थे, “इन्हे हटाइए, हमें ले आइए!”
ऐसे नहीं चलता….
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार के सासाराम में हो रही हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है, “मुझे सासाराम जाना था। वहाँ सम्राट अशोक की जयंती पर कार्यक्रम होना था। लेकिन दुर्भाग्य है कि वहाँ लोग मारे जा रहे हैं। गोलियाँ चलाई जा रही हैं। आँसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं। इसलिए मैं वहाँ नहीं जा सका। मैं वहाँ की जनता से यहीं से क्षमा माँगता हूँ। अगले दौरे में सासाराम में सभा जरूर करूँगा। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि बिहार में जल्द ही शांति हो। मैने सुबह राज्यपाल को फोन किया तो ललन सिंह जी (जदयू अध्यक्ष) बुरा मान गए कि आप बिहार की चिंता क्यों करते हैं? अरे भाई, मैं देश का गृहमंत्री हूँ और बिहार की कानून-व्यवस्था भी देश का एक हिस्सा है। आप नहीं सँभाल नहीं सकते। इसलिए हमें चिंता करनी पड़ रही है।”
विचार तो बड़े अच्छे प्रकट किये मोटा भाई ने, परंतु धरातल पर लाने के लिए क्या एक्शन हो रहा है? विगत कुछ घटनाओं की तुलना में अर्धसैनिक बलों की तैनाती तो की गई है, परंतु क्या हिंसा कम हो जाएगी? क्या इससे इन असामाजिक तत्वों को एक संदेश मिलेगा?
यह प्रश्न इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा कोई छोटी मोटी पार्टी नहीं। आज उसका प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं है, और ये सिद्ध करने के लिए नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ एवं सुब्रह्मण्यम जयशंकर जैसे नेता पर्याप्त है, और अभी तो हमने राजनाथ सिंह पर प्रकाश भी नहीं डाला है। ऐसे में अमित शाह का यह कहना कि बिना सत्ता परिवर्तन के सहायता संभव नहीं बहुत ही विरोधाभासी है, और एक गलत संदेश भी प्रसारित करता है, और इस समय भाजपा के लिए इसमें से कुछ भी ठीक नहीं होगा।
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