“ये मजदूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर आकार बदल देता है!”
जो ऐसे संवादों से “राजा हिन्दुस्तानी” के पसीने छुड़ा दे, वो सनी देओल। जो तारा सिंह बनकर लगान का हैंडपंप उखाड़ दे, वो सनी देओल। परंतु अगर आपको बताएँ कि “घातक” के काशीनाथ सनी देओल नहीं, कमल हासन होने वाले थे, तो?
इस लेख में जानिये उस अवसर को, जिसे कमल हासन ने ठुकरा दिया, और जिसने सनी देओल को ‘एक्टिंग लीजेंड’ में परिवर्तित किया।
घातक के लिए सनी देओल नहीं थे प्रथम विकल्प
1996 में प्रदर्शित “घातक” से आज भी कोई अनभिज्ञ नहीं है। नवंबर 1996 में “राजा हिन्दुस्तानी” जैसी बहुचर्चित फिल्म से भिड़ने के बाद भी इस फिल्म ने न केवल जनता का हृदय जीता, अपितु सनी देओल को एक आइकन के रूप में भी स्थापित किया। परंतु क्या आपको पता है कि सनी देओल इसके प्रथम विकल्प नहीं थे?
उस समय सोउथ् इन्दुस्त्रि से रजनीकान्त के अतिरिक्त अगर किसी कलाकार का नाम चहुंओर भारत में गूँजता था, तो वे थे कमल हासन।
रजनीकान्त जितने लोकप्रिय भले न हो, परंतु हिन्दी फिल्मों में इनका भी अपना प्रभाव था। परंतु कुछ वर्षों से उन्होंने हिन्दी सिनेमा में कोई काम नहीं किया था। ऐसे में राजकुमार संतोषी उनकी “धमाकेदार वापसी” करवाने को उद्यत थे, और इसी उद्देश्य से उन्हे “घातक” भी ऑफर की।
जी हाँ, “घातक” में पहलवान काशीनाथ की मूल भूमिका में पहले सनी देओल नहीं, कमल हासन दिखने वाले थे।
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पोस्टर तक छप चुके थे, परंतु….
कमल हासन से फिल्म को लेकर बातचीत भी हो गई थी। लंबे ब्रेक के बाद वे इस फिल्म के जरिए बॉलीवुड में वापसी करने वाले थे। ऐसे में संतोषी की ओर से पोस्टर छपवा दिए गए थे, जिस पर लिखा था ‘वेलकम बैक टु हिंदी स्क्रीन’।
लेकिन बाद में किन्हीं कारणों से वे इस प्रोजेक्ट से दूर हो गए और उनके हाथ से एक हिट फिल्म निकल गई। कमल बाद में “चाची 420” में दिखाई, परंतु वह “घातक” जितनी प्रभावी नहीं सिद्ध हो पाई।
अब ऐसे में एक ही प्रश्न व्याप्त था : कमल की जगह कौन भरेगा? राजकुमार संतोषी खासे निराश हो गए, परंतु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, और फिर उन्हे सनी देओल का नाम स्मरण में आया।
उन्होंने 1990 में ‘घायल’ और 1993 में ‘दामिनी’ सनी देओल के साथ बनाई थी। ऐसे में उन्होंने सनी को एक बार फिर अप्रोच किया और उन्हें भी स्क्रिप्ट पसंद आई।
सनी ने काफी अच्छे से अपना किरदार निभाया और उनके लिए फिल्म जैकपॉट साबित हुई। फिल्म में मीनाक्षी शेषाद्री, अमरीश पुरी और डैनी अहम भूमिका में नजर आए थे।
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“घातक” सनी देओल के लिए ही उपर्युक्त थी
कल्पना कीजिए कि अगर “मैडम जी, मैं आपको लाहौर छोड़ आऊँ” या “तारीख पर तारीख” जैसे डायलॉग कमल हासन दोहराते, तो कैसा लगता? ठीक ऐसा ही होता अगर सनी पाजी की जगह कमल हासन को “घातक” में काशीनाथ के रोल में लिया गया होता ।
आज भी फिल्म “घातक” को धमाकेदार डायलॉग और एक्शन के लिए याद करते हैं और कहना बिल्कुल गलत नहि होग कि उसका आधा भी कमल हासन के फिल्म में होने पर न हो पाता।
अभी तो हमने “हे राम” में इनके एजेंडावाद की बात भी नहीं की.
स्वयं सोचिए, आज दर्शक किसे याद करना चाहेंगे? कमल हासन के साकेत राम को, या अपने आदर्शों से समझौता न करने वाले सनी देओल के काशीनाथ को?
परंतु ये सनी देओल के लिए प्रथमत्या ऐसा नहीं हुआ था। जब “दामिनी” फिल्म प्रदर्शित हुई, तब भी एडवोकेट गोविंद श्रीवास्तव के रोल हेतु सनी देओल प्रथम विकल्प नहीं थे।
उनका किरदार असल में दो किरदारों का मेल था, जिसमें एक एडवोकेट और एक शराबी का रोल था। इन दोनों रोल को पहले ओम पुरी और शक्ति कपूर निभाने वाले थे, परंतु अंत में इन दोनों रोल का विलय कर सनी देओल को ऑफर किया गया।
सनी देओल की भूमिका सीमित थी, और वे इंटरवल से पूर्व फिल्म में आए भी नहीं थे। परंतु उनका अभिनय इतना उत्कृष्ट था कि वही सारी लाइमलाइट उड़ा ले गए।
सनी देओल को इस रोल के लिए फिल्मफेयर एवं राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ, और फिर “तारीख पे तारीख” वाला संवाद कैसे भूला जा सकता है?
क्या ये असर कमल हासन दिखा पाते? अभी तो हमने “गदर” की कास्टिंग पर चर्चा भी नहीं की है, अन्यथा लोगों को ये भी पता चल जाता कि सनी पाजी की जगह गोविंदा को उसी रोल में लेने पर फिल्म का क्या हाल होता?….
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“घातक” को अब जब देखते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है कि इस रोल को सनी देओल से बेहतर कोई नहीं निभा सकते। यही नहीं, इस फिल्म में अन्य फिल्मों के विपरीत अमरीश पुरी ने सकारात्मक चरित्र से सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था।
“क्रोध को पालना सीखो”, “चीर दूंगा फाड़ दूंगा” जैसे डायलॉग आज भी बड़े चाव से लोग दोहराते हैं, और ये सनी देओल के अतिरिक्त किसी और पर फिट भी नहीं होंगे।
इसके अतिरिक्त कर्तव्यपरायणता, पिता पुत्र के बीच के संबंध और अपने परिवार की रक्षा हेतु किसी से भी भिड़ने की क्षमता को जिस प्रकार से सनी देओल ने निभाया, उसे शायद कमल हासन उतना बेहतर रूप से नहीं निभा पाते।
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