राजनीति में गठजोड़, प्रतिद्वंद्विता और रणनीतिक परिवर्तन स्वाभाविक हैं। परंतु जो कर्नाटक में हुआ, वह तो कुछ और ही संकेत देता है। सिद्दारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में जिस प्रकार से कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी (AAP), भारत राष्ट्र समिति (BRS), युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (YSR) जैसों को जिस प्रकार बाहर का मार्ग दिखाया, वह अपने आप में कई अटकलों को हवा दी है, और साथ ही साथ ये प्रश्न भी छोड़ता है, “क्या विपक्षी एकता वास्तव में है?”
इस लेख में जानिये सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह के दांवपेंच, और ये भी जानिये कि कहीं कांग्रेस के लिए आम आदमी पार्टी उनकी नंबर 1 दुश्मन तो नहीं।
AAP, BRS, YSR कांग्रेस एवं अन्य को ठेंगा दिखाना
हाल ही में कर्नाटक में अप्रत्याशित विजय प्राप्त करने के बाद मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के उद्घाटन समारोह सम्पन्न हुआ। परंतु इस आयोजन से AAP, BRS, और YSR जैसे प्रमुख क्षेत्रीय खिलाड़ियों को बाहर करने के कांग्रेस पार्टी के फैसले ने एक नया विवाद खड़ा किया है। अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव के लिए जानी जाने वाली इन पार्टियों की अनुपस्थिति, कांग्रेस पार्टी की बेचैनी का संकेत देती है और एक मजबूत विरोधी के रूप में AAP की स्वीकृति की आशंकाओं को भी प्रबल बनाती है।
अब रोचक बात यह है कि समारोह में आमंत्रित किए गए लोगों में से कुछ ने ऐन वक्त पर इसे छोड़ने का फैसला किया। इसमें शीर्ष पर है TMC प्रमुख और बंगाल की “सुप्रीम लीडर” ममता बनर्जी, खंडित समाजवादी पार्टी के एकमेव ठेकेदार अखिलेश यादव इत्यादि। हालाँकि, जिस बात ने कइयों की त्योरीयां चढ़ाई, वह थी आम आदमी पार्टी का बहिष्कार, और उसी के संभावित परिणाम।
और पढ़ें: 2 दिन पूर्व तक कांग्रेस के राजदुलारे थे देवेगौड़ा। अब न घर के न घाट के
दिल्ली और पंजाब में AAP का डंका
यह कहना अनुचित नहीं होगा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप ने हाल के वर्षों में दिल्ली और पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण पैठ बनाई है। दिल्ली में, पार्टी ने सभी को चकित करते हुए 2020 के विधानसभा चुनावों में पुनः बहुमत प्राप्त किया । शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पानी की आपूर्ति जैसे मुद्दों पर पार्टी के फोकस ने मतदाताओं को प्रभावित किया, जिससे पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में आई। अब आप चाहे जो कहें, परंतु इस बात को नकार नहीं सकते कि आम आदमी पार्टी को भी जन समूहों को लुभाना आता है। इसी तरह, पंजाब में प्रचंड बहुमत के साथ आप को एक ऐसी राजनीतिक इकाई के रूप में विकसित किया, जिसे आप अनदेखा नहीं कर सकते।
हालांकि, एक और कारण है जिसके कारण आप का इस समारोह से बाहर करना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से “यस मेन” की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कांग्रेस पार्टी की लंबे समय से आलोचना की गई है। आंतरिक रूप से, पार्टी पर असहमति की आवाज़ों को दबाने और स्वतंत्र सोच को हतोत्साहित करने का आरोप लगाया गया है, जिससे नवीन रणनीतियों और नए विचारों की कमी हुई है। दासता की यह संस्कृति अक्सर बदलती राजनीतिक गतिशीलता के अनुकूल होने और मतदाताओं की आकांक्षाओं को प्रभावी ढंग से संबोधित करने की पार्टी की क्षमता में बाधा डालती है।
बाह्य रूप से, आप जैसे क्षेत्रीय खिलाड़ियों को स्वीकार करने और उनके साथ जुड़ने में कांग्रेस पार्टी की अनिच्छा वैकल्पिक शक्ति केंद्रों को स्वीकार करने के अपने प्रतिरोध को दर्शाती है। यह दृष्टिकोण पार्टी की गठबंधन बनाने और संभावित सहयोगियों के साथ पुल बनाने की क्षमता को सीमित करता है, अंततः राजनीतिक क्षेत्र में अपनी स्थिति को कमजोर करता है। आप, बीआरएस, और वाईएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियों के प्रभाव और प्रासंगिकता की अवहेलना करके, कांग्रेस पार्टी खुद को अलग-थलग करने और क्षेत्रीय राजनीति में प्रमुख खिलाड़ियों को और अलग-थलग करने का जोखिम उठा रही है।
और पढ़ें: Karnataka CM decision: डीके शिवकुमार सीएम बने तो ठीक, अन्यथा सिद्दारमैया खा जाएगा कर्नाटक को!
ऐसे में सिद्धारमैया के उद्घाटन समारोह से AAP, BRS, YSR, और अन्य को बाहर करने से कांग्रेस पार्टी की AAP की नंबर एक विरोधी के रूप में धारणा पर अनेक प्रश्न उठे हैं, और ऐसा स्वाभाविक भी है। अपनी चुनावी सफलताओं के कारण आम आदमी पार्टी अब एक प्रभावी राजनीतिक इकाई के रूप में स्थापित हो चुकी है। ऐसे में कांग्रेस ने न केवल आम आदमी पार्टी का, अपितु अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा का भी कार्य सरल बनाया है।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।