निर्मला सीतारमण ने ओबामा की दुखती रग पकड़ी!

बुरा फंसे रे ओबामा!

इस बार गलत समय पर गलत जगह मियां बराक हुसैन ओबामा ने गलत लोगों से पंगा लिया है। यदि किसी को लगता है कि हिमन्ता ने बुढ़ऊ के साथ अन्याय किया है, तो शायद वे निर्मला ताई की कुटाई के लिए तैयार नहीं थे। ओबामा और उसके भारतीय चमचों की क्लास लगाते हुए निर्मला सीतारमण ने ऐसी बात पर निशाना साधा, कि अब न उगलते बने न निगलते।

इस लेख में पढिये निर्मला ताई के नवीन व्यंग्यबाणों के बरे में, और क्यों ओबामा और उसके भारतीय चमचों की बिलबिलाहट देखने लायक होंगी।

ओबामा की बकैती और उसकी छद्म धमकी!

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति, बराक ओबामा ने ‘उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों’ पर अपना ‘दिव्य ज्ञान’ देकर विवादों का बखेड़ा खड़ा कर दिया । ओबामा ने मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से इन समुदायों के कल्याण के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने का आग्रह किया, जिसका अर्थ है कि इस तरह के आश्वासन के बिना, भारत संभावित रूप से “बिखर जाएगा!”

इन भड़काऊ टिप्पणियों को भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में प्रभावशाली हस्तियों से तत्काल और मजबूत प्रतिक्रिया मिली। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा अपनी आलोचना व्यक्त करने वाले पहले लोगों में से एक थे, उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी जो तेजी से वायरल हो गई। उनके शब्दों ने वामपंथी बिरादरी में हंगामा मचा दिया। परंतु उन्हे क्या पता था कि भारतीय वित्त मंत्री की ओर से आने वाली प्रतिक्रिया के समक्ष ये तो कुछ भी नहीं था।

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उल्टा चोर कोतवाल को डांटे!

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट तौर पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल के कुछ विवादास्पद पहलुओं को सामने लाकर ओबामा की आलोचना पर पलटवार किया। एक मास्टरस्ट्रोक की तरह, सीतारमण ने छह मुस्लिम-बहुल देशों में ओबामा द्वारा अधिकृत बम विस्फोटों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें 26,000 से अधिक बम गिराए गए। मंत्री ने एक ऐसे नेता से धार्मिक सहिष्णुता पर व्याख्यान प्राप्त करने की विडंबना को प्रदर्शित करते हुए कोई कसर नहीं छोड़ी, जिसके कार्यों ने दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय को काफी प्रभावित किया है। उनका तर्क स्पष्ट था : जो स्वयं मुस्लिम बाहुल्य देशों पर धावा बोलने में कोई संकोच न करे, वो ऐसे अल्पसंख्यकों के विषय पर भारत को ज्ञान दे रहा है?

सीतारमण का रुख एक रणनीतिक कदम था जिसने ओबामा की टिप्पणी के समय पर सवाल उठाया। प्रधानमंत्री मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका यात्रा के दौरान भारत की उनकी आलोचना प्रसारित की गई, जिसे सीतारमण ने आश्चर्यजनक और अनावश्यक पाया। उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया, लेकिन यह भी रेखांकित किया कि अनुचित हस्तक्षेप और आलोचना बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

इन आलोचनाओं के सामने, सीतारमण का तीखा जवाब भारतीय कूटनीति के एक नए युग की शुरुआत करता है। एक ऐसा युग जहां देश अपनी संप्रभुता का दावा करने और अंतरराष्ट्रीय आलोचना का डटकर सामना करने से नहीं डरता। एक ऐसा युग जो भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की इच्छा रखने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को एक कड़ा संदेश भेजता है।

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“अब ये पुराना भारत नहीं!”

ये प्रतिक्रियाएँ एक चेतावनी समान भी है : उन लोगों के लिए, जो अपने लाभ के लिए भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिवेश का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर 2024 में आम चुनावों से पहले। यह एक स्पष्ट घोषणा है कि भारत अब और ऐसी नौटंकी नहीं होने देगा, और न ही अंतर्राष्ट्रीय दबाव से प्रभावित अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेगा।

ऐसे में ओबामा की टिप्पणियों के मद्देनजर भारतीय नेताओं की प्रतिक्रिया ने नए भारत के लिए एक मिसाल कायम की है। एक ऐसा भारत जो अपने हितों की रक्षा करने, अपनी संप्रभुता की रक्षा करने और अन्यायपूर्ण अंतरराष्ट्रीय आलोचना के खिलाफ खड़े होने के लिए तैयार है। यह देश के कूटनीतिक दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जो साहसिक और अप्राप्य दृढ़ता के एक नए युग का प्रदर्शन करता है। यह एक नई सुबह है, और संदेश स्पष्ट है: भारत एक सक्रिय खिलाड़ी होगा, जो वैश्विक मंच पर अपनी संप्रभुता और अखंडता को मजबूती से बनाए रखेगा। शॉर्ट में, अब ये वो इंडिया नहीं जो वैश्विक मंचों पर मान मनौती के बाद भी मुँह की खाता था, अपितु डंके की चोट पर अपने अधिकारों के लिए लड़ेगा, और जीतेगा भी!

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