प्रख्यात भारतीय अभिनेता रजनीकांत पुनः चर्चा के केंद्र में है, परन्तु इस बार अपने यूपी दौरे के पीछे. “जेलर” की अपार सफलता के बाद वे तीर्थयात्रा पे निकले, जहाँ उन्होंने कई उत्तर भारतीय राज्यों की यात्रा की, जिसमें उत्तर प्रदेश भी सम्मिलित था! परन्तु अयोध्या यात्रा से पूर्व जिस प्रकार से ये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले, उससे कई लोग कुपित हुए, और फालतू का बखेड़ा खड़ा हो गया!
अपनी यात्रा के दौरान, रजनीकांत द्वारा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विनम्र अभिवादन अप्रत्याशित रूप से एक अनावश्यक विवाद में बदल गया है। योगी के पैर छूने के उनके इशारे से स्वघोषित तर्कवादियों में खलबली मच गई, जिन्होंने बिना किसी वैध कारण के उन्हें बदनाम करने का निर्णय लिया है।
आलोचक रजनीकांत को “नफ़रत फैलाने वाले के सामने झुकने” के लिए पाखंडी करार देते हैं, इस घटना को उनकी ईमानदारी पर हमला करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोगों ने “थलाइवा” के रूप में उनकी कद पर भी सवाल उठाया, कथित तौर पर “सांप्रदायिक ताकतों” के सामने झुकने के लिए उनकी आलोचना की!
फिर भी, इस उथल-पुथल के बीच, रजनीकांत अविचल और दृढ़ बने हुए हैं। जब गलती की ही नहीं, तो क्षमा किस बात की? रजनीकांत ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि श्रद्धेय योगियों और संन्यासियों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेने की उनकी प्रथा उम्र या पद से परे है। उन्होंने कहा, “महान योगियों या संन्यासियों के पैर छूना और अपने परिवार के लिए उनका आशीर्वाद लेना मेरी आदत है, भले ही वे मुझसे छोटे हों।” चूँकि योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री अथवा राजनेता होने से पूर्व गोरक्षनाथ पीठ के प्रमुख महंत भी है, तो उन्हें उसी दृष्टि से रजनीकांत ने सम्मान दिया!
Rajinikanth 🔥🔥
"It is my habit to touch the feet of great Yogis or Sanyasis and seek their blessings for my family, even if they are younger than me" pic.twitter.com/GD9XjpDA0x
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) August 21, 2023
Chennai, Tamil Nadu | It is my habit to touch the feet of Yogis or Sanyasis and take their blessings, even if they are younger to me, I have done that only: Actor Rajinikanth on meeting UP CM Yogi Adityanath and touching his feet pic.twitter.com/dPItSmLu2f
— ANI (@ANI) August 21, 2023
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यह शत-प्रतिशत स्पष्ट है कि रजनीकांत निश्चित रूप से अपने सहज भाव के लिए माफी नहीं मांगेंगे। इसके अतिरिक्त यह पहला मामला नहीं है जब इन्होने कथित तर्कवादियों एवं बुद्धिजीवियों के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ा हो. कथित सामाजिक कार्यकर्ता पेरियार के कट्टर अनुयायियों से भी इन्होने “दो दो हाथ किये हैं”। कुछ वर्ष पूर्व, अपेक्षाओं के विपरीत, रजनीकांत ने सार्वजनिक रूप से पेरियार की आलोचना की, जब उन्होंने 1970 के दशक की शुरुआत की एक घटना का खुलासा किया जिसमें भगवान राम और देवी सीता जैसे देवताओं को कथित तौर पर बड़े पैमाने पर अपमानित किया गया था – एक ऐसी घटना जिसे रजनीकांत ने “अस्वीकार्य” माना।
अब ऐसे में पेरियार के चमचे कैसे चुप रहते? रजनीकांत की मुखरता के परिणाम तत्काल और तीव्र थे, जिससे पेरियार द्वारा समर्थित द्रविड़ विचारधारा के कट्टर समर्थकों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। फिर भी, रजनीकांत दृढ़ रहे और दबाव के सामने झुकने से इनकार कर दिया। जिन लोगों का उन्होंने विरोध किया था उनके उग्र आक्रोश का सामना करने पर भी माफी मांगने से उनका दृढ़ इनकार, लोकप्रिय भावनाओं से परे सिद्धांतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
योगी आदित्यनाथ के प्रति रजनीकांत की हालिया श्रद्धा ने उन्हें विवाद के अनावश्यक भंवर में डाल दिया है। परन्तु अटूट संकल्प से प्रेरित उनका क्षमाप्रार्थी रुख, आलोचना के तूफ़ान के बावजूद स्टैंड लेने के उनके पिछले उदाहरणों को दर्शाता है। यह नवीनतम प्रकरण व्यक्तिगत सिद्धांतों, सामाजिक अपेक्षाओं और राजनीतिक दबावों की जटिल परस्पर क्रिया के प्रमाण के रूप में कार्य करता है, जो सार्वजनिक हस्तियों के कार्यों की बहुमुखी प्रकृति और उनके नतीजों की एक दिलचस्प झलक पेश करता है।
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