Indian cricket team sponsorship: सांस्कृतिक परिवेश में शुभ और अशुभ का अपना महत्वपूर्ण स्थान है, जैसे Friday the 13th, बिल्ली का रास्ता काटना इत्यादि! पर कभी आपने ऐसी संस्था की कल्पना की है, जिसके साथ जुड़ते हुए आपका फलता फूलता व्यवसाय नष्ट हो जाए? अगर हम आपको बताएं कि ये कोई और नहीं, अपनी बहुचर्चित भारतीय क्रिकेट टीम है, तो?
इंडियन क्रिकेट टीम की स्पॉन्सरशिप (Indian cricket team sponsorship) की कथा बड़ी विचित्र है. जो भी इसके साथ जुड़ता है, वह विनाश की ओर अग्रसर होता है. जुड़िये हमारे साथ भारतीय क्रिकेट टीम के स्पॉंसर्स की ऐसी कथा पे, जहाँ भारतीय क्रिकेट टीम को प्रायोजित करना ही इन लोगों के लिए सबसे बड़ा अभिशाप बन गया!
Wills [1993 – 2000]:
सर्वप्रथम विल्स की बात करते हैं! भारत के उदारीकरण के पश्चात् क्रिकेट टीम को स्पांसरशिप के लिए भी ऑफर आने लगे. १९९३ में विल्स ने इस अवसर को हथियाते हुए भारतीय क्रिकेट टीम का आधिकारिक स्पांसर बनने का बीड़ा उठाया.
विल्स केवल इतने पे नहीं रुका. इनका प्रभाव ऐसा था कि १९९६ में इन्होने एक पूरा क्रिकेट विश्व कप तक स्पांसर किया! १९९२ में ऐसे ही सिगरेट कम्पनी बेन्सन एन्ड हैजेस [Benson and Hedges] ने ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूज़ीलैंड में आयोजित विश्व कप के लिए किया, जहाँ पहली बार डे नाइट मैच, सफ़ेद गेंद एवं रंगीन जर्सी का उपयोग किया गया!
१९९९ में ICC द्वारा आधिकारिक रूप से मोर्चा सँभालने से पूर्व ऐसे ही निजी स्पांसर वर्ल्ड कप भी संचालित करते थे, चाहे प्रूडेंशल जैसी इन्शुरन्स कम्पनी हो, या फिर विल्स जैसी तम्बाकू कम्पनी! विल्स २००० तक भारतीय क्रिकेट टीम का आधिकारिक स्पांसर था, परन्तु मैच फिक्सिंग स्कैंडल का एक साइड इफेक्ट इनपे भी पड़ा. सरोगेट विज्ञापनों के लिए भारत में अधिनियम सख्त हो गए, जिसका दुष्परिणाम विल्स को भुगतना पड़ा, बावजूद इसके कि उसने एक प्रभावी रिटेल चेन खोल रखा था.
परन्तु कुछ भी कहिये, विल्स में एक बात अच्छी थी, अन्य स्पोंसर्स की तुलना में अपने कार्यकाल में ये एक बार भी किसी वित्तीय संकट या घोटाले में संलिप्त नहीं पाया गया! जब तक टीम के साथ थी, इसकी छवि स्वच्छ थी!
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Sahara [2001 – 2013]:
विल्स के निकासी के बाद कई दिग्गजों ने हाथ आजमाया, चाहे वह कोका कोला हो, या फिर ITC. परन्तु २००१ तक कोई भी विल्स जितना प्रभाव नहीं जमा पाया, और इसी बीच एंट्री हुई सहारा की!
२००१ में सहारा इंडिया ने भारतीय क्रिकेट को स्पांसर (Indian cricket team sponsorship) करने का बीड़ा उठाया. परन्तु इसके पश्चात् केवल भारतीय क्रिकेट का ही नहीं, अपितु सहारा प्रमुख, सुब्रत रॉय “सहाराश्री” का भी प्रभाव तेज़ी से बढ़ने लगा. क्रिकेट के अतिरिक्त सहारा ने कुछ समय तक हॉकी टीमों और बांग्लादेश की क्रिकेट टीम को भी स्पांसर किया. एक दशक से भी अधिक समय तक सहारा केवल एक स्पांसर नहीं था, ये भारतीय क्रिकेट टीम की पहचान बन चुका था.
क्रिकेट के अतिरिक्त सहारा ने अन्य खेलों में भी हाथ आजमाए. हॉकी के साथ इन्होने फार्मूला १ में भारत की टीम फ़ोर्स इंडिया को भी स्पांसर किया. साथ ही साथ बंधु के पास इतना धन था कि इन्होने अपने खुद की आईपीएल टीम भी खरीद ली. परन्तु २०१३ में इनके वित्तीय धांधली के भंडाफोड़ के पश्चात सब कुछ ताश के पत्तों की भांति बिखर गया!
Star India [2014 – 2017]:
अब स्टार इंडिया ने सहारा जैसी धांधली तो नहीं की, परन्तु भारतीय क्रिकेट के साथ इनका नाता अधिक न टिक पाया. मीडिया में अपने लिए एक विशिष्ट स्थान अर्जित कर चुकी स्टार इंडिया कम्पनी ने २०१४ में Indian cricket team sponsorship की आधिकारिक रूप से कमान संभाली. परन्तु जैसे ही डिज़्नी ने स्टार इंडिया एवं फॉक्स स्टार का अधिग्रहण किया, पासा पुनः पलट गया!
अब स्टार इंडिया स्वतंत्र रूप से आईपीएल की ब्रॉडकास्टिंग नहीं कर सकता है. धीरे धीरे स्ट्रीमिंग जगत में जियो के बढ़ते प्रभाव ने स्टार के लिए स्थिति बद से बदतर बना दी. आज स्थिति ये है कि स्वयं डिज़्नी स्टार इंडिया से पीछा छुड़ाना चाहता है!
Oppo [2017 – 2019]:
कुछ समय चीन का भी भारतीय स्पोर्ट्स में प्रभाव कम नहीं था! एक समय ऐसा भी था, जब हमारे ओलम्पिक टीम को ली निंग स्पांसर करता था, आईपीएल का प्रायोजन वीवो के हाथ में था, और भारतीय क्रिकेट टीम का स्पॉन्सरशिप तो ओप्पो के हाथ में था!
स्टार इंडिया की दुर्गति के बाद ओप्पो ने BCCI से बात कर भारतीय क्रिकेट टीम की स्पॉन्सरशिप हथियाई। परन्तु सीमा पर बढ़ते तनाव, और चीन की हेकड़ी के पीछे ओप्पो से ये अवसर भी छीन लिया गया. आज स्मार्टफोन जगत में भी ओप्पो की चर्चा पहले जितनी नहीं होती, और भारतीय एजेंसियों से पन्गा लेना उसके लिए श्रेयस्कर भी नहीं होगा!
BYJUs [2019 – 2023]:
२०१९ में ओप्पो को निकालने के बाद ३५ मिलियन डॉलर में एडटेक फर्म BYJUs ने Indian cricket team sponsorship हेतु संधि की! अगर आप ध्यान से देखें, तो भारतीय क्रिकेट टीम के स्पॉन्सरशिप के परिप्रेक्ष्य में सहारा और BYJUs की यात्रा अधिक भिन्न नहीं रही है.
परन्तु सहारा की भांति BYJUs का सफर भी बहुत सुहावना नहीं था. उलटे इस एडटेक फर्म की दुर्गति सहारा से भी तेज़ी से हुई. छंटनी होने लगी, और इसी बीच BYJUs ने लियोन मेस्सी को अपना ब्रांड एम्बेस्डर भी बनाया! ये तो वही बात हुई, आग लगे बस्ती में, हम अपनी मस्ती में!
परन्तु इतना सब होने के बाद भी BYJUs की डूबती नैया को कोई सहारा नहीं मिला. २०२३ में BYJUs को अंतत: भारतीय क्रिकेट टीम की स्पॉन्सरशिप एग्रीमेंट से हाथ धोना पड़ा. इसके अभी BYJUs को ऑडिटर के resignation, वित्तीय रिपोर्टिंग में विलम्ब जैसे संकटों का सामना करना पड़ रहा है, और अभी तो हमने सरकारी पूछताछ पर प्रकाश भी नहीं डाला है!
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Dream 11 [2023 – Present]:
अब ऐसे समय में ड्रीम 11 ने सोचा, क्यों न बहती गंगा में हम भी हाथ धो लें? सो इन्होने आईपीएल के प्रायोजन से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी स्पांसर करने का बीड़ा भी उठा लिया। परन्तु इन्हे दुकान जमाये दो महीने भी न हुए, कि इन्हे सरकार से ४४० वोल्ट का झटका लगा. असल में कुछ समय पूर्व फैंटसी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स [जिसमें ड्रीम ११ भी सम्मिलित है] पर २८ प्रतिशत का GST लगाने का निर्णय लिया गया. इससे न केवल ड्रीम ११ के लिए आगे की राह कठिन होगी, अपितु भारतीय क्रिकेट टीम को स्पॉंसर करने की उसकी प्रतिबद्धता करने पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है!
ब्रांड विशेषज्ञ हरीश बिजूर के अनुसार भारत में भांति भांति की प्रथाओं और रीतियों में लोगों का विश्वास दृढ है, चाहे कुछ के लिए वह अन्धविश्वास ही क्यों न हो. इससे राजनेता, खिलाड़ी एवं अन्य हस्तियां भी अछूते नहीं रहे, और ऐसे में किसी ब्रांड से जुड़ा दुर्भाग्य सच भी हो सकता है. हरीश के अनुसार, “पहली बार दुर्घटना हो सकती है, दूसरी बार संयोग, तीसरी बार एक पैटर्न, और चौथी बार ये एक संकेत में परिवर्तित हो जाता है!” ऐसे में भारतीय क्रिकेट टीम के स्पॉन्सरशिप का अभिशाप भले ही अकल्पनीय हो, परन्तु असत्य नहीं!
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