इज़राएल हमले को उचित ठहराने पर ज़ुबैर की हुई ‘वैश्विक कुटाई’!

करवा ली बेइज़्ज़ती?

फेक न्यूज़ शिरोमणि मोहम्मद ज़ुबैर किसी परिचय के मोहताज नहीं! मोहम्मद ज़ुबैर जब भी फैक्ट चेक करते हैं, या तो किसी के जीवन को खतरे में डालते हैं, और नहीं तो अराजकता फैलाने वालों का गजब बचाव करते हैं। असामाजिक तत्वों के PR में ये तो रवीश कुमार तक को टक्कर देते हैं!

‘हिट एन्ड रन’ रणनीति को अपने प्रोपगैंडा से नई परिभाषा देने वाले इस महानुभाव ने एक बार फिर वही किया जिसके लिए मोहम्मद ज़ुबैर काफी कुख्यात है: फैक्ट चेक के नाम पर फेक न्यूज़ को फैलाना और अपराधियों को उचित ठहराना। परन्तु इस बार इन्होने एक छोटी सी गलती कर दी: इन्होने इज़राएल के आतंकी हमलों के परिप्रेक्ष्य में इज़राएल को झूठा सिद्ध करने और हमास के आतंकियों का पक्ष लिया!

अब क्या था, इनकी ऑनलाइन कुटाई होनी तय थी, और वही हुआ भी।  जुबैर के बेतुके दावों पर इजरायली प्रशासन भी संज्ञान ले रहा है, और अगर आप उनके हिटलिस्ट पर आ गए, तो फिर चाहे ऑनलाइन या ऑफलाइन, आपका बचना लगभग असम्भव है।

तो, आज हम एक बार फिर चलते हैं मोहम्मद ज़ुबैर की अजब गजब दुनिया में, और जानेंगे कि क्यों इस बार ज़ुबैर का एजेण्डावाद यदि उसके विनाश का नहीं, तो उसकी प्रतिबद्धता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाने और उपहास का विषय अवश्य बनाएगा!

बस बहुत हो गया!

परन्तु ऐसा भी क्या किया मियां मोहम्मद ज़ुबैर ने, जो उसके पीछे केवल भारत के नहीं, अपितु कई देशों के राजनयिक एवं विचारक पीछे पड़ गए हैं? असल में जब से हमास ने इज़राएल पर धावा बोला है, इज़राएल ने उसे मिटटी में मिलाने का अटल संकल्प लिया है! अब इस विषय में जहाँ कुछ इज़राएल का निस्संकोच समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ निष्पक्षता के नाम पर दोनों पक्षों की सहानुभूति बटोरना चाहते हैं!

परन्तु कुछ मोहम्मद ज़ुबैर जैसे भी हैं, जो स्पष्ट तौर पर हमास के हर बर्बर कृत्य को उचित ठहराने के लिए नैतिकता को तार तार करने के लिए भी तैयार है! इसी के पीछे वे वैश्विक चर्चा का विषय भी बन चुके हैं, और इन्हे अब चौतरफा आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है! उदाहरण के लिए अमेरिकी पत्रकार एमी मेक ने सार्वजानिक किया कि कैसे ज़ुबैर उनके जैसे लोगों के पीछे हाथ धोकर पड़ गया, जो हमास के काले करतूतों को सार्वजानिक करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं!

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एक्स [पूर्व में ट्विटर] पे अपने अकाउंट पे उन्होंने पोस्ट किया, “ऐसा लगता है कि मोहम्मद जुबैर नाम का एक व्यक्ति है जो ऑल्ट न्यूज़ नामक वामपंथी दुष्प्रचार साइट चलाता है। वह हमास के प्रचार को उजागर करने के लिए मुझे और अन्य रूढ़िवादियों को बदनाम करने का प्रयास कर रहा है। यह वही यहूदी-विरोधी/हिंदू-विरोधी व्यक्ति है जिसने नूपुर शर्मा को निशाना बनाया और उनकी जान को खतरे में डाला?”

मोहम्मद जुबैर न केवल खुलेआम निर्दोष इजरायलियों की दुखद मौतों का मजाक उड़ा रहे हैं, बल्कि वह हमास द्वारा किए गए अक्षम्य अत्याचारों का बचाव करने के लिए भी काफी हद तक जा रहे हैं। वह यहां तक कह रहा है कि इजरायलियों द्वारा जारी की गई मृतकों की तस्वीरें एक चाल, चतुराई से गढ़े गए भ्रम के अलावा और कुछ नहीं हैं।

स्वयं इज़रायली प्रशासन भी अब मोहम्मद ज़ुबैर की फैक्ट चेक की खबर ले रहा है. वर्तमान महावाणिज्य दूत कोबी शोशानी ने ज़ुबैर को दर्पण दिखाते हुए एक्स पर पोस्ट किया: “प्रिय ज़ुबैर, इज़राइल के बारे में फर्जी खबरें और नफरत फैलाना बंद करें। यदि आप वास्तव में खुद को तथ्य-जांचकर्ता मानते हैं, तो इज़राइल जाएं।” क्यों ज़ुबैर, करवा ली बेइज़्ज़ती?

निर्लज्जता का दूसरा नाम, मोहम्मद ज़ुबैर!

फैक्ट चेकिंग के आदर्श जगत में, आप सटीकता, विश्वसनीयता और शायद थोड़ी बेसिक होमवर्क की अपेक्षा करेंगे। लेकिन यहां बात हो मोहम्मद ज़ुबैर की , जिनके लिए तथ्य और निष्पक्षता इनके शब्दकोष में है ही नहीं! पूर्वाग्रह से ग्रसित इस व्यक्ति ने अपने एजेण्डावाद के नाम पर न जाने कितने लोगों का जीवन खतरे में डाला है, और कितने लोगों की बलि चढ़ाई है।

लेकिन क्या ज़ुबैर को अपने किये पर कोई पछतावा है? बिलकुल नहीं, उलटे महोदय ऐसे विक्टिम कार्ड खेलते हैं, जिसको देख स्वयं ध्रुव राठी जैसे फेक न्यूज़ शिरोमणि एक बार को सभ्य पुरुष लगने लगे!

उसने इज़रायली प्रशासन पर उसको टारगेट करने का आरोप लगाया है, और जो कोई भी उसकी आलोचना करता है, उलटे उसे ही धमकाने पर उतर आता है। उदाहरण में सऊदी अरब में स्थित ट्विटर बेस्ड भूराजनीतिक विश्लेषक, ज़हाक तनवीर को इनकी कुछ बातें बिलकुल रास नहीं आई। उन्होंने यह कहते हुए ज़ुबैर की लताड़ लगाईं कि जुबैर इज़राएल के विरुद्ध अपने एजेंडे के लिए बेसिर पैर की रिपोर्टिंग कर रहा है।

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इसपे ज़ुबैर ने तनवीर के AIMIM से सम्बन्ध पर कटाक्ष करने का प्रयास किया, तो तनवीर महोदय उसके लिए भी पूरी तरह तैयार बैठे थे! एक ही ट्वीट में उसकी नौटंकियों को उजागर करते हुए कहा, “हां, हर कोई आपके जैसा धोखेबाज नहीं है, मोहम्मद जुबैर, जिनके पोस्ट कट्टरपंथी वामपंथियों और कम्युनिस्टों के एक समूह द्वारा लिखे और प्रायोजित किए जाते हैं।हाँ, मैंने हैदराबाद में एआईएमआईएम के लिए प्रचार किया, तो? भारत सरकार के खिलाफ वामपंथी कथा भी प्रकाशित की। मेरे कई दोस्त और रिश्तेदार ओवेसी के कट्टर प्रशंसक हैं। तो?”

अगर CJI चंद्रचूड़ कुछ ज़्यादा मेहरबान न हुए होते, तो मोहम्मद ज़ुबैर अपने कर्मों के लिए कालकोठरी में सड़ रहे होते! परन्तु शायद उसका भी एक उद्देश्य था, ताकि वैश्विक स्तर पर इनकी सार्वजनिक बेइज़्ज़ती हो! जुबैर निस्संदेह एक खतरा है, लेकिन वह अजेय सुपरहीरो नहीं है जैसा वह सोचता है कि वह है।

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