कर्मचारियों को वेतन देने के लिए महानगर बेंगलुरु में स्थित घर को गिरबी रख रहे हैं।
कैश बर्न को कम करने के लिए बड़े और महत्वपूर्ण दफ़्तरों को एक एक कर बंद कर रहे हैं।
सरकारी एजेंसियां उन पर विदेशी मुद्रा के उल्लंघन का आरोप लगा रही हैं।
निवेशक सवाल के घेरों में अलग ले रहे है ।
और अब, बीसीसीआई के साथ कानूनी लड़ाई।
यह पटकथा, एक कड़वी कहानी, निश्चित रूप से BYJU रवींद्रन ने कभी अपने लिए नहीं चाहा होगा।
एक समय भारत के सबसे सफल स्टार्टअप के रूप में उभरे एड-टेक दिग्गज बायजू अब खुद को कानूनी लड़ाई और वित्तीय उथल-पुथल के जाल में उलझा हुआ पा रहा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बी. सी. सी. आई.) ने बायजू पर 18 मिलियन डॉलर का मुकदमा दायर किया है, जिससे BYJU’s और कंपनी के मालिक रवींद्रन फिर से चर्चा का विषय बन गए हैं ।
कथा शुरू हुई 2019 में जब बायजू ने बड़े उत्साह के साथ अपने प्रायोजक के रूप में भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी को चुना. हालाँकि, साझेदारी 2022 में कठिन मोर में पहुँच गई जब ऋण संकट से जूझ रहे बायजू ने समय से पहले प्रायोजन सौदे को समाप्त कर दिया।
नवंबर 2022, में बायजू की ओर से बीसीसीआई को एक ईमेल के द्वारा टी20 विश्व कप के बाद उनके अनुबंध को समाप्त करने का अनुरोध किया गया। परन्तु बात न बनी और, बी. सी. सी. आई. ने बायजू से कम से कम 31 मार्च, 2023 तक साझेदारी बढ़ाने का आग्रह किया।
और देखते देखते यह अनुबंध आज कानूनी लड़ाई का रूप ले चुकी है और अब यह कानूनी लड़ाई राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की बेंगलुरु पीठ तक पहुँच गयी है, जहां आर्गस पार्टनर्स द्वारा प्रतिनिधित्व की गई बीसीसीआई की शिकायत दर्ज की गई है।
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न्यायमूर्ति के. बिस्वाल और न्यायमूर्ति मनोज दुबे ने अगली सुनवाई 22 दिसंबर के लिए निर्धारित किया है। यह बायजू के लिए फिर से एक तगड़ा झटका है, क्योंकि एड-टेक स्टार्टअप कई चुनौतियों से पहले से ही जूझ रहा है।
इस कानूनी संघर्ष के बीच, बायजू के संस्थापक, बायजू रवींद्रन, अपने हालिया वित्तीय तूफान से निपटने के लिए अजब गजब उपाय करते नजर आ रहे हैं। एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए, रवींद्रन ने कथित तौर अपनी डूबती कंपनी की नैया पार लगाने के लिए अपने परिवार के घरों सहित अपने घरों को गिरवी रख दिया है।
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जिसमे बेंगलुरु के दो घर और आलीशान एप्सिलॉन गेटेड समुदाय में एक निर्माणाधीन विला 12 मिलियन डॉलर के ऋण के लिए रवींद्रन गिरबी रख रहे हैं।
यह वित्तीय संघर्ष बायजू के सफलता के दिनों से एकदम विपरीत है जब उनकी कंपनी का मूल्य लगभग 5 बिलियन डॉलर था। रवींद्रन, जो कभी अरबपति थे, अब व्यक्तिगत स्तर पर लगभग 40 करोड़ डॉलर के ऋण का सामना कर रहे हैं, बताते चलें की इन्होने मूल कंपनी में अपने सभी शेयर गिरवी रख दिया है।
यहां तक कि हाल के वर्षों में शेयर बिक्री के माध्यम से जुटाए गए 80 करोड़ डॉलर को भी कंपनी में फिर से निवेश किया गया है, जो रवींद्रन की वित्तीय संकट की ओर इशारा करता है।
कंपनी, जो कभी अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंच गई थी, आज खेल में बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है।
एक अन्य रिपोर्ट बताती है कि बायजू अपने अमेरिका स्थित बच्चों के डिजिटल रीडिंग प्लेटफॉर्म को लगभग 40 करोड़ डॉलर में बेचने की प्रक्रिया में है। इसके अतिरिक्त, लेनदारों के साथ एक कानूनी लड़ाई अलग चल रही है.
बताते चलें कि यह वही बैजू’स है जो एक बार इनके आंतरिक वित्तीय संकट की कठोर वास्तविकता पर प्रकाश डालने के लिए हमारे पीछे पड़ गया था। BYJU’s की सह-संस्थापक दिव्या गोकुलनाथ ने लिंक्डइन पर कंपनी का बचाव करते हुए हमें एक लंबा उपदेश दिया था । लेकिन कहते हैं न समय का पहिया बदलते देर नहीं लगती और न्याय किसी से परहेज नहीं करती । आज समय ऐसा है की, बायजूस हॉट सीट पर है और सभी तरफ से जांच का सामना कर रहा है, और देखने वाली बात तो यह है की आज BYJU’s अपने बचाव में चुप्पी साधे बैठा दिखाई दे रहा है ।
देखिये हम एक ऐसे राष्ट्र में जहां घर केवल ईंटों और गारे और उससे बनी महज ईमारत नहीं होती, अपने देश में घर भावनाओ का एक भवन है और वंहा आज रवीन्द्रन का अपनी कंपनी को जीवित रखने के लिए घर गिरबी रखना उनके वित्तीय संकट को प्रत्यक्ष रूप से उजागर करता है।
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कहना गलत नहीं होगा की सत्य तो इससे भी अत्यंत गम्भीर है की बायजू, जो कभी सफलता का पर्याय था, अब जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहा है। भारतीय परिवारों के भावनात्मक मूल को मूर्त रूप देने वाले घर जब गिरबी रखा जाए तो, तो समझिए BYJU’S के लिए आज के समय में समस्या काफी गंभीर और दयनीय है.
और जले पर नमक चिकने का काम ईडी ने किया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में बायजू के पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न और इसके CEO बायजू रवींद्रन को नोटिस जारी किया है। नोटिस में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जिसमें 9,362.35 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।
BYJU’s ऐसे स्टार्टअप में से एक जो कभी अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंच गया था, परन्तु अब वित्तीय संकट, कानूनी लड़ाई और एक कलंकित प्रतिष्ठा से जूझ रहा है। यह बी. सी. सी. आई. का 18 मिलियन डॉलर का मुकदमा रवीन्द्रन के जीवन के जटिल पहेली का सिर्फ एक हिस्सा है जो बायजू के दयनीय वर्तमान का साक्षी है।
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