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वे तीन कलाकार जो deserve करते हैं राष्ट्रीय पुरस्कार

Atul Kumar Mishra द्वारा Atul Kumar Mishra
3 January 2024
in चलचित्र
वे तीन कलाकार जो deserve करते हैं राष्ट्रीय पुरस्कार
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2023 बॉलीवुड में boxoffice तोड़ फिल्मों का वर्ष था, जिसमें एनिमल, जवान, पठान और सनी देओल की गदर 2 जैसी भयंकर हिट फिल्में थीं। लेकिन इस साल कुछ ऐसी फिल्में भी आई जिन्होने अनायास ही ह्रदय को ऐसे स्पर्श किया कि हम कलाकारों के साथ हँसे भी और रोये भी।

ऐसी हीं तीन फिल्में हैं जो तनिक और प्रेम और मान्यता की हकदार थीं क्योंकि इनमें अभिनेताओं ने अभिनय कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जिससे दर्शक सन्न रह गए। विक्रांत मैसी की 12th Fail, विक्की कौशल की सैम बहादुर और अभिषेक बच्चन की घूमर, कुछ ऐसी उत्कृष्ट फिल्में थीं जिन्हें लोगों से थोड़ी और प्रशंसा मिलनी चाहिए थी। मुख्य अभिनेताओं ने पात्रों के चित्रण, विषय की गहराई और मानवीय भावनाओं को इतने आकर्षक तरीके से चित्रित किया, कि आलोचक आलोचक से प्रशंसक बन गए और यही कारण है कि ये तीनों अभिनेता राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के सर्वथा योग्य हैं।

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विक्की कौशल से प्रारंभ करते हैं, फिल्म ‘सैम बहादुर’ में सैम मानेकशॉ का उनका चित्रण असाधारण से कम नहीं है, जो एक अभिनेता के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित करता है। आलोचकों के अनुसार एक larger than life चरित्र को आत्मसात करना कोई सरल कार्य नहीं है, परन्तु जिसका नाम ही कौशल है, उससे कुशलता की आशा तो की ही जा सकती है। विक्की अपने अभिनय से भारत के महानतम फील्ड मार्शल के प्रेरक व्यक्तित्व, दृढ़ संकल्प, तीक्ष्ण बुद्धि और अत्यंत ही सहज हंसमुख व्यक्तित्व को कौशल से दर्शातें है। कौशल सैम मानेकशॉ के बहुआयामी व्यक्तित्व को, चाहे वह एक नौजवान कैडेट हों या अदम्य शौर्य और इच्छा शक्ति से ओतप्रोत रणनीतिकार हों, सबको उत्कृष्ट शैली से दर्शाते हैं। उनका चित्रण मानेकशॉ के चरित्र की बारीकियों को सुन्दरता से दर्शाता है।

Vicky Kaushal Unveils Poster for 'Sam Bahadur' - The Statesman

जो बात कौशल को अलग करती है, वह है चरित्र की भावनात्मक गहराई को व्यक्त करने की उनकी क्षमता, जिससे दर्शक मानेकशॉ के कंधे पर टिके सेना के भार और उनके निर्णयों के प्रभाव को सहजता से अनुभव करते हैं। उनके भाव और उनकी उपस्थिति फील्ड मार्शल सैम मानेकशा के जीवन को सिनेमा के परदे पर ऐसे उतारते हैं, जिससे हर दृश्य सम्मोहक और हर शब्द स्मरणीय हो जाता है।

ऐसी फिल्मों में पार्श्वसंगीत महत्वपूर्ण घटनाओं पर हावी हो जाता है, परन्तु कौशल का प्रदर्शन संगीत के मध्य, दृश्य का एक अद्भुत और विहंगम चित्र प्रदर्शित करता है। यह चित्रण निस्संदेह उनकी सबसे चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं में से एक है, जो न केवल उनके अभिनय कौशल को दर्शाता है, बल्कि ऐतिहासिक विभूतियों को प्रामाणिकता के साथ जीवंत करने के प्रति उनके समर्पण को भी दर्शाता है। ‘सैम बहादुर’ में विक्की कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन प्रशंसा के योग्य है, और एक राष्ट्रीय पुरस्कार उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उपयुक्त मान्यता होगी।

12th Fail में विक्रांत मैसी के प्रदर्शन की बात करें तो यह फिल्म एक अभिनेता के रूप में उनके समर्पण और उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाती है, इस फिल्म से मैसी को प्रथम बार एक राष्ट्रीय ख्याति मिली और संभवतः राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल जाए। इस फिल्म में मैसी एक बागी तरुण हैं, एक लाचार प्रेमी हैं, एक निर्धन किशोर हैं, एक दुखार्त पुत्र हैं, अपनी दादी को खोजते एक पोते हैं और किसी भी परिस्थिति में पुस्तक का त्याग नहीं करने वाला विद्यार्थी हैं। आई. पी. एस. अधिकारी बनने की ललक रखने वाले, चम्बल के एक युवा लड़के मनोज कुमार शर्मा का उनका चित्रण अद्भुत है, क्योंकि मैसी चरित्र को प्रामाणिक रूप से मूर्त रूप देने के लिए हर सीमा का उल्लंघन कर जाते है।

12th Fail Review - Rediff.com

शारीरिक परिवर्तन जैसे वजन कम करने और 36 साल की उम्र में एक 19 वर्षीय तरुण को चित्रित करने के लिए अपने व्यक्तित्व में परिवर्तन करना, सब मैसी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अपने वजन को नियंत्रित रखने हेतु मैसी ने 20 दिनों से अधिक समय तक अर्ध-तरल और मसालाविहीन भोजन का आहार लिया।

चरित्र की प्रामाणिकता के लिए वे इतनी दूर तक गए, कि शूटिंग प्रक्रिया के दौरान उन्हें त्वचा की एक बीमारी ने भी आ घेरा । निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म के 80% हिस्से को अनुक्रम में शूट करने का विकल्प चुना, जिसने मैसी के कार्य की जटिलता को और बढ़ा दिया, उन्हें शूटिंग के दौरान खोए हुए वजन को पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता होती थी, पर विक्रांत ने हार न मानी, जैसा कि फिल्म का टैगलाइन भी है – हार नहीं मानूंगा।

अपने कार्य के प्रति मैसी की प्रतिबद्धता, शारीरिक परिवर्तन, उनके सामने आने वाली चुनौतियों और उनका उन चुनातियों पर विजय पाकर एक उत्कृष्ट प्रदर्शन देना, इन सबने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए एक मजबूत दावेदार बना दिया है।

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और तब आते हैं, व्यक्तिगत और व्यावसायिक चुनौतियों का सामना करने वाले, एक सिरफिरे कोच के रूप में एक असहाय महिला के प्रारब्ध को बदलने वाले अभिषेक बच्चन। फिल्म ‘घूमर’ में अभिषेक बच्चन का प्रदर्शन संभवतः राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए सर्वाधिक योग्य है। वे सैयामी खेर के चरित्र को एक परिवर्तनकारी यात्रा की और अग्रसर करते हैं। सैयामी जो एक होनहार बल्लेबाज से एक बिना हाथ की अपंग बन जाती हैं, उन्हें एक अनोखा स्पिनर बनाने में अभिषेक बच्चन कभी क्रूरता से तो कभी परिहास से तो कभी कभी हिंसक वचनों की सान पर एक टूटी हुई खिलाड़ी को धार देते हैं। बच्चन एक दुखी, क्षुब्ध और पीड़ित आत्मा हैं पर उसका चित्रण मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। फिल्म उनके प्रभावशाली एकालाप के समय अपने चरम पर पहुंचती है, जो उनके चरित्र के जीवन की जटिलताओं को उजागर करती है। उस मोनोलॉग में वे विजेताओं, पराजितों और जादू की बात करते हैं और जब वे कहते हैं कि “एक बार magic feel करना है” तब अभिषेक बच्चन नायक से एक अतिनायक में परिवर्तित हो जाते हैं और तब लगता है कि बॉलीवुड ने इस रत्न की चमक को कभी नहीं पहचाना। संभवतः सदी के महानायक का पुत्र होना ही उनके लिए गले की हड्डी बन गया।

और पढ़ें: ‘स्टार किड’ होना भी किसी अभिशाप से कम नहीं है, विश्वास नहीं होता तो अभिषेक बच्चन को देखिए

Ghoomer Movie Review | दिल को छू देने वाली क्रिकेटर की कहानी, जाने पूरा रिव्यू | Great Story - filmytalkie

बच्चन निर्बाध रूप से एक परिष्कृत प्रशिक्षक के रूप में विकसित होते हैं, और इस परिवर्तन के हर विवरण को प्रामाणिक रूप से उन्होनें चित्रित किया है। वास्तव में विलक्षण कोच पैडी के रूप में अभिषेक इतने प्रभावशाली हैं कि उनके महान पिता अमिताभ बच्चन का कैमियो मामूली, यहां तक कि अनावश्यक भी लगता है। ‘घूमर’ अभिषेक के करियर में एक मील का पत्थर है, जो उनकी प्रतिभा की उल्लेखनीय यात्रा को दर्शाती है। और उस यात्रा में युवा, गुरु, दसवी, सरकार 2 और बॉब विश्वास जैसे मील के पत्थर हैं।

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लोग फिल्म के रिलीज होने के बाद से ही इसकी प्रशंसा कर रहे हैं। एक यूजर ने कहा-“घूमर एक उत्कृष्ट कृति है और अभिषेक बच्चन का प्रदर्शन इसे अलग ही स्तर पर ले जाता है”।

पारंपरिक सुपरहिट फार्मूला वाली बॉलीवुड फिल्मों से भरे एक साल में, ‘सैम बहादुर’ में विक्की कौशल, 12th Fail में विक्रांत मैसी और ‘घूमर’ में अभिषेक बच्चन शीर्ष स्तर के कलाकारों के रूप में चमकते हैं। ये अभिनेता, अपने वास्तविक और समर्पित अभिनय के साथ, ऐसे पात्रों को जीवंत करते हैं जो दर्शकों के साथ गहराई से जुड़ते हैं। ये तीनों ही अभिनेता राष्ट्रीय पुरस्कार के योग्य है।

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