स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और उसे भुनाने वाले का नाम और पैसे की जानकारी चुनाव आयोग को दे दिया था। अब चुनाव आयोग ने सभी चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों की सूची जारी कर दी है। गौरतलब है कि कुल 22, 271 बॉन्ड खरीदे गए थे।
हालांकि, इस सूची में किसने-किसको चंदा दिया यह पता नहीं चल रहा है। दोनों लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों और इन्हें भुनाने वालों के तो नाम हैं लेकिन यह पता नहीं चल रहा है कि पैसा किस पार्टी को दिया। 1,334 कंपनियों और लोगों ने 5 साल में 16,518 करोड़ के बॉन्ड खरीदे हैं।
ये सभी कंपनी इस डेटा में हैं शामिल
चुनाव आयोग द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड के खरीदारों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज में जो कंपनी शामिल है। उनके नाम इस प्रकार से हैं- मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, और सन फार्मा आदि शामिल हैं।
इस पीडीएफ में देखें इलेक्टोरल बॉन्ड किसने खरीदे:-
पार्टियों को मिला चंदा
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़े में जो पार्टियां शामिल हैं उनमें हैं- डीएमके, जेडीएस, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू, राजद, आप, एसपी को भी चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा मिला है। वहीं इनके अलावा चुनावी बॉन्ड के माध्यम से धन प्राप्त करने वालों में भाजपा, कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, बीआरएस, शिव सेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस शामिल हैं।
इस पीडीएफ में देखें किस पार्टी ने इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए:-
क्या थी चुनावी बॉन्ड स्कीम, कब हुई थी शुरू
मोदी सरकार ने 2018 में चुनावी बॉन्ड स्कीम की शुरुआत की थी। तब सरकार ने दलील दी थी कि इससे राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग में पारदर्शिता आएगी। इसे राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में देखा गया था।
चुनावी बॉन्ड स्कीम के जरिए चंदा ऐसे राजीनीतिक दल हासिल कर सकते थे, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के तहत रजिस्टर्ड हैं और जिन्हें पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत से अधिक वोट मिले हों।
SC ने चुनावी बॉन्ड का ब्योरा सार्वजनिक करने का दिया था आदेश
उल्लेखनीय है कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी 2019 को दिए ऐतिहासिक फैसले में केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए खत्म कर दिया था और चुनाव आयोग को चंदादाताओं, उनके द्वारा दिए गए चंदे और चंदा पाने वालों का ब्योरा उजागर करने का निर्देश दिया था।
वहीं, इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बॉन्ड का ब्योरा सार्वजनिक करने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था। जिस आवेदन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
किस बॉन्ड को कौन सी पार्टी ने भुनाया इसकी जानकारी नहीं
वहीं, पूरे ब्योरे में इस बात की जानकारी नहीं है कि किस बॉन्ड को कौनसी पार्टी ने भुनाया है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि किसने किस पार्टी को चंदा दिया। 5 जनवरी से 10 जनवरी 2022 के बीच कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना, तृणमूल तकरीबन सभी पार्टियों ने चुनावी बॉन्ड भुनाए हैं। ये जरूर है कि सबसे बड़ी राशि भाजपा ने भुनाई है। लेकिन ये कोई छिपा तथ्य नहीं है कि चुनावी बॉन्ड योजना में सबसे अधिक करीब 80 फीसदी चंदा भाजपा को मिला है।