कुछ दिनों पहले, इंटरनेट पर इजरायल द्वारा राफा पर किए गए हमलें में मारे गए 40 से ज्यादा लोगों की मौत पर भारत की सिनेमा इंडस्ट्री के प्रमुख सेलिब्रिटीज ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से “ALL EYES ON RAFA” के पोस्टर डालकर बहुत घड़ियाली आंसू बहाहे थे। लेकिन कल यानी 9 जून रविवार को जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई और 33 अन्य लोग घायल हो गए। जिसके बाद से इन्हीं मानवता के ठेकेदारों ने इस इस्लामिक आतंकवादी हमले पर चुप्पी साध रखी है।
हमला और इसके बाद की स्थिति
दरअसल, कल शाम तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक 53-सीटर बस पर जम्मू के रियासी में आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया। यह बस शिव खोरी गुफा मंदिर से माता वैष्णो देवी मंदिर जा रही थी, जब इसे गोलीबारी का निशाना बनाया गया। इस हमले में बस सड़क से हटकर गहरे खड्ड में गिर गई। इस हमले में 9 तीर्थयात्रियों की दुखद मौत हो गई, जिसमें एक बच्चा भी शामिल था, और 33 अन्य घायल हो गए।
प्रतिक्रिया और निंदा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस आतंकवादी हमले की निंदा की और इसे “मानवता के खिलाफ अपराध” बताया। उन्होंने अपनी गहरी शोक व्यक्त की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हमले की निंदा की और लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा को स्थिति पर कड़ी नजर रखने और प्रभावित परिवारों को सभी संभव सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस जघन्य कृत्य के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।
सुरक्षा उपाय और आधिकारिक प्रतिक्रियाएं
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने वादा किया कि इस हमले के जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा दी जाएगी। उन्होंने जनता को आश्वस्त किया कि सुरक्षा बल आतंकवादियों को पकड़ने के लिए एक संयुक्त अभियान चला रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अपनी शोक व्यक्त की और इस घटना की पूरी जांच की मांग की।
आतंकवादी हमला कैसे हुआ
रियासी एसएसपी मोहिता शर्मा के अनुसार, बस पर लगभग सांय 6:15 बजे पउनी के कंदा क्षेत्र के पास हमला किया गया। गोलीबारी के कारण चालक ने नियंत्रण खो दिया, जिससे बस खड्ड में जा गिरी। एसएसपी शर्मा ने पुष्टि की कि बचाव अभियान तुरंत शुरू किया गया और घायल तीर्थयात्रियों को नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया। मृतकों और घायलों में से कई उत्तर प्रदेश से थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के बयान
हमले को देखने वाले स्थानीय लोग पीड़ितों की सहायता के लिए दौड़े। बचे हुए लोगों ने घटना के भयावह विवरण दिए। एक बचे हुए व्यक्ति ने बताया कि बस पर 25 से 30 गोलियां चलाई गईं, जिसके बाद बस खड्ड में जा गिरी। एक अन्य पीड़ित ने बताया कि उसने लाल मफलर पहने एक नकाबपोश आतंकवादी को बस पर गोली चलाते देखा था।
सुरक्षा बलों को किया गया तैनात
एसएसपी शर्मा ने कहा कि पूरा क्षेत्र उच्च सतर्कता पर है। शिव खोरी मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों की नियमित रूप से गश्त की जा रही है ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। साथ ही सुरक्षा बलों को उच्च सतर्कता पर रखा गया है ताकि किसी भी भविष्य के खतरे से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें।
भारत में हिंदू
जम्मू और कश्मीर में यह हाल में हुआ दूसरा मामला है जहां हिंदुओं को उनके धर्म के आधार पर पड़ताड़ित या उन पर आतंकी हमला किया गया है। रियासी में हुआ आतंकी हमला किसी से बदला लेने या किसी और वजह से नहीं किया था, बल्कि इन तीर्थयात्रियों को उनके धार्मिक यात्रा के कारण निशाना बनाया गया, यह दर्शाता है कि आतंक और धर्म के बीच सीधा संबंध है।
वहीं, दूसरी और कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद पहली बार अनंतनाग में मकान बना रहे एक हिंदू परिवार पर उन्हीं के आसपास के मुस्लीम परिवारों ने हमला कर उनको घर बनाने से रोक दिया। यह दर्शाता है कि इस भारत देश में हिंदू होना कितना पाप का विषय है।
धर्म और आतंकवादी हमले
जिन तीर्थयात्रियों पर हमला किया गया था, वे एक हिंदू मंदिर की यात्रा पर थे। इस लक्षित हिंसा, विशेष रूप से मासूम बच्चों के खिलाफ, जो इस आतंकवादी कृत्य के पीड़ित भी थे, ने आतंकवादी कृत्यों के पीछे धार्मिक उद्देश्यों को उजागर किया। इन संबंधों को पहचानना और आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है।
हमारे देश में धर्मनिरपेक्ष लोग अक्सर कहते हैं कि आतंकवाद या हिंदुओं पर पिछले हमलों को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता। हालांकि, क्या यह सच नहीं है कि जो लोग माता वैष्णो देवी के दर्शन करने जा रहे थे, उन्हें इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे हिंदू थे?
यहां तक कि मासूम बच्चे, जिन्हें शायद यह भी समझ नहीं थी कि आतंकवाद क्या है, केवल हिंदू होने के कारण मारे गए। हम यह कैसे कह सकते हैं कि यह धर्म के बारे में नहीं है जब इन पीड़ितों को स्पष्ट रूप से उनके विश्वास के कारण निशाना बनाया गया था? यह विरोधाभास धर्म और हिंसा के बीच के संबंध के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाता है।
अब सवाल है कि क्या यह फिल्मी इंडस्ट्री के सेलिब्रिटीज रियासी में हुए इस हमले पर अपनी आवाज उठाएंगे? क्या अब यह लोग अपने सोशल मीडिया हैंडल पर “ALL EYES ON REASI” के पोस्टर लगा कर इन मासूम लोगों के लिए न्याय की मांग करेंगे?