NDA सरकार वक्फ बोर्ड में करीब 44 संशोधन के लिये लोकसभा में विधेयक लेकर आई है, इस पर विपक्ष के एकतरफा विरोध के साथ ही यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि वक्फ बोर्ड नें आखिर इतना संपत्ति कैसे अर्जित की और क्या भारत की तरह मुस्लिम देशों में भी वक्फ बोर्ड है? और अगर है भी तो क्या वाकई वक्फ बोर्ड इतना मजबूत है?
भारतीय संस्कृति उदार है, भारतीय संविधान उदार है, सनातनी संस्कार उदार हैं और कांग्रेस तुष्टिकरण की नीति पर चलते हुये हद से ज्यादा अल्पसंख्यकों के एक विशेष वर्ग पर आजादी के बाद से उदार है, शायद आम बोलचाल की भाषा में यही कुछ वजहें रहीं हैं। पिछले 75 साल में भारत में वक्फ बोर्ड नें मनमानी और तानाशाही करते हुये भारतीय सेना से ज्यादा, भारतीय रेलवे से एक कदम आगे बढ़ाते हुये जमीनों पर कब्जा किया. आइये आंकड़ों के जरिये पहले समझते हैं कि कैसे वक्फ की संपत्ति आजादी के बाद दिन दूनी, रात चौगुनी बढ़ती गई और उसके बाद आपको बतायेंगे कि मुस्लिम देशों में वक्फ बोर्ड की स्थिति क्या है?
आजादी के बाद 1950 में वक्फ के पास 52 हजार एकड़ संपत्ति थी, लेकिन 2009 आते आते वक्फ के पास 4 लाख एकड़ संपत्ति हो गई और यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल यानि 2009 से 2014 के बीच वक्फ की खूब तरक्की हुई, 2014 में वक्फ की संपत्ति 4 लाख से बढ़कर 6 लाख एकड़ हो गई. मौजूदा समय की बात करें तो 2024 के आंकड़े के हिसाब से इस समय वक्फ बोर्ड के पास 9 लाख 40 हजार एकड़ संपत्ति है।
एक दिलचस्प आंकड़ा ये भी है कि देश के आजाद होने के बाद से भारतीय सेना की संपत्ति सिर्फ 31% बढ़ी, जबकि वक्फ बोर्ड की संपत्ति में 1700% की बढ़ोत्तरी दर्द हुई.. इस दौरान 60 से ज्यादा साल तक देश पर कांग्रेस नें राज किया।
मुस्लिम देशों में वक्फ बोर्ड की स्थिति
चूंकि वक्फ बोर्ड मुस्लिम धर्म से जुड़ी हुई संस्था है, इसलिये अगर मुस्लिम देशों की तरफ नज़र डाले तो आप ये जान कर हैरान होंगे कि भारत का वक्फ बोर्ड मुस्लिम देशों से कहीं ज्यादा मनमानी करने वाल, असंगठित और असंवैधानिक है। आइये एक एक करके मुस्लिम देशों में वक्फ की स्थिति पर नज़र डालते हैं।
तुर्की में 1924 में ही वक्फ को समाप्त कर दिया गया था, अब वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ फाउंडेशन के अधीन है।
कुवैत में वक्फ संपत्तियों की देखरेख औकाफ और इस्लामिक मंत्रालयों के अधीन है, मंत्रालय ही मस्जिदों, स्कूल, अस्पताल और संपत्ति की देख रेख करता है।
इराक में 2003 तक औकाफ और धार्मिक मंत्रालय वक्फ संपत्ति की देखरेख करता था, 2003 में इसे खत्म कर ये ज़िम्मेदारी सुन्नी और शिया बंदोबस्ती कार्यालय को सौंप दी गई।
सऊदी अरब में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन जनरल अथॉरिटी फॉर औकाफ (GAA) द्वारा किया जाता है।
सीरिया में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन औकाफ करता है, जबकि लेबनान में यह बंदोबस्ती और इस्लामी मामलों के मंत्रालय के अधीन है।
मिस्त्र में वक्फ संपत्तियों को संभालने की ज़िम्मेदारी औकाफ मंत्रालय करता है.
इंडोनेशिया में वक्फ एजेंसी वक्फ की संपत्तियों की देखभाल करती है, जिसकी स्थापना 2004 में की गई थी।
इससे ये साबित होता है कि तुलनात्मक रूप से भारत से छोटे मुस्लिम देशों में वक्फ पूरी तरह सरकार के अधीन है और नियम सम्मत काम कर रहा है, जबकि अभी तक भारत में वक्फ का इतिहास बताता है कि यहां वक्फ बोर्ड बिखरा हुआ, अपारदर्शी, विवादित और बिना समावेशी प्रतिनिधित्व के दिखाई देता है. यही वजह है कि लंबे समय में इसमें बदलाव की मांग हो रही थी।
आज भारतवासियों के जेहन में ये सवाल भी हैं कि क्या आजादी के इतने दशकों बाद, वक्फ के बेहिसाब संपत्ति का मालिक बनने के बाद वक्फ बोर्ड के ज़िम्मेदारों के साथ साथ कांग्रेस से ये सवाल नहीं पूछना चाहिये कि आज तक वक्फ बोर्ड से गरीब मुसलमानों का कितना भला हुआ? वक्फ की मनमानी को किसनें बढ़ावा दिया?
लेखक – अनुज शुक्ला
वरिष्ठ पत्रकार एवं कॉलमिस्ट
लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं