खालिस्तानी आतंकियों के मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा के बीच संबंध एक खराब दौर से गुजर रहे हैं। इन संबंधों की ताबूत में कनाडा सरकार ने आखिरी कील ठोंकने का काम किया है। दरअसल, कनाडा के समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि ग्लोब एंड मेल ने दावा किया है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं खुफिया सलाहकार नैथली जी. ड्रोइन और उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट को भारत के बारे में संवेदनशील और खुफिया जानकारी दी थी।
दरअसल, कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCPM) ने भारत पर ‘एजेंटों’ के जरिए खालिस्तानी आतंकियों को मरवाने का आरोप लगाया था। इसके बाद ग्लोब एंड मेल ने कनाडा सरकार की पोल खोलते हुए जो रिपोर्ट प्रकाशित की है उससे पता चलता है कि ट्रूडो की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं खुफिया सलाहकार नैथली जी. ड्रोइन और उप मंत्री डेविड मॉरिसन ने भारत के खिलाफ अपना प्रोपेगेंडा चलाने के लिए जानकारी लीक की थी। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कनाडा द्वारा वाशिंगटन पोस्ट को दी गई जानकारी रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCPM) की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद ही सामने आने थी।
गौरतलब है कि वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में कनाडाई अधिकारी के हवाले से कहा था कि भारतीय राजनयिकों के बीच हुई बातचीत और मैसेज में भारत के एक वरिष्ठ अधिकारी और रॉ में एक वरिष्ठ अधिकारी का उल्लेख है, इन दोनों ने ही खुफिया जानकारी जुटाने और खालिस्तानी आतंकियों पर हमले करने के लिए लोगों को नियुक्त किया है। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया था कि कनाडाई अधिकारियों ने मोदी सरकार को कनाडा में बढ़ती हिंसा को खत्म करने के लिए मनाने के उद्देश्य से 12 अक्टूबर 2024 को सिंगापुर में एक सीक्रेट मीटिंग की थी। इस मीटिंग में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल भी मौजूद थे। मीटिंग में NSA अजीत डोभाल और गृह मंत्री अमित शाह जुड़े कई सबूत सामने आए थे। बड़ी बात यह है कि वाशिंगटन पोस्ट ने दावा किया था कि इस मीटिंग में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नैथली ड्रोइन और उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन के साथ-साथ RCMP के अधिकारी भी शामिल थे।
यही नहीं, रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया था कि कनाडाई अधिकारियों ने कनाडा में रह रहे कम से कम 6 ऐसे भारतीय राजनयिकों की भी पहचान की है, जिन्होंने खालिस्तानी आतंकियों के बारे में खुफिया जानकारी थी। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के इन्हीं राजनयिकों द्वारा चिन्हित किए गए खालिस्तानी आतंकियों को बाद में भारत द्वारा मरवा दिया गया। इसके अलावा खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर, सुखदूल सिंह की हत्या व अन्य हिंसक घटनाओं में भारत के शामिल होने के सबूत मिले हैं।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने वाली अपनी रिपोर्ट में वाशिंगटन पोस्ट ने कनाडाई अधिकारियों का हवाला देते हुए यह भी लिखा था कि कनाडा के अधिकारियों ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ मीटिंग की थी। इस मीटिंग में अजीत डोभाल ने यह स्वीकार किया था कि उन्होंने राजनयिकों के द्वारा खालिस्तानी आतंकियों की जानकारी निकलवाई थी, लेकिन हत्या में भारत के शामिल होने की बात से इनकार किया था। इसके अलावा इस रिपोर्ट में प्रोपेगेंडा को एक कदम आगे ले जाते हुए कहा गया था कि अजीत डोभाल से खालिस्तानी आतंकियों की हत्या में शामिल लॉरेंस बिश्नोई के बारे में भी बात की गई थी। इस दौरान उन्होंने शुरुआत में बिश्नोई से जुड़ी बात से इनकार कर दिया था। लेकिन जब कनाडा ने सबूत दिए तो NSA डोभाल ने सारी बातें मान लीं साथ ही बताया कि बिश्नोई जेल में बंद है और वह जेल के अंदर से ही गलत काम करने के लिए जाना जाता है।
गौरतलब है कि 14 अक्टूबर को RCMP के अधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कमिश्नर डुहेम और असिस्टेंट कमिश्नर ब्रिगिट गौविन ने कहा था कि उनके पास ऐसे सबूत हैं जिनसे यह साबित होगा कि कनाडा में हुई हिंसा में और खालिस्तानी आतंकियों की हत्या में भारत का हाथ है। लेकिन इसके बाद यह भी कहा गया था कि इसके लिए आवश्यक जांच और कोर्ट की कार्यवाही का ध्यान रखते हुए इसे जारी नहीं किया जा रहा है। यही नहीं, कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCPM) ने यह भी बताने से इनकार कर दिया था कि कथित हिंसा और हत्याएं कब हुईं तथा इनकी जांच कितनी हुई और कितनी बाकी है, साथ ही भारतीय राजनयिकों के नाम व अन्य चीजें भी सामने नहीं आईं थीं।
यहां बेहद दिलचस्प बात यह है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी पुलिस के अधिकारियों की बात नकारते हुए कहा था कि हमारे पास ठोस सबूत का अभाव है, सिर्फ खुफिया रिपोर्ट ही है।
अपने बचाव के लिए ट्रूडो ने रची फर्जी कहानी?
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सलाहकार और उप मंत्री ने किसी भी देश से जुड़ी खुफिया जानकारी किसी भी अखबार को यूं ही नहीं भेजी होगी। इसके पीछे या तो कोई बड़ा कारण होगा या फिर कोई स्वार्थ। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत और कनाडा के बीच आपसी संबंध यदि बहुत अच्छे नहीं थे तो अधिक खराब भी नहीं थे। यहां तक कि सितंबर 2023 में जब G20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए ट्रूडो भारत आए थे तब भी पीएम मोदी और उनके बीच लंबी वार्ता हुई थी। लेकिन ऐसा लगता है कि जस्टिन ट्रूडो ने अपने बचाव के लिए यह पूरी कहानी रची है।
दरअसल, कनाडा से सांसदों की बगावत की खबर आ रही थी। खबर यह भी थी कि सांसद जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा मांग रहे हैं। इस खबर के बीच ही कनाडा ने भारत पर झूठे आरोप मढ़ने शुरू किए। यदि कनाडा द्वारा रची गई कहानी को परत-दर-परत देखें तो समझ आता है कि पहले अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट पर ‘आर्टिकल’ छपवाया गया ताकि लगे कि मामले में सिर्फ कनाडा नहीं बल्कि अमेरिका भी है। लेकिन सिर्फ वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट से बात नहीं बनी तो प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई और फिर भारत पर झूठ के गोले दाग कर कहानी को सच दिखाने की कोशिश की गई।
शायद कनाडा यह मान बैठा था कि इस मुद्दे पर भारत की विपक्षी पार्टियां हमेशा की तरह अपना रंग दिखाते हुए सरकार के खिलाफ उतर जाएंगी और भारत सरकार बैक फुट पर होगी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। भारत सरकार ईंट का जवाब पत्थर से देने का मन बनाए बैठी थी। जैसे ही कनाडा ने आरोप लगाने की तैयारियां की, वैसे ही भारत ने कनाडाई राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश थमा दिया और कनाडा से भारत के राजदूतों को भी वापस बुला लिया। जस्टिन ट्रूडो की हालत कितनी बुरी है, इस बात का अंदाजा ऊपर दिख रही तस्वीर से लगाया जा सकता है। यह तस्वीर जस्टिन ट्रूडो की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। इसमें, ट्रूडो बोल रहे हैं और उनके दो मंत्री पुतलों की तरह नजर आ रहे हैं। ऐसा लगता है मानो जनता को विश्वास में लेने के लिए ट्रूडो ने मंत्रियों को पीछे खड़ा किया है।
कैसे बुनी गई ‘झूठी कहानी’
एनसीपी नेता और कारोबारी बाबा सिद्दीकी की 12 अक्टूबर 2024 को मुंबई में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस खबर के सामने आने के साथ ही यह बात भी सामने आई थी कि बाबा सिद्दीकी की हत्या लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शूटर्स ने की है। यह खबर भारत समेत अन्य देशों में भी कवर की गई थी। मुमकिन है कि इस खबर और लॉरेंस बिश्नोई के खलिस्तान विरोधी बयान तथा हत्या के अन्य इतिहास को सहारा बनाते हुए कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं खुफिया सलाहकार नैथली जी. ड्रोइन ने फर्जी कहानी रचकर ट्रूडो को सुनाई हो और फिर शुरू हुआ हो झूठी कहानी को सच दिखाने का सिलसिला।
सीधे शब्दों में कहें तो जस्टिन ट्रूडो की सरकार खतरे में है। सांसदों ने अब उन्हें 28 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया है। लेकिन ट्रूडो को यह पहले ही पता था कि उन पर संकट आने वाला है। ऐसे में इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि संकट से बचने और अपना प्रधानमंत्री पद बचाए रखने के लिए ही ट्रूडो ने यह कहानी रची होगी। लेकिन फिलहाल उनका यह पाँसा उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है। दरअसल, एक ओर कनाडाई सांसद जस्टिन ट्रूडो की बात नहीं मान रहे हैं और वहीं दूसरी ओर भारत सरकार ने भी कनाडा को करार जवाब देकर बैक फुट पर ला दिया है। अब देखना यह है कि भारत सरकार से पंगा लेने के बाद ट्रूडो दोनों देशों के संबंधों और अपनी सरकार को कैसे बचाएंगे? सवाल यह भी है कि क्या ट्रूडो एक और फर्जी कहानी रच सकते हैं?