दमोह: आज से 500 साल पहले एक ऐसी वीरांगना हमारी धरती पर आईं, जिनके कारण मुगलों के दांत खट्टे हो गए। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कुछ इस अंदाज में रानी दुर्गावती का परिचय दिया। हमारे देश का इतिहास वीरांगनाओं के साहस, शौर्य और बलिदान से भरा पड़ा है। ऐसी ही एक योद्धा थीं रानी दुर्गावती। उनकी बहादुरी के चर्चे दूर-दूर तक थे। यही नहीं मुगल बादशाह अकबर की गोंडवाना पर बुरी नजर होने के बावजूद दुर्गावती ने अप्रतिम शौर्य के साथ उसकी सेना का सामना किया। अकबर से लेकर मालवा के शासक बाज बहादुर से भिड़कर दुर्गावती ने वीरता की अविस्मरणीय किंवदंती रच डाली। ऐसे में मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार जब रानी दुर्गावती की राजधानी सिंग्रामपुर में अपनी कैबिनेट बैठक आयोजित करती है, उनके नाम पर योजनाओं का ऐलान करती है, तो हमारे देश की अमूल्य सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का सम्मान होता है। पहले एक नजर उन फैसलों और योजनाओं पर जिनकी घोषणा एमपी की मोहन यादव सरकार ने की है।
– दमोह को पर्यटन महत्व का केंद्र बनाया जाएगा
– वीरांगना रानी दुर्गावती की प्राचीन राजधानी सिंग्रामपुर में स्वास्थ्य केंद्र बनाने का ऐलान
– रानी दुर्गावती मंगल भवन का निर्माण किया जाएगा
– रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना में अधिकतम 3900 रुपये प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त सहायता राशि
– रानी दुर्गावती स्मारक एवं उद्यान विकसित करने के लिए समिति के गठन पर मुहर
– दमोह जिले में स्थित हवाई पट्टी के विकास की सैद्धांतिक सहमति
"साहस एवं शौर्य की प्रतीक रानी दुर्गावती की अमर गाथा का सम्मान"
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में
नारी शक्ति, विरासत और विकास का अनूठा संगमवीरांगना रानी दुर्गावती की जयंती के पुण्य अवसर पर #सिंग्रामपुर की पवित्र धरती पर आयोजित हुई ऐतिहासिक कैबिनेट बैठक…… pic.twitter.com/xt2ZohItgG
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) October 5, 2024
रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती पर कार्यक्रम
वीरांगना रानी दुर्गावती के 500वें जन्म जयंती वर्ष पर कैबिनेट की बैठक सिंग्रामपुर में हुई। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस दौरान लाड़ली बहना योजना के तहत 1.29 करोड़ बहनों को 1574 करोड़ की धनराशि बांटी। इसके साथ ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत 55 लाख से ज्यादा लाभार्थियों को 332.71 करोड़ की राशि वितरित की गई। 24 लाख से अधिक बहनों को गैस रीफिल योजना के तहत 28 करोड़ की राशि ट्रांसफर की गई। एमपी के सीएम मोहन यादव ने इस दौरान ऐलान किया कि रानी दुर्गावती के नाम पर जबलपुर और बाकी जगहों के साथ-साथ दमोह को पर्यटन का बड़ा केंद्र बनाया जाएगा।
महिला सशक्तिकरण के साथ
चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर मध्यप्रदेशआदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश सरकार राज्य के समग्र विकास व हर वर्ग के कल्याण हेतु निरंतर कार्यरत है।
आज वीरांगना रानी दुर्गावती के 500वें जन्म जयंती वर्ष पर उनकी राजधानी दमोह… pic.twitter.com/nsaytVkUea
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) October 5, 2024
मालवा के बाज बहादुर को 3 बार रानी ने दी मात
अब आपको बताते हैं कि मुगलों से मोर्चा लेने वाली वीरांगना दुर्गावती की दास्तां क्या है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित कलिंजर के किले में राजा कीर्ति सिंह चंदेल के यहां 5 अक्टूबर 1524 को उनका जन्म हुआ। दुर्गा अष्टमी के दिन पैदा होने की वजह से उनका नाम दुर्गावती रखा गया। गोंडवाना के राजकुमार दलपत शाह से उनका विवाह हुआ। कुछ वर्ष बाद ही पति का अचानक निधन हो जाने से गोंडवाना की जिम्मेदारी दुर्गावती के कंधों पर आ गई। ऐसे में मालवा के शासक बाज बहादुर की नजर उनके गोंडवाना राज्य पर पड़ गई। बाज बहादुर को लगता था कि एक अबला नारी अकेले उससे क्या भिड़ पाएगी लेकिन जल्द ही उसका दिवास्वप्न धूल में मिलने वाला था। बाज बहादुर को एक-दो नहीं तीन बार दुर्गावती की वीरता के आगे नतमस्तक होना पड़ा। हर युद्ध में उसे मुंह की खानी पड़ी। उधर मुगल बादशाह अकबर तक दुर्गावती की वीरता के चर्चे होने लगे थे।
अकबर का प्रस्ताव दुर्गावती ने ठुकराया
मानिकपुर के सूबेदार अब्दुल मजीद खां ने अकबर से दुर्गावती के सौंदर्य का जिक्र किया। कहते हैं कि अकबर ने रानी दुर्गावती के लिए एक सोने का पिंजरा भेजा। संदेश भिजवाया कि रानियों को महल की हद में ही रहना चाहिए। अकबर ने दुर्गावती के प्रिय हाथी सरमन और मंत्री आधार सिंह को उपहार के रूप में अपने पास भेजने के लिए कहा। दुर्गावती ने इसका तीखा जवाब दिया, जिसके बाद अकबर ने गोंडवाना पर हमले का फैसला कर लिया। मालवा पर उसका पहले ही कब्जा हो चुका था।
गोंडवाना पर हमला, पहली लड़ाई रानी ने जीती
अकबर ने गोंडवाना पर कब्जे के लिए आसिफ खां को भेजा। दुर्गावती अपने बेटे नारायण के साथ घोड़े पर सवार होकर युद्धभूमि में उतर पड़ीं। रानी का अद्भुत साहस और बहादुरी देखकर मुगल सेना के पैर उखड़ गए। हार से घबराए आसिफ खां ने शांति का प्रस्ताव भेजा। लेकिन रानी तैयार नहीं हुईं। इसके बाद आसिफ खां ने ताकत बढ़ाई और फिर गोंडवाना पर हमला बोल दिया।
3 हजार मुगलों का सफाया फिर की जान न्योछावर
23 जून 1564 को यह युद्ध हुआ था। महज 300 सैनिकों के साथ लड़ रही दुर्गावती ने एक बार फिर मुगलों का संहार कर दिया। तीन हजार से ज्यादा मुगल सैनिकों का उन्होंने युद्ध में सफाया कर दिया। इसी बीच रानी का एक सामंत बदन सिंह आसिफ खां से मिल गया। उसने रानी दुर्गावती की योजना के बारे में आसिफ खां को बताया। आसफ खां ने एक पहाड़ी सरोवर को तोड़कर नाले में पानी भर दिया। नाले में पानी आने से बाढ़ आ गई। रानी का इरादा जंगल में घेरकर मुगल सेना का काम तमाम करने का था। रानी का हमला कमजोर पड़ रहा था। इसी बीच रानी की आंख, बांह और गले में तीर चुभ गए। अपने मंत्री आधार सिंह को उन्होंने अपनी गर्दन उड़ाने के लिए कहा। तैयार नहीं होने पर रानी ने खुद ही कटार उठाकर अपनी जान न्यौछावर कर दी। वो मुगल दुश्मनों के हाथ नहीं लगना चाहती थीं। जबलपुर के पासमंडला रोड पर उनकी समाधि सदियों पुरानी अप्रतिम वीरता की गवाही देती है।