इजराइल ने संसद में कानून पारित कर संयुक्त राष्ट्र की राहत एवं बचाव एजेंसी UNRWA पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध एजेंसी के कुछ कर्मचारियों के हमास में शामिल होने की बात सामने आने के बाद लगा है। संयुक्त राष्ट्र की यह एजेंसी फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करती है। लेकिन अब प्रतिबंध के बाद इस एजेंसी के लोग इजरायल की धरती पर काम नहीं कर सकेंगे। वहीं, भारत में रह रहे इजरायली राजदूत ने UNRWA को आतंकियों को पैसा देने वाली एजेंसी करार दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ‘यूनाइटेड नेशंस रिलीफ एंड वर्क एजेंसी फॉर पैलेस्टाइन रिफ्यूजीज’ (UNRWA) पर प्रतिबंध लगाने के लिए इजराइली संसद (नेसेट) में वोटिंग हुई। सीधे शब्दों में कहें तो इजराइल ने UNRWA के खिलाफ कानून पारित कर प्रतिबंध लगाया है। इस कानून को तैयार करने वाले सांसदों का आरोप है कि 7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल में हुए हमले में UNRWA के कर्मचारी शामिल थे। साथ ही ये कर्मचारी हमास समेत अन्य संगठनों के लिए भी काम कर रहे हैं। संसद में पारित इस नए कानून में यह भी कहा गया है कि इजरायली अधिकारी अब UNRWA व उसके कर्मचारियों से संपर्क नहीं रख रखेंगे।
In the 90 days before this legislation takes effect – and after – we stand ready to work with our international partners to ensure Israel continues to facilitate humanitarian aid to civilians in Gaza in a way that does not threaten Israel’s security.
— Prime Minister of Israel (@IsraeliPM) October 28, 2024
इस कानून के पारित होने के बाद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक्स पर लिखा, “इज़राइल के खिलाफ़ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल UNRWA के कार्यकर्ताओं को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। चूंकि मानवीय संकट से बचना भी आवश्यक है, इसलिए गाजा में आज के साथ ही आने वाले कल में भी मानवीय सहायता उपलब्ध रहनी चाहिए। इस कानून के प्रभावी होने के 90 दिनों के भीतर और उसके बाद भी हम अपने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इजरायल गाजा में नागरिकों को मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रख सके। साथ ही इससे इजरायल की सुरक्षा को भी कोई खतरा न हो।”
गौरतलब है कि इजराइल ने पहले भी आरोप लगाया था कि UNRWA के कर्मचारी हमास के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और इसके 19 कर्मचारियों ने 7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल पर हुए हमले में हिस्सा लिया था। इजराइल ने यह भी कहा था कि उसके पास UNRWA के सैकड़ों कर्मचारियों के हमास से जुड़े होने के सबूत हैं। इजराइल के इन आरोपों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने अपने स्तर पर जांच शुरू की थी। यही नहीं, अगस्त 2024 में UNRWA के अपने 9 कर्मचारियों को नौकरी से भी निकाल दिया था।
इजराइल द्वारा पारित किए गए कानून को UNRWA के प्रमुख फिलिप लाजारिनी ने खतरनाक बताया है। साथ ही कहा कि यह कानून संयुक्त राष्ट्र चार्टर का विरोध करता है और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत इजरायल के दायित्व का उल्लंघन करता है।
The vote by the Israeli Parliament (Knesset) against @UNRWA this evening is unprecedented and sets a dangerous precedent. It opposes the UN Charter and violates the State of Israel’s obligations under international law.
This is the latest in the ongoing campaign to discredit…
— Philippe Lazzarini (@UNLazzarini) October 28, 2024
क्या काम करती है UNRWA
UNRWA की स्थापना साल 1949 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान बेघर हुए करीब 700000 फिलिस्तीनियों को सहायता प्रदान करने के लिए की गई थी। यह गाजा और इजरायल के कब्जे वाले पश्चिमी तट के साथ-साथ लेबनान, सीरिया और जॉर्डन में भी काम करता है। UNRWA की वेबसाइट के अनुसार, यह एजेंसी इन क्षेत्रों में शरणार्थी शिविरों तथा अन्य स्थानों पर शिक्षा, स्वास्थ्य, राहत और सामाजिक सेवाएं, माइक्रोफाइनेंस और आपातकालीन सहायता कार्यक्रम चलाता है। अनुमान है कि 5.9 मिलियन फिलिस्तीनी शरणार्थी UNRWA की सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी को संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, यूरोपीय संघ समेत अन्य स्थानों से फंडिंग मिलती है। यही नहीं, इसे संयुक्त राष्ट्र से सीमित सब्सिडी भी मिलती है। UNRWA में करीब 30,000 फिलिस्तीनी कर्मचारी कार्यरत हैं। पिछले एक साल में इजरायली हमलों में UNRWA के 200 से अधिक कर्मचारी मारे गए हैं।
क्या बोले इजराइली राजदूत
इस पूरे मामले में भारत में इजराइल के राजदूत रियुवेन अजार का इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख प्रकाशित हुआ है। इस लेख में उन्होंने UNRWA को सीधे तौर पर आतंकी संगठन की खुफिया शाखा तथा आतंकियों को वेतन देने वाली एजेंसी करार दिया है। साथ ही उन्होंने संकयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी को फंडिंग देने वालों से भी सवाल पूछा है। रियुवेन अजार ने लिखा है कि क्या लोग ऐसे संगठन को पैसे दान करने के लिए सहमत होंगे जिसके कर्मचारी लोगों को मारने और अपहरण करने की शिक्षा देते हैं और जिसके कर्मचारियों को निर्दोष लोगों का अपहरण करते हुए रिकॉर्ड किया गया है?
Read my Op-ed on why the overwhelming majority of the Israeli @KnessetENG banned a U.N. agency completely compromised by the #Hamas terrorist organization.
https://t.co/OgkVbfRAFp via @IndianExpress pic.twitter.com/MFgSqBey2e— 🇮🇱 Reuven Azar (@ReuvenAzar) October 30, 2024
रियुवेन अजार ने यह भी लिखा है कि यह एजेंसी यहूदियों और अरब के लोगों के साथ अलग-अलग तरह का व्यवहार करती है। उन्होंने लिखा कि इजरायल ने अरब से आए 8 लाख यहूदियों को अपने यहां जगह दी है। इन यहूदियों को न तो उनकी संपत्ति और न ही रोजगार को लेकर किसी तरह का मुआवजा मिला। वहीं अरब में रहने वाले 7 लाख लोगों के साथ अलग तरह का व्यवहार किया जा रहा है। यही नहीं फिलिस्तीनियों पर अब भी अरबों डॉलर खर्च किए जा रहे हैं। रियुवेन अजार ने आरोप लगाया कि UNRWA फिलिस्तीनियों को तब तक सिर्फ शरणार्थी बनाए रखना चाहती है जब तक कि वे फिर से इजराइल में कब्जा करने लायक नहीं हो जाते हैं।
इजराइली राजदूत ने आगे लिखा कि इजराइलअंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करता रहेगा। लेकिन वह UNRWA जैसे एक भ्रष्ट संगठन के साथ काम नहीं कर सकता जो हमास जैसे आतंकवादी संगठनों से समझौता कर चुका है। हमास का एकमात्र मकसद इजरायल को मिटाना है। उन्होंने पश्चिम एशियाई क्षेत्र में शांति बनाए रखने में रुचि रखने वाले सभी देशों से खुद को UNRWA से अलग करने की भी अपील की।