भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा, यह अभी तय होना है। लेकिन इतना जरूर तय हो गया है कि नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नए साल में मकर संक्रांति के बाद पार्टी की कमान संभालेगा। बीजेपी की कार्यशैली को समझने वाले जानते हैं कि पार्टी हर कार्य शुभ मुहुर्त देखकर करती है। जब तक दिसंबर में निचले स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर की इकाइयों का संगठन चुनाव पूरा होगा, तब तक करीब एक महीने का मलमास लग जाएगा, इस दौरान किसी प्रकार के शुभ कार्य या नए कार्य की शुरुआत करने से परहेज़ किया जाता है।
ऐसे में मकर संक्रांति के बाद से शुभ बेला शुरू होने पर नए राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी की कमान संभालेंगे। ऐसा पहले भी उदाहरण रहा है। वर्ष 2019 में अमित शाह के गृहमंत्री बन जाने के बाद जून में ही जेपी नड्डा के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा हो गई थी, लेकिन संगठन चुनाव साल के आखिर तक चला। जिसके बाद मकर संक्रांति के बाद 20 जनवरी को जेपी नड्डा ने विधिवत पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया।
कौन बनेगा राष्ट्रीय अध्यक्ष ?
भाजपा के नया राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में यूं तो एक दर्जन नेताओं के नाम लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही चल रहे हैं, लेकिन किसी के नाम पर कुछ कह पाना अभी भी मुश्किल है। मोदी-शाह के दौर में वैसे राजनीतिक घटनाओं का कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन गारंटी नहीं दी जा सकती। पार्टी में कई तरह के फॉर्मूलों की चर्चा जरूर है। मसलन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पार्टी के सबसे बड़े ओबीसी चेहरे हैं, ऐसे में क्या संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर भी पिछली दो बार की तरह ही पार्टी के कोर वोटर कहे जाने वाले सामान्य वर्ग के किसी नेता को कमान मिलेगी?
या फिर ओबीसी वर्ग में पार्टी की पकड़ और मजबूत करने के लिए पार्टी किसी केंद्रीय मंत्री या संगठन पदाधिकारी को आगे बढ़ाएगी? भाजपा ने बंगारू लक्ष्मण के बाद अब तक किसी दलित को राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनाया है, ऐसे में क्या पार्टी ऐसे किसी चेहरे पर दांव खेलेगी? या फिर पार्टी पहली बार किसी महिला चेहरे को आगे बढ़ाने का साहस करेगी?