प्रत्येक सनातनी के लिए भगवान और मंदिर हमेशा ही पहले स्थान पर रहे हैं। भारत में हर 10 किलोमीटर पर कोई न कोई मंदिर अवश्य होगा। ऐसे में यदि भारत को मंदिरों का देश कहा जाए तो गलत नहीं होगा। अखंड भारत में भी मंदिरों की संख्या अधिक थी। लेकिन भारत के बंटवारे के बाद पाकिस्तान में मंदिरों की संख्या घटती चली गई। कुछ मंदिर अगर बचे भी तो उनकी हालत लगातार खराब होती जा रही है।
इतिहास
भगवान श्रीराम के मंदिर दुनियाभर के कई देशों में हैं। अयोध्या में तो रामलला का भव्य, दिव्य और विशाल मंदिर बन रहा है। प्रभु श्री राम का एक मंदिर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में भी है। यह एक ऐसा मंदिर है जो बंटवारे के बाद से बंद है और हिंदुओं को यहां पूजा करने का भी अधिकार नहीं है।
Saidpur Village #Islamabad is home to a small 16th century temples called Ram Kund, it is believed that Lord Ram lived in the area with his family during 14 years of their exile. According to official records dating back to 1893, a fair was held each year at a pond near the site pic.twitter.com/fiIqQpz444
— Maaria Waseem (@maaria_waseem) March 2, 2021
इस्लामाबाद के सैयदपुर गांव में स्थित इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण इस स्थान पर रुके थे। साथ ही यहां बने तालाब पर पानी भी पिया था। इस तालाब को राम कुंड कहा जाता है। इस कुंड के किनारे ही भगवान राम का प्राचीन मंदिर बना हुआ है।
इस्लामाबाद में हिमालय की तलहटी पर स्थित इस मंदिर का निर्माण 1580 में राजा मान सिंह ने कराया था। मंदिर के अलावा राजा मान सिंह ने यहां राम कुंड, सीता कुंड, लक्ष्मण कुंड और हनुमान कुंड के नाम से चार कुंडों का भी निर्माण कराया था। इस मंदिर में भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान समेत, मां लक्ष्मी और मां काली की धातु की मूर्तियां थीं। यह मंदिर का निर्माण लाल ईंट से किया गया था। इसमें एक आयताकार आंगन है जिसके बीच में एक ऊंचा मंच (चबूतरा) है। इस चबूतरे पर मूर्तियां विराजवान थीं।
This is only mandir of Islamabad. 8000 Hindu pilgrims used to visit.
Hindus are not allowed to visit, only mandir in the city. It is turned into tourist office.
And do you think they want to build a new mandir. At least restore this mandir at full & allow Hindus to visit mandir. pic.twitter.com/0lC7YiKMpR— Arif Aajakia (@arifaajakia) July 10, 2020
मंदिर की वर्तमान स्थिति
साल 1947 यानी भारत के बंटवारे से पहले तक यह मंदिर और यहां बने कुंड हिंदुओं की आस्था के प्रमुख केंद्र थे। पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी 1893 के रावलपिंडी गजेटियर के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, हर साल राम कुंड के किनारे एक मेले का आयोजन किया जाता था। इस मेले में इस्लामाबाद से लेकर रावलपिंडी तक के हिंदू शामिल होते थे। गजेटियर के अनुसार मेले में हर साल कम से कम 8000 लोग आते थे। लेकिन अब न यहां लोग आते हैं और न मेला लगता है।
Beautiful #Ram mandir in #Saidpur near #Islamabad, #Pakistan built in 1580.#Hinduism pic.twitter.com/itG0TpWCnD
— Religious World (@relworld) October 21, 2018
दरअसल, भारत के बंटवारे के बाद ज्यादातर हिंदुओं की या तो हत्या कर दी गई या फिर वे जबरन धर्मांतरण का शिकार हो गए। वहीं कुछ हिंदू विस्थापन कर गए। सीधे शब्दों में कहें तो इस्लामाबाद में हिंदुओं की संख्या काफी कम बची थी। इसका फायदा उठाकर राम मंदिर परिसर को शत्रु संपत्ति बताते हुए सील कर दिया गया था। हालांकि इसके कुछ सालों बाद स्थानीय हिंदुओं ने मंदिर खोलने की मांग की थी। लेकिन मंदिर खोलने की जगह साल 1960 में मंदिर को लड़कियों के स्कूल के रूप में बदल दिया गया। वहीं साल 2006 में, इस मंदिर को इस्लामाबाद की कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने ‘धरोहर गांव’ मानते हुए एक पर्यटन स्थल के रूप में बदल दिया था।
Shree Ram Mandir, Saidpur village #Islamabad
The temple currently serves as a tourist site. Hindus are not allowed to pray inside.
“The sanctity of the holy place will be restored and Hindu families will finally have a place to pray,” said PTI lawmaker #LalChandMalhi pic.twitter.com/xnQF5mxXkF
— Islamabadies (@Islamabadies) July 4, 2020
इस मंदिर को लेकर पाकिस्तानी पत्रकार गुलबाज़ मुश्ताक एडवोकेट कहते हैं, “बंटवारे के बाद सब कुछ बदल गया। गांव में रहने वाले हिंदू भारत चले गए और मां काली और लक्ष्मी की पीतल की मूर्तियाँ भी चली गईं। तालाब गायब हो गए हैं और गांव में देस-परदेस, डेरा पख्तून, अंदाज, तीरा और दूसरे महंगे रेस्टोरेंट ने कब्जा कर लिया है। मंदिर खाली और खंडहर में तब्दील हो चुका है और अब सिर्फ सेल्फ़ी के काम आ रहा है।”
अब मंदिर की स्थिति यह है कि इसमें कोई भी मूर्ति नहीं है। मंदिर का दरवाजा तो अब खुला रहता है लेकिन हिंदुओं को पूजा-पाठ करने की अनुमति नहीं है। स्थानीय हिंदू समय-समय पर मंदिर में पूजा करने की मांग करते रहे हैं। हिंदुओं का कहना है कि यहां आने वाले लोग मंदिर में जूते पहन कर घूमते हैं, इससे मंदिर का अपमान होता है।
गौरतलब है कि इस्लामाबाद में हिंदुओं के 300 घर हैं। लेकिन इसके बाद भी पूजा के लिए कोई मंदिर नहीं है। हिंदुओं को पूजा करने के लिए करीब 25 किलो मीटर दूर रावलपिंडी के सदर में स्थित कृष्ण मंदिर जाना पड़ता है। पाकिस्तान सरकार राम मंदिर को फिर से तैयार कर हिंदुओं को सौंपने का वादा कई बार कर चुकी है। लेकिन सरकार की बातें हर बार सिर्फ चुनावी वादे की तरह झूठी साबित होती हैं।
कहां है मंदिर…
इस्लामाबाद पाकिस्तान की राजधानी और प्रमुख शहरों में से एक है। भारत से इस्लामाबाद जाने के लिए हवाई यात्रा करना सबसे बेहतर होगा। इस्लामाबाद में यातायात सुविधा अच्छी है। एयरपोर्ट से टैक्सी लेकर भी सैयदपुर गांव पहुंचा जा सकता है। यह गांव इस्लामाबाद से जुड़ा हुए दमन-ए-कोह ओवरलुक के पास मरगल्ला हिल्स पर स्थित है।