कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी), कर्नाटक के बेलगावी में एक विस्तारित सत्र आयोजित कर रही है। इस दो दिवसीय बैठक के साथ एक रैली भी आयोजित की जाएगी, जो महात्मा गांधी द्वारा 1924 में कांग्रेस के ऐतिहासिक बेलगावी सत्र की अध्यक्षता करने की शताब्दी के अवसर पर मनाई जा रही है। लेकिन इस कार्यक्रम ने एक पोस्टर को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस द्वारा पाकिस्तान प्रेम को बढ़ावा देने वाली मानसिकता ने एक बार फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू की उन गलतियों की याद दिला दी है, जिनके परिणामस्वरूप आज तक भारतवासियों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
भारत जोड़ो या भारत तोड़ो
कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी), कर्नाटक के बेलगावी में दो दिवसीय विस्तारित सत्र आयोजित कर रही है। इस सत्र के साथ एक रैली भी आयोजित की जाएगी, जो महात्मा गांधी द्वारा 1924 में कांग्रेस के ऐतिहासिक बेलगावी सत्र की अध्यक्षता करने की शताब्दी के मौके पर मनाई जा रही है। हालांकि, इस कार्यक्रम के दौरान एक पोस्टर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, जिसने इसे चर्चा और आलोचना का केंद्र बना दिया है।
Once again Congress sings Pakistan tune
Shows disrespect for India’s unity & sovereignty by displaying a distorted map at their Belagavi event, portraying Kashmir as part of Pakistan
They do not believe in Bharat Jodo or Sanvidhan but Bharat Todo
Meeting Ilhan Omar ,… pic.twitter.com/lQzdGNHxgO
— Shehzad Jai Hind (Modi Ka Parivar) (@Shehzad_Ind) December 26, 2024
भा.ज.पा. प्रवक्ता शेजाद पूनेवाला ने कांग्रेस की पाकिस्तान-प्रेमी मानसिकता को उजागर करते हुए जमकर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “एक बार फिर कांग्रेस पाकिस्तान का राग अलाप रही है। बेलगावी कार्यक्रम में कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाते हुए भारत की एकता और संप्रभुता का अपमान किया गया है। कांग्रेस न तो ‘भारत जोड़ो’ में विश्वास करती है, न ही संविधान में, उनका असली एजेंडा है— ‘भारत तोड़ो’।”
यही नहीं इस ट्ववीट में आगे लिखते हुए उन्होंने कहा, “इल्हान उमर से मुलाकात, अनुच्छेद 370 का समर्थन, कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाना, और सोनिया गांधी का उस संगठन की सह-प्रमुख होना जो कश्मीर को भारत से अलग करने की बात करता है—यह संयोग नहीं, बल्कि वोटबैंक का उद्योग है।”
नेहरू की गलती से बना PoK!
इस पोस्टर विवाद ने एक बार फिर नेहरू की उन ऐतिहासिक गलतियों की याद दिला दी है, जिनके कारण आज तक जम्मू कश्मीर का मुद्दा सुलझा नहीं पाया। उनके एक गलत निर्णय ने कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला जाने का रास्ता खोला।
कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण नेहरू के एक बड़े राजनीतिक निर्णय का परिणाम था, जिसने कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र में पेश किया। 1947 में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर आक्रमण के बाद, नेहरू ने इसे संयुक्त राष्ट्र में उठाया, जिससे यह विवाद अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चला गया। यह निर्णय विवादास्पद था क्योंकि कई विशेषज्ञ मानते हैं कि कश्मीर को द्विपक्षीय वार्ता के जरिए हल किया जा सकता था, बजाय इसे वैश्विक मंच पर ले जाने के।
नेहरू के इस कदम का दीर्घकालिक परिणाम यह हुआ कि कश्मीर का मसला एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या बन गया, और पाकिस्तान ने इसे अपनी रणनीतिक स्थिति के रूप में इस्तेमाल किया। इससे संयुक्त राष्ट्र के दबाव में कश्मीर में युद्धविराम (सीजफायर) हुआ, लेकिन यह सीजफायर कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में जाने का कारण बना, जिसे आज पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के नाम से जाना जाता है।