देवेंद्र फडणवीस को 2019 में सरकार बनाने के महज 80 घंटों के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और उद्धव ठाकरे राज्य के नए मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद उन्होंने विधानसभा के एक विशेष अधिवेशन में बोलते हुए कहा था, “मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा!” 5 वर्ष बाद ‘समंदर फिर लौट आया है’। देवेंद्र फडणवीस के महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। फडणवीस को बुधवार (4 दिसंबर) को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया है और वे कल यानी 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
मेरा पानी उतरता देख
मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना
मैं समंदर हूँ
लौटकर वापस आऊँगा ! #Maharashtra #MaharashtraAssembly pic.twitter.com/erM8LJeQKi— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) December 1, 2019
हालिया विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन महायुति को 288 में से 230 सीटें मिली थीं। इनमें से बीजेपी को 132 सीटें मिली थीं और माना जा रहा था कि वे ही महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री होंगे। चुनावों के कुछ दिनों बाद तक माना गया कि शिवसेना के नेता और इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे एकनाथ शिंदे ने कुछ वक्त के लिए उनके रास्ते में अटकलें लगाने की कोशिशें कीं लेकिन अंतत: महायुति में फिलहाल सब ठीक दिख रहा है।
बचपन में इंदिरा से करते थे नफरत
फडणवीस का जन्म 22 जुलाई 1970 को नागपुर के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता गंगाधरराव फडणवीस, नागपुर से महाराष्ट्र विधानपरिषद के सदस्य रहे थे और वे आरएसएस से भी जुड़े हुए थे। उनकी मां सरिता फडणवीस अमरावती से थीं और विदर्भ हाउसिंग क्रेडिट सोसाइटी की डायरेक्टर रही थीं। 1975 में आपातकाल के दौर में फडणवीस के पिता को गिरफ्तार कर लिया गया था जिसके चलते वे इंदिरा गांधी से नफरत करने लगे थे। बताया जाता है कि उन्होंने इंदिरा गांधी के नाम से बने स्कूल में पढ़ने से मना कर दिया था और अपनी प्राथमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से पूरी की थी। फडणवीस ने धरमपीठ जूनियर कॉलेज से 12वीं कक्षा पूरी की और नागपुर से लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की। उन्होंने बर्लिन से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट का कोर्स भी किया है।
सबसे कम उम्र में नागपुर के मेयर बने
कॉलेज में पढ़ाई के दौरान फडणवीस अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी के संपर्क में आ गए थे। फडणवीस दो बार (1992-1997 और 1997- 2001) नागपुर म्युनिसिपल कारपोरेशन में कॉरपोरेटर चुने गए थे। 1997 में वे 27 साल की उम्र में नागपुर के मेयर बन गए थे और वे सबसे कम उम्र में नागपुर के मेयर बन गए थे। वे 1999 में नागपुर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे और 2004 में दोबारा उसी सीट से विधायक चुने गए। वहीं, 2009 से 2019 के बीच वे लगातार 3 बार नागपुर दक्षिण पश्चिम से विधायक चुने गए।
जब फडणवीस ने की थी मॉडलिंग
फडणवीस द्वारा मॉडलिंग किए जाने का किस्सा बहुत मशहूर है। 2006 में उन्होंने विधायक रहते हुए नागपुर शहर में एक कपड़े की दुकान के लिए मॉडलिंग की थी। बताया जाता है कि नागपुर के हर चौराहे पर कपड़े की दुकानों का विज्ञापन करते हुए उनके बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए गए थे। इस बात की जानकारी तब बीजेपी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी को भी मिली थी तो उन्होंने फडणवीस के साथ हुई मुलाकात में उन्हें ‘मॉडल विधायक’ कहा था।
किन फैक्टरों के चलते CM बने फडणवीस?
फडणवीस के पहली बार विधायक बने थे तो उन्हें नितिन गडकरी ने विधानसभा का टिकट दिलाया था। नितिन गडकरी ने देवेंद्र फडणवीस के पिता की छत्रछाया में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। हालांकि, बीतते समय के साथ फडणवीस की नजदीकी गोपीनाथ मुंडे के साथ बढ़ती गईं। 2013 में फडणवीस को राज्य में बीजेपी की इकाई का प्रमुख बनाया गया और पार्टी ने 2014 का विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा था। 2014 के चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई और फडणवीस राज्य में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री चुने गए। मुख्यमंत्री का पद पाने में महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख का पद अहम साबित हुआ।
आरएसएस का भी फडणवीस को पूरा समर्थन था और राज्य में बहुसंख्यक समुदाय से मुख्यमंत्री ना बनाने की बीजेपी की रणनीति में वे फिट साबित हुए। मुख्यमंत्री बनने से पहले फडणवीस का प्रशासनिक अनुभव मेयर तक ही सीमित था और वे कभी किसी मंत्री के पद पर भी नहीं रहे थे। फडणवीस के सामने मुख्यमंत्री काल के दौरान संकट की स्थिति पैदा हुई लेकिन उन्होंने ना केवल अंदरुनी प्रतिद्वंद्विता पर काबू पाया बल्कि गठबंधन की सहयोगी शिवसेना से मिली चुनौतियों का भी बखूबी सामना किया।
सबसे कम समय तक CM रहने का रिकॉर्ड भी बनाया
2019 में महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में सत्ता का समीकरण बदल गया। महाराष्ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी ने शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जबकि एनसीपी और कांग्रेस साथ-साथ चुनाव लड़ीं। बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन ने जीत दर्ज की और दोनों को 160 से अधिक सीटें मिलीं लेकिन उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक दिया। उद्धव ने दावा किया था कि उन्हें बीजेपी की तरफ से 2.5 वर्षों तक मुख्यमंत्री पद दिए जाने का भरोसा दिया था।
उद्धव ने गठबंधन से इनकार कर दिया। उद्धव ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी कर ली थी लेकिन सभी को चौंकाते हुए 23 नवंबर 2019 को फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। उनके साथ एनसीपी के नेता अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, यह कार्यकाल सिर्फ 5 दिनों तक ही चला और वे 28 नवंबर 2019 तक ही मुख्यमंत्री रहे।
उद्धव ठाकरे इसके बाद एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से राज्य में मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि, 2022 के महाराष्ट्र संकट के चलते उद्धव को इस्तीफा देना पड़ा और जून 2022 में एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और उनकी सरकार में फडणवीस उप-मुख्यमंत्री बनाए गए।
RSS और मोदी की पसंद रहे हैं फडणवीस
महाराष्ट्र में एक आक्रामक नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले फडणवीस को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद माना जाता है। फडणवीस को ना सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि एक बड़े राष्ट्रीय नेता के तौर पर जाना जाता रहा है। इसका अंदाजा इससे भी लग सकता है कि फडणवीस को बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर भी देखा जा रहा था।
कुछ समय पहले हुए लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में बीजेपी दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सकी थी लेकिन तब भी बीजेपी का भरोसा फडणवीस के नेतृत्व पर लगातार बना रहा था। और कुछ ही समय बाद हुए विधानसभा चुनावों में वे इस भरोसे पर खरे भी उतरे। हालांकि, अब वे मुख्यमंत्री बन गए हैं तो उनके सामने शिवसेना और एनसीपी को साथ लेकर चलने की चुनौती रहेगी है। सरकार बनने के साथ ही महायुति के बीच विभागों का बंटवारा भी होना है और यहीं से फडणवीस की चुनौती शुरू हो जाएगी।