यमन में रह रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को फांसी की सजा सुनाई गई थी। निमिषा का परिवार उन्हें बचाने की कोशिश में लगा हुआ था। लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल सकी। अब यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने निमिषा प्रिया की मौत की सजा को मंजूरी दे दी है। निमिषा की मां ‘ब्लड मनी’ के लिए भी तैयार थीं। हालांकि अब निमिषा का बचपाना बेहद मुश्किल लग रहा है।
क्या है मामला:
साल 2018 में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी करार दिया गया था। तलाल अब्दो ने निमिषा का पासपोर्ट छीन लिया था, जिसे वापस पाने के लिए उसने बेहोशी का इंजेक्शन लगाया था। लेकिन ओवरडोज के चलते तलाल की मौत हो गई थी। निमिषा का कहना है कि उसने सिर्फ बेहोश करने के लिए ही इंजेक्शन लगाया था, हत्या का इरादा नहीं था।
इस मामले में सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद से ही निमिषा को किसी भी तरह से बचाने के लिए उनका परिवार लगातार संघर्ष कर रहा है। ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ निमिषा के परिवार ने यमन के सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था। हालांकि साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज कर दी थी। इसके बाद अब यमन के राष्ट्रपति ने भी मौत की सजा को मंजूरी दे दी है।
भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर हमेशा सजग रही है। निमिषा प्रिया के मामले में भी सरकार ने नर्स के परिवार को हर संभव मदद करने का आवश्वासन दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक बयान जारी कर कहा है, “हम जानते हैं कि नर्स निमिषा प्रिया का परिवार विकल्प की तलाश कर रहा है। सरकार इस मामले में उनकी हर संभव मदद कर रही है।”
क्या है ‘ब्लड मनी’ जिससे अब भी बच सकती है निमिषा प्रिया की जान:
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद एक महीने के भीतर ही यमन में फांसी की सजा की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। हालांकि निमिषा प्रिया को बचाने का अब भी एक तरीका बाकी है। यह तरीका है ‘ब्लड मनी’। दरअसल, यमन एक इस्लामिक मुल्क है और वहां शरिया कानून के तहत ‘दिया की रकम’ यानी ‘ब्लड मनी’ के बदले सजा माफी का प्रावधान है। इसका सीधा मतलब यह है कि यदि पीड़ित परिवार पैसा लेकर दोषी को माफ कर देता है तो कानून के द्वारा भी दोषी को माफी मिल जाती है।
मीडिया से बातचीत के दौरान वकील सुभाष चंद्रन ने कहा है कि उन्होंने यमन के कानून से जुड़े जानकारों से बात की है। इसमें सामने आया है कि कोर्ट से फांसी की सजा के बाद राष्ट्रपति से मंजूरी लेना औपचारिक प्रक्रिया है। हालांकि इसके बाद भी अगर पीड़ित परिवार ‘ब्लड मनी’ लेकर निमिषा प्रिया को माफ कर दे तो उसकी जान बच जाएगी। निमिषा नर्स फांसी यमन
वकील सुभाष चंद्रन ने आगे कहा कि यमन में राजनीतिक हालात अच्छे नहीं हैं। इसलिए वहां जाना संभव नहीं हो पा रहा है। अगर केंद्र सरकार, यमन की सरकार के जरिए मृतक तलाल अब्दो महदी के परिवार से ‘ब्लड मनी’ की बात करने में मदद करती है तो निमिषा को बचाने के लिए बनाए गए ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ उनकी मांग के अनुसार पैसा देने के लिए तैयार है।
‘ब्लड मनी’ पर नहीं बनी पहले दौर की बात:
रिपोर्ट के मुताबिक, निमिषा प्रिया की मां पीड़ित परिवार के साथ ब्लड मनी पर लगातार बातचीत करने की कोशिश कर रही थीं। लेकिन सितंबर 2024 में भारतीय दूतावास द्वारा नियुक्त वकील अब्दुल्ला अमीर द्वारा पूर्व-बातचीत फीस 20,000 डॉलर (लगभग 16.6 लाख रुपये) की मांग के बाद मृतक के परिवार के साथ बातचीत अचानक रुक गई थी।
विदेश मंत्रालय ने जुलाई में वकील अमीर को 19,871 डॉलर दिए थे। लेकिन वह फीस के तौर पर कुल 40000 डॉलर की मांग पर अड़ा हुआ था जो कि बातचीत फिर से शुरू करने से पहले दो किस्तों में देनी थी। ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने क्राउड फंडिंग के जरिए वकील अमीर की को फीस देने के लिए पहली किस्त की व्यवस्था की गई थी। हालांकि बाद में फंड देने वालों के साथ पारदर्शिता समेत कई अन्य कारणों से फंडिंग रुक गई थी। निमिषा नर्स फांसी यमन
कौन है निमिषा प्रिया:
निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ की रहने वाली हैं। साल 2008 में नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह केरल में ही नौकरी कर रही थीं। साल 2011 में उन्होंने केरल के ही रहने वाले टॉमी थॉमस से शादी की थी। इसके बाद साल 2012 में दोनों यमन चले गए थे। वहां वह नर्स के तौर पर काम कर रही थीं। इसी दौरान उन्हें एक बेटी भी हुई।
इसके बाद निमिषा के पति बेटी को लेकर साल 2014 में भारत लौट आए थे। इसी दौरान यमन में गृह युद्ध छिड़ गया था। इसके चलते यमन का वीजा मिलना बंद हो गया था। इस वजह से निमिषा के पति वापस नहीं जा पाए। साल 2015 में निमिषा ने यमन की राजधानी सना में महदी नामक व्यक्ति के साथ पार्टनरशिप में क्लिनिक शुरू किया था।
चूंकि यमन के कानून के मुताबिक यमन के नागरिक ही वहां अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। इसलिए निमिषा ने महदी से मदद मांगी थी। इसी दौरान महदी ने धोखाधड़ी से निमिषा का पासपोर्ट छीन लिया। इसके बाद साल 2015 में निमिषा जब एक महीने के लिए भारत आई तो महदी भी उनके साथ भारत आया था। इस दौरान उसने निमिषा के घर से उनकी शादी की एक फोटो चुराकर उससे छेड़छाड़ कर दूसरी फोटो बनवाली थी। साथ ही उस फोटो के जरिए खुद को निमिषा का शौहर बताता था।
महदी ने क्लीनिक के दस्तावेजों में भी छेड़छाड़ की थी और निमिषा को कमाई का छोटा हिस्सा भी मुश्किल से मिल पाता था। चूंकि निमिषा भारत आना चाहती थीं। लेकिन पासपोर्ट महदी के पास था और वह नहीं दे रहा था। इसलिए निमिषा बेहोशी का इंजेक्शन देकर पासपोर्ट लेकर भारत आना चाहती थीं। लेकिन बेहोशी के इंजेक्शन की ओवर डोज के चलते महदी की मौत हो गई और भारत आने की कोशिश के दौरान यमन की पुलिस ने निमिषा को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद उन्हें हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई गई थी।