उज्जैन के निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर सुमनानंद गिरी एक बार फिर कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। प्रयागराज से उन्हें कट्टरपंथियों ने एक धमकी भरी चिट्ठी में न केवल सर तन से जुदा करने की चेतावनी दी, बल्कि ये भी लिखा कि “हम अपने दीन और ईमान की हिफाजत में अडिग हैं। राम मंदिर पर एक दिन अजान गूंजेगी। अगर खुद को बचा सकते हो, तो बचा लो। इंशाल्लाह, हम अपने मकसद में कामयाब होंगे।” यह चिट्ठी कट्टरपंथियों के दुस्साहस और उनकी उग्र विचारधारा को दर्शाती है, जो धर्म और आस्था के नाम पर खुलेआम हिंसा और विवाद भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।
चिट्ठी में राम मंदिर को लेकर भी की गई विवादित टिपण्णी
उज्जैन के निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर सुमनानंद गिरी को प्रयागराज से एक धमकी भरी चिट्ठी मिली है, जिसने सनसनी फैला दी है। उन्होंने इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री मोहन यादव को दी है। महामंडलेश्वर ने बताया कि यह चिट्ठी सगीर अहमद पिता रिजवान नामक व्यक्ति द्वारा भेजी गई है, जो नवाब नगर, करेली, प्रयागराज का रहने वाला है। यह पत्र उर्दू भाषा में लिखा गया था और एक लिफाफे में बंद कर भेजा गया।
चिट्ठी में न केवल उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है, बल्कि राम मंदिर को लेकर भी भड़काऊ और विवादित टिप्पणी की गई है। कट्टरपंथी ने पत्र में लिखा, “काफिर सुमन आनंद, तू बार-बार नबी की तौहीन करता है। नामुराद, तुम अच्छी तरह जानते हो कि गुस्ताख-ए-रसूल की एक सजा है- जिस्म से जिस्म को जुदा करना। तुम मुनाफिक और बदतमीज आदमी हो। तुम्हारी जिंदगी अब हमारे रहम-ओ-करम पर है।”
चिट्ठी में आगे लिखा गया, “खामोश सफर में आप हमारी जमात को गुमराह कर रहे हैं। हम आपके लिए कयामत का इंतजार नहीं करेंगे। अल्लाह ने खुद आपको तोड़ा है, लेकिन शैतान आपके दिमाग में दाखिल होकर आपको धोखा दे रहा है। हम अपने दीन और ईमान की हिफाजत में पूरी तरह मजबूत हैं। राम मंदिर पर एक दिन अजान गूंजेगी। अगर बच सकते हो, तो बच लो। इंशाल्लाह, हम कामयाब होंगे।”
पहले भी मिल चुकी है धमकी
जैसे ही धमकी भरी चिट्ठी की सूचना उज्जैन पुलिस को मिली, उन्होंने तुरंत मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब महामंडलेश्वर सुमनानंद गिरी कट्टरपंथियों के निशाने पर आए हैं। इससे पहले, साल 2023 में भी उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा पत्र लिखकर जान से मारने की धमकी दी गई थी। इस तरह की घटनाएं न केवल धार्मिक नेताओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि समाज में कट्टरपंथी मानसिकता के बढ़ते खतरे को भी उजागर करती हैं।