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थम गई तबले की ताल, हमेशा के लिए ईश्वर की लय में लीन हुए ‘उस्ताद’: पद्म विभूषण ज़ाकिर हुसैन का निधन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई हस्तियों ने ज़ाकिर हुसैन के निधन पर शोक जताया है

Shiv Chaudhary द्वारा Shiv Chaudhary
16 December 2024
in चर्चित, मनोरंजन
ज़ाकिर ने 12 वर्ष की उम्र में अपने पिता के साथ अमेरिका में कॉन्सर्ट किया था

ज़ाकिर ने 12 वर्ष की उम्र में अपने पिता के साथ अमेरिका में कॉन्सर्ट किया था

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ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain) से एक इंटरव्यू के दौरान जब उनके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘मैं खुद को शागिर्द कहना चाहूंगा, मैं रोज़ नया सीखना की कोशिश करता हूं’। संगीत सीखने की ललक की यह कहानी उनके बचपन की नहीं बल्कि देश और दुनिया के बड़े-बड़े अवॉर्ड जीतने बाद की है। तबले पर पूरे जुनून के साथ पड़ती उनके हाथ की एक-एक थाप ने उन्हें ‘उस्ताद’ बना दिया था। दुनिया उनके हाथों का जादू देखने को बेताब रहती थी लेकिन अब यह थाप खामोश हो गई। अब यह लय, ईश्वर में लीन हो गई है। संगीत का वो उस्ताद जो आजीवन विद्यार्थी रहा वो अब इस दुनिया से विदा हो गया है। तबला वादक ज़ाकिर हुसैन का निधन हो गया है।

ज़ाकिर हुसैन का सोमवार को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में फेफड़ों की बीमारी की वजह से 73 वर्ष की उम्र में निधन (Zakir Hussain Passed Away) हो गया है। ज़ाकिर के परिवार ने बताया कि ज़ाकिर को एक गंभीर फेफड़ों की बीमारी ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ थी और वह दो हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थे और हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में ले जाया गया था। उनके परिवार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “ज़ाकिर ने दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमियों के दिलों में एक असाधारण विरासत छोड़ी है, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक महसूस किया जाता रहेगा।” उन्हें 18 दिसंबर को ज़ाकिर हुसैन को सुपुर्दे-ए-खाक किया जा सकता है।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई हस्तियों ने तबला वादक ज़ाकिर हुसैन के निधन पर शोक जताया है। राष्ट्रपति मुर्मु ने ज़ाकिर के निधन पर शोक जताते हुए ‘X’ पर लिखा, “तबले के जादूगर उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का निधन संगीत जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उन्होंने दुनिया भर के संगीत प्रेमियों की कई पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध किया। वह भारत और पश्चिम की संगीत परंपराओं के बीच एक सेतु थे।”

वहीं, पीएम मोदी ने ज़ाकिर हुसैन को याद करते हुए कहा, “ज़ाकिर हुसैन जी के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्हें एक सच्चे प्रतिभाशाली व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति ला दी। उन्होंने तबले को वैश्विक मंच पर भी लाया और अपनी बेजोड़ लय से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।”

7 वर्ष की उम्र से शुरू किया था तबला बजाना

ज़ाकिर हुसैन के पिता उस्ताद अल्लारक्खा कुरैशी अपने समय के प्रसिद्ध तबला वादक थे और उन्होंने ही ज़ाकिर को संगीत की शुरुआती शिक्षा दी थी। ज़ाकिर की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी और उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक किया था। कहा जाता है कि ज़ाकिर पर बचपन से ही धुन बजाने का जुनून सवार रहता था और घर में जो भी सामान मिलता या खाली जगह मिलती तो वे अंगुलियों की थाप से वहीं पर धुन बजाने लगते थे।

उन्होंने अपना पहला कॉन्सर्ट महज 7 साल की उम्र में किया था और 12 साल की उम्र से उन्होंने विदेशों में प्रस्तुति देना भी शुरू कर दिया था। ज़ाकिर ने 12 वर्ष की उम्र में अमेरिका में अपने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट किया था। इस कॉन्सर्ट में ज़ाकिर हुसैन को 5 रुपए मिले थे। एक इंटरव्यू के दौरान ज़ाकिर ने कहा था, “मैंने अपने जीवन में बहुत पैसे कमाए लेकिन वे 5 रुपए सबसे कीमती थे।”

ज़ाकिर ने बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, “12 साल की उम्र में मैं बड़े गुलाम अली, आमिर खां, ओंकारनाथ ठाकुर के साथ तबला बजा रहा था। 16-17 साल की उम्र में मैं रविशंकर, अली अकबर खां के साथ संगत कर रहा था।” उन्होंने कम उम्र में तबला वादन का अच्छा एक्सपोजर मिलने का श्रेय अपने पिता को दिया था।

व्हाइट हाउस में किए गए थे आमंत्रित

ज़ाकिर के तबले की थाप ने दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और अमेरिका में उन्हें खास तौर पर बहुत सम्मान दिया जाता है। 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा ने ज़ाकिर हुसैन को स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था। ज़ाकिर पहले भारतीय म्यूजिशियन थे जिन्हें यह आमंत्रण मिला था। उन्होंने कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी की थी। ज़ाकिर ने 1983 में ब्रिटिश फिल्म हीट ऐंड डस्ट से डेब्यू किया था और इस फिल्म में शशि कपूर भी थे। उन्हें मुगल-ए-आजम फिल्म में सलीम के छोटे भाई का रोल भी ऑफर हुआ था लेकिन पिता उस्ताद अल्लारक्खा नहीं चाहते थे कि वे संगीत के बजाय फिल्मों पर ध्यान दें और ज़ाकिर ने वह रोल नहीं किया था।

पद्म विभूषण और 4 ग्रैमी समेत अनेक अवॉर्ड जीते

5 रुपए से कॉन्सर्ट की शुरुआत करने वाले ज़ाकिर हुसैन के कॉन्सर्ट की फीस लाखों में पहुंच गई थी। उन्होंने दुनिया भर में अपने हुनर का लोहा मनवाया था। ज़ाकिर हुसैन 37 वर्ष की उम्र में 1988 में पद्मश्री से नवाजा गया था और इस दौरान उनके पिता अल्लारक्खा ने उन्हें हार पहनाया था। उसी दौरान पंडित रविशंकर। ने पहली बार ने ज़ाकिर हुसैन को ‘उस्ताद’ कहा था। 1990 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया था। जाकिर को 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से भी नवाज़ा गया था। 2009 में उन्होंने ‘समकालीन विश्व संगीत एल्बम श्रेणी’ में ग्रैमी अवॉर्ड जीता था और 2024 में उन्हें 3 अलग-अलग एल्बम के लिए ग्रैमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्होंने कई अन्य बड़े पुरस्कार भी अपने नाम किए थे।

तबले से बजाया डमरू

ज़ाकिर हुसैन के निधन की खबर के बाद से उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें वो अपने तबले की थाप से भगवान शिव के डमरू का स्वर निकालने नज़र आ रहा हैं। खुद को मां सरस्वती और भगवान गणेश का सच्चा साधक बताने वाले तबला वादक ज़ाकिर की भारतीय संस्कृति के प्रति अट्टू श्रद्धा थी और उन्हें इस संस्कृति पर हमेशा गर्व रहा।

“तबला से डमरू और शंखनाद..” 👌

ये ज़ाकिर हुसैन साहब की प्रतिभा के साथ-साथ उनकी भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट श्रद्धा का भी परिचायक है॥ उनका आज जाना अखर गया। ज़ाकिर हुसैन जी माँ सरस्वती के परम भक्त थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें! #zakirhussain #Tabla… pic.twitter.com/fhgRqQYoN2

— Alok Kumar 🇮🇳 (@IasAlok) December 15, 2024

कहा जाता है कि ज़ाकिर के जन्म के समय उनके पिता उस्ताद अल्लारक्खा कुरैशी ने जब उन्हें गोद में लिया तो उनके कान में कुरान की आयतें नहीं पढ़ीं बल्कि तबले के बोल कहे थे। जब उनके परिवार ने इसी वजह पूछी तो वे बोले ‘तबले की ये तालें ही मेरी आयत है’। ज़ाकिर के कान में कहीं गईं उन तालों को अगले कुछ दशकों में पूरी दुनिया ने ना केवल सुना बल्कि मन भरकर सराहा भी। तबला वादक ज़ाकिर हुसैन के निधन बाद बने खाली शून्य में उनके तबले वे तालें हमेशा गूंजती रहेंगी। आने वाली नस्लें उन तालों पर गर्व करेंगी और उन्हें रस्क होगा कि उन्होंने अपने सामने ज़ाकिर के हाथों की जादूगरी नहीं देखी…अलविदा ज़ाकिर…

स्रोत: उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, तबला, ग्रैमी अवॉर्ड, नरेंद्र मोदी, द्रौपदी मुर्मु, पद्म विभूषण, Ustad Zakir Hussain, Tabla, Grammy Award, Narendra Modi, Draupadi Murmu, Padma Vibhushan, निधन, Demise
Tags: Draupadi MurmuGrammy AwardNarendra ModiPadma VibhushanTablaUstad Zakir Hussainउस्ताद ज़ाकिर हुसैनग्रैमी अवॉर्डतबलाद्रौपदी मुर्मुनरेंद्र मोदीपद्म विभूषण
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