छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या करने के आरोप में कांग्रेस नेता सुरेश चंद्राकर और उसके भाई समेत 4 अन्य सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया है। मृत पत्रकार मुकेश चंद्राकर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई है। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर्स का कहना है कि उन्होंने पूरे करियर में ऐसा केस कभी नहीं देखा। हत्या के लिए पत्रकार को इतना पीटा गया था कि उसका हार्ट फट गया था और लिवर के 4 टुकड़े हो गए थे। इसका सीधा मतलब है कि सुरेश चंद्राकर ने पत्रकार को तड़पा-तड़पाकर मारा था।
पत्रकार मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी, 2025 से लापता थे। 3 जनवरी को उनका शव बीजापुर में कांग्रेस नेता और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के कंपाउंड में बने सेप्टिक टैंक से मिला था। मुकेश की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि मुकेश के लिवर के 4 टुकड़े हो गए थे। साथ ही 4 पसलियां और गर्दन टूट गई थी। हाथ की हड्डी के 2 टुकड़े हो गए थे। इतना ही नहीं, हार्ट पूरी तरह से फट गया था और सिर पर 15 फ्रैक्चर मिले हैं।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि मुकेश चंद्राकर की हत्या करने के लिए उनके सीने और सिर को खासतौर पर निशाना बनाया गया था। मुकेश का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर का कहना है कि 12 साल के मेडिकल करियर में उन्होंने इतनी नृशंस हत्या का मामला कभी नहीं देखा।
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या: क्या है पूरा मामला
इस पर हम विस्तार से बात करेंगे, लेकिन पहले घटना के बारे में जानते हैं। घटना छत्तीसगढ़ जिले के बीजापुर की है। ईसाई नववर्ष के दिन जब पूरी दुनिया जश्न में डूबी हुई थी, पत्रकार मुकेश चंद्राकर गायब हो गए। परिवार में कोहराम मच गया। उनके भाई युकेश ने सोशल मीडिया से लेकर पुलिस-प्रशासन तक में अपील की। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। 2 दिन बाद ठेकेदार सुरेश चंद्राकर द्वारा बनाए गए एक सेप्टिक टैंक में उनकी लाश मिलती है। टैंक के ऊपर कंक्रीट डाल कर लाश को अंदर ही छोड़ दिया गया था। लाश निकालने के लिए पुलिस को कंक्रीट तोड़नी पड़ी।
आख़िरकार सुरेश चंद्राकर अपने 2 साथियों संग गिरफ़्तार हुआ। राजधानी रायपुर से उसकी महिंद्रा थार गाड़ी भी बरामद की गई। ये गाड़ी उसके भाई रितेश के नाम पर थी, जिसने पुलिस को धोखा देने के लिए अपनी गाड़ी का नंबर भी बदलवा लिया था। रितेश भी इस जघन्य हत्याकांड में आरोपित है। मोबाइल की आखिरी लोकेशन ट्रैक करने के बाद मुकेश की लाश बरामद हो सकी। वहाँ ताज़ा ढलाई हुई थी, जिससे पुलिस का शक गहरा हुआ। सेप्टिक टैंक से निकली लाश को देख कर किसी की भी रूह काँप जाए। डेड बॉडी को देख कर स्पष्ट पता चलता है कि हत्या से पहले उन्हें बुरी तरह तड़पाया गया था।
ये सब क्यों? क्योंकि पत्रकार ने ठेकेदार द्वारा सड़क निर्माण में किए गए भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग की गई थी। उनके सिर पर गहरे चोट के निशान हैं। आँखों पर ज़ख्म है। 32 साल के मुकेश चंद्राकर ने अपने मित्र पत्रकार नीलेश त्रिपाठी से अंतिम बार बातचीत की थी। उन्होंने नीलेश से बताया था कि ठेकेदार का भाई रितेश उन्हें ले जाने के लिए आने वाला है। उन्होंने जिस सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार को उजागर किया था, उसकी जाँच के लिए राज्य की भाजपा सरकार ने एक समिति भी गठित कर दी थी।
भ्रष्टाचार की खुली पोल, कांग्रेस नेता ने मरवा दिया
ये रिपोर्ट NDTV पर प्रकाशित हुई थी। आइए, बताते हैं कि नीलेश त्रिपाठी के नाम से प्रकाशित उस रिपोर्ट में क्या था। उसमें बताया गया था कि नक्सल प्रभावित गंगालूर से नेलशनार तक की सड़क में मात्र एक किलोमीटर में ही 35 से भी अधिक गड्ढे हैं। पहाड़ी काट कर बेस मैटेरियल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था, सवाल उठाया गया था कि क्या इसकी अनुमति थी? बीजापुर टी- प्वाइंट से जगरगुंडा तक निर्माणाधीन 70 किलोमीटर के भीतर 48 जवान बलिदान हो चुके हैं, ऐसे में ये मामला संवेदनशील है। क्योंकि, नक्सल प्रभावित इलाक़ों में सुरक्षा बलों के लिए अच्छी सड़क बहुत आवश्यक है।
ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को ये अच्छा नहीं लगा, उसने सुरेश को मरवा दिया। वैसे ये शख्स दिसंबर 2021 में हुई अपनी शादी के बाद ही सुर्ख़ियों में आ गया था। इसे बीजापुर की सबसे महँगी शादी बताई गई थी। उस समय बस्तर से कांग्रेस के लोकसभा संसद और पार्टी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को भी शादी का निमंत्रण दिया गया था। आज यही दीपक बैज कह रहे हैं कि सुरेश कांग्रेस का पदाधिकारी नहीं है बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता और उद्यमी है। जबकि, सच्चाई कुछ और ही सामने आ रही है।
सुरेश चंद्राकर को भाजपा के SC (अनुसूचित जाति) मोर्चे का प्रदेश उपाध्यक्ष का पद दिया गया था। कांग्रेस नेताओं के साथ उसकी कई तस्वीरें वायरल हैं। कांग्रेस के लिए वो चुनाव प्रचार करता हुआ दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री रहते भूपेश बघेल जब बीजापुर पहुँचे थे तो उससे पहले सुरेश चंद्राकर ने एक पोस्टर जारी कर के उनका स्वगात किया था। इतना ही नहीं, कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सुरेश चंद्राकर को नवापुर विधानसभा क्षेत्र का ऑब्जर्बर बना कर भेजा गया था। यानी, छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि राज्य के बाहर भी पार्टी उसकी सेवाएँ ले रही थीं।
आप सोशल मीडिया खँगालिए। पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या की निंदा करते हुए कविताएँ लिखी जा रही हैं, अच्छी-अच्छी बातें की जा रही हैं। लेकिन, कांग्रेस पार्टी का कहीं नाम तक नहीं लिया जा रहा। इसे कहते हैं नैरेटिव। ऐसा कर के इस गिरोह के लोग ख़ुद को पत्रकारिता का झंडाबरदार भी साबित कर रहे। याद कीजिए, ये वही गिरोह है जो प्रतिदिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली दे-दे कर उन्हें तानाशाह बताता रहा है, लेकिन आज पता चल रहा है कि असली तानाशाह कौन लोग हैं। कांग्रेस के एक मामूली ठेकेदार के खिलाफ भी बोलने का अंजाम क्या होता है।
नैरेटिव का खेल: मुकेश चंद्राकर की हत्या करवाई किसी ने, निशाना कोई और
इसमें कोई शक नहीं है कि नक्सलियों के गढ़ से रिपोर्टिंग करने वाले मुकेश चंद्राकर एक बहादुर पत्रकार थे। 2021 में नक्सलियों ने जब CRPF के एक जवान का अपहरण किया था, तब सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत के दौरान वो ही मध्यस्थ बने थे। उन्होंने उक्त जवान को नक्सलियों के चंगुल से छुड़ाया था और अपनी बाइक पर बिठा कर ले आए थे। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के खिलाफ अभियान चलाते थे। लेकिन, उन्होंने इसकी क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई। और अब, उनकी लाश पर राजनीति हो रही है।
कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने सोशल मीडिया पर इसे ‘भाजपा का जंगलराज’ बताया। यहाँ तक कि कांग्रेस के छत्तीसगढ़ यूनिट ने भी इसका दोष भाजपा पर मढ़ दिया है। इधर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय साफ़ कर चुके हैं कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी, एक भी अपराधी को नहीं बख्शा जाएगा। और मीडिया? ये भी जानिए कि इस दौरान मीडिया क्या कर रहा है। एक तरफ तो हमने उस भाजपा विरोधी इकोसिस्टम को देखा जो कांग्रेस पार्टी का नाम छिपाते हुए इसे सीधे-सीधे पत्रकारिता पर हमला बता रहा है।
वहीं, दूसरी तरफ हैं ‘दैनिक भास्कर’ जैसे संस्थान जिनके लिए मुकेश चंद्राकर जैसे युवा पत्रकार का कोई सम्मान हो या न हो, लेकिन सुरेश चंद्राकर ज़रूर उसके लिए ‘इमर्जिंग स्टार’, यानी उभरता हुआ सितारा है। 1 जनवरी, 2025 को एक पूरा पन्ना ही सुरेश चंद्राकर को समर्पित किया गया, उसे जुझारू, संघर्षशील और समाज को समर्पित नायक तक करार दिया गया। जिस दिन मुकेश गायब होते हैं, उसी दिन ये ख़बर छपती है। क्या पैसे देकर कोई भी समाजसेवी बन जाएगा? शायद देश की मीडिया इसी तरह कार्य करती है, तभी इस तरह की घटनाओं का शिकार बनने के बावजूद हत्यारों का बचाव किया जाता है।