ताहिर हुसैन याद है आपको? ताहिर हुसैन छोड़िए, दिल्ली दंगों के दौरान मार डाले गए IB अधिकारी अंकित शर्मा याद हैं आपको? वही अंकित शर्मा, जिनकी लाश गटर में फेंक दी गई थी। वही अंकित शर्मा, पोस्टमॉर्टम में जिनके मृत शरीर पर 51 जख्म मिले थे। ये भी सामने आया था कि उन्हें 400 बार चाकू से घोंपा गया था। इस हत्याकांड में ताहिर हुसैन का नाम आया था जो उस समय AAP का पार्षद था। अब उसे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्तफाबाद से विधानसभा का टिकट दिया है।
ताहिर हुसैन को जमानत देने के पक्ष में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह
अब ताज़ा खबर सुनिए। सुप्रीम कोर्ट में उसे जमानत देने के मामले में सुनवाई हुई। 2 जज थे, नंबर एक – जस्टिस पंकज मित्तल। दूसरे – जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह। जस्टिस पंकज मित्तल का तो स्पष्ट
कहना है कि चुनाव प्रचार करना न तो मूलभूत अधिकारों में आता है और न ही संवैधानिक मानवाधिकारों में। वहीं जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह का कहना है कि ताहिर हुसैन पर लगे आरोप तो अभी आरोप ही हैं। उसका कहना है कि ताहिर हुसैन को बेल देने से इस केस की मेरिट पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। यानी, अंकित शर्मा की बर्बर हत्या के मामले में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह तहिर हुसैन को बेल देने के पक्ष में हैं। हाँ, इस दौरान आपको ये भी बता देते हैं कि उन्हें गुस्सा कब आता है।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह को गुस्सा आता है पतंजलि पर, एक आयुर्वेदिक कंपनी पर, बाबा रामदेव पर, वो बाबा रामदेव जो भगवा वस्त्र धारण करते हैं। याद कीजिए, पतंजलि को जब ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ ने भ्रामक विज्ञापन के मामले में फँसाया था तब सुप्रीम कोर्ट में इन्हीं जस्टिस अहसानुद्दीन अमानतुल्लाह ने उत्तराखंड के अधिकारियों को फटकारते हुए कहा था – We will rip you apart. यानी, हम आपको चीर-फाड़ देंगे। ये भी बता दें कि उस समय IMA का जो अध्यक्ष था, JA जयलाल, वो अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों का इस्तेमाल लोगों को ईसाइयत में धर्मांतरित करने के लिए करना चाहता था।
पतंजलि पर सख्त, अंकित शर्मा की हत्या पर नहीं आया गुस्सा?
हमने देखा कि कैसे न केवल पतंजलि को इस केस में घसीटा गया बल्कि माफीनामे को लेकर सुप्रीम कोर्ट इतना सख्त था कि जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह को काफी गुस्सा आ गया और उन्होंने चीरने-फाड़ने की धमकी दे डाली। वहीं दिल्ली में हुए दंगों में दंगाई भीड़ का नेतृत्व करने वाले, उन्हें रसद-पानी मुहैया कराने वाले, और अपने घर को दंगाइयों के लिए लॉन्चपैड बना देने वाले ताहिर हुसैन को जमानत देने समय उनके फैसले में वो गुस्सा नहीं दिखा। अंकित शर्मा के शरीर का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा हो, जिसे जख्म नहीं दिया गया। उनकी आँतें शरीर से बाहर निकल आई थीं।
डेड बॉडी की फॉरेंसिक जाँच करने वाले डॉक्टर भी हैरान हो गए थे। उन्होंने कहा था कि हमने ऐसा क्षत-विक्षत मृत शरीर आज तक नहीं देखा। एक-दो नहीं बल्कि दस लोगों ने मिल कर अंकित शर्मा को मारा था। अगर ताहिर हुसैन को बेल दे दिया जाता है तो फिर कड़कड़डूमा कोर्ट में 650 पन्नों की जो चार्जशीट दायर करने की मेहनत की गई थी उसका क्या फायदा? दिल्ली पुलिस ख़ुद बता चुकी है कि ताहिर हुसैन ने दंगों के लिए करोड़ों रुपयों की
फंडिंग की। आखिर क्या कारण है कि जज साहब अहसानुद्दीन अमानुल्लाह को पतंजलि और बाबा रामदेव के खिलाफ तो गुस्सा आता है, लेकिन इतने बर्बर हत्याकांड को अंजाम देने वाले ताहिर हुसैन के खिलाफ गुस्सा नहीं आता? ये भारत देश है। यहाँ ताहिर हुसैन को टिकट भी मिलता है, जज उसे जमानत भी देता है।
अब 28 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा, क्योंकि जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह का फैसला बँटा हुआ है। विभाजित है। आश्चर्य न हो अगर वो कल को बाहर निकल कर सफ़ेद कुर्ते में हाथ हिला कर अभिवादन स्वीकार करता नज़र आए। आखिर हो भी क्यों न, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह का कहना है कि ताहिर हुसैन 5 वर्षों से घर नहीं गया है। मीलॉर्ड्स की इतनी ‘दया’ मिलेगी तो आखिर ताहिर हुसैन क्यों न सफ़ेद कुर्ते-पायजामे में चुनाव प्रचार करेगा।
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