केंद्रीय बजट 2025(Budget 2025), जो मोदी 3.0 सरकार के दृष्टिकोण और आर्थिक सुधारों का प्रतिबिंब होगा, शनिवार, 1 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत किया जाएगा। यह उनका लगातार आठवां केंद्रीय बजट होगा, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसके साथ ही वह लगातार आठ केंद्रीय बजट पेश करने वाली पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी। इससे पहले यह रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम था, जिन्होंने छह बजट पेश किए थे। मोदी सरकार का यह बजट आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। सूत्रों की मानें तो इस बार के बजट में आम जनता और टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत की उम्मीद है। विशेष रूप से, इनकम टैक्स में छूट जैसे बड़े ऐलान इस बजट को और भी खास बना सकते हैं।
टैक्सपेयर्स की वित्त मंत्री से 3 बड़ी उम्मीदें
1. इनकम टैक्स में छूट बढ़ाने की ख्वाहिश
वर्तमान में, नई टैक्स व्यवस्था के तहत 7 लाख रुपये तक की आय पर छूट मिल रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह सीमा बढ़ाई जा सकती है। टैक्स कंसल्टिंग फर्म Tax Connect Advisory Services LLP के पार्टनर विवेक जलान के मुताबिक, “यह उम्मीद की जा रही है कि इस छूट को 9 लाख रुपये तक बढ़ा दिया जाएगा, ताकि मध्यम वर्ग को अधिक वित्तीय राहत मिल सके।”
साथ ही, जिन टैक्सपेयर्स की सालाना आय 15 लाख रुपये से अधिक है, उनके लिए यह नई व्यवस्था कुछ ज्यादा ही भारी पड़ सकती है। ऐसे में सरकार से यह अपेक्षा की जा रही है कि 15 लाख से 18 लाख रुपये की आय वाले टैक्सपेयर्स के लिए 25% टैक्स दर वाला नया स्लैब लागू किया जाए।
2. होम लोन पर ब्याज कटौती की सीमा बढ़ाई जाए
Dewan PN Chopra & Co. के मैनेजिंग पार्टनर ध्रुव चोपड़ा का कहना है कि होम लोन पर ब्याज की कटौती की सीमा को बढ़ाकर, होमबायर्स को राहत मिलनी चाहिए। वर्तमान में धारा 24(b) के तहत 2 लाख रुपये तक की ब्याज कटौती का लाभ मिलता है, लेकिन विशेषज्ञों का सुझाव है कि इसे कम से कम 3 लाख रुपये तक बढ़ाया जाए। इसके अलावा, एक घर के लिए पूरे ब्याज भुगतान को कटौती के दायरे में लाने की भी मांग उठ रही है।
3. स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी
टैक्सपेयर्स को इस बार उम्मीद है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि की जाएगी। नई टैक्स व्यवस्था में यह डिडक्शन 75,000 रुपये है, जबकि पुरानी व्यवस्था में यह 50,000 रुपये है। पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे नई व्यवस्था में बढ़ाकर 75,000 रुपये किया था, लेकिन पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया था। अब टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि नई व्यवस्था में इसे 1 लाख रुपये और पुरानी व्यवस्था में इसे 75,000 रुपये किया जाए।