उत्तर प्रदेश में होने वाले महाकुम्भ 2025 की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। लेकिन इस भव्य आयोजन को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का एक बयान तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे कुंभ स्थल को वक्फ की जमीन बताते हुए मुस्लिमों के लिए दुकानों की मांग कर रहे हैं। पहले हिंदू त्योहारों के खिलाफ फतवे जारी करने वाले वही मौलाना अब इस आयोजन में मुस्लिमों के एंट्री की बात कर रहे हैं, जिससे सवाल उठता है कि यह अचानक से बदलाव क्यों हो रहा है?
यह केवल आयोजन का मामला नहीं, बल्कि बार-बार हो रही ऐसी मांगों के पीछे की मंशा को समझना जरूरी है। जब एक समुदाय के धार्मिक कार्यक्रमों में बार-बार इस तरह की घुसपैठ और अधिकारों की मांग की जाती है, तो यह सिर्फ व्यापार या सहअस्तित्व की बात नहीं रह जाती, बल्कि एक गहरी साजिश की ओर इशारा करती है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि आखिर इस तरह की घटनाओं के पीछे क्या सोच काम कर रही है और क्यों इसे नजरअंदाज करना सही नहीं होगा।
महाकुंभ 2025 में घुसपैठ का षड्यंत्र!
महाकुम्भ 2025 एक ऐसा आयोजन है, जिसे केवल एक धार्मिक कार्यक्रम के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। यह भारत की सांस्कृतिक विविधता, समाज की एकजुटता और बेहतर प्रबंधन की क्षमता का परिचायक है। यह आयोजन देश की छवि को विश्व मंच पर सकारात्मक रूप से प्रस्तुत करने का अवसर भी है। लेकिन हाल के दिनों में इस आयोजन को लेकर कुछ अनावश्यक विवाद खड़े हो रहे हैं, जिनका उद्देश्य केवल माहौल खराब करना लगता है।
हाल ही में मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि आयोजन स्थल की 55 बीघा जमीन वक्फ बोर्ड की है। उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई, लेकिन आयोजन में उनकी भागीदारी और दुकान लगाने की मांग का विरोध किया जा रहा है।
इस बयान के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह की मांगें सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि एक खास मकसद से की जाती हैं। इस मुद्दे पर बातचीत करते हुए हमारे सूत्र ने बताया, “हर साल माघ मेले में स्नान करने जाता हूं और हर बार यह देखता हूं कि कुछ मुस्लिम कट्टरपंथी तत्व हिंदू नाम का ढोंग करते हुए मुस्लिम धार्मिक किताबें बेचने का काम करते हैं। इन किताबों का उद्देश्य भगवान की तुलना दुसरे धर्म से करके उन्हें अपमानित करना और हिंदू धर्म को नीचा दिखाना होता है। यह एक सुनियोजित प्रयास है, जिसका असली मकसद मेले में आयी युवा पीढ़ी को भ्रमित करना और उनके दिमाग का ब्रेनवॉश करना है, ताकि वे अपनी धार्मिक जड़ें भूल जाएं और बाहरी विचारधाराओं को स्वीकार कर लें।”
महाराष्ट्र से आया था कुछ ऐसा ही मामला
2 नवंबर 2024 को एक shocking खबर सामने आई थी, जिसमें कथित हिंदू धार्मिक किताबों के नाम पर एक किताब मिली है, जिसमें मोहम्मद साहब की जीवनी और इस्लाम की महिमा का वर्णन किया गया है। यह किताब ₹20 में बेची जा रही थी और ₹10 के डिस्काउंट पर भी उपलब्ध थी। सोशल मीडिया पर इस घिनौनी साजिश का पर्दाफाश करते हुए वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें बताया गया कि यह किताब पूरी तरह से इस्लाम की शिक्षा पर आधारित थी और इसका मकसद हिंदू धर्म को कमजोर करना था।
यह देखिए हिंदुओं के खिलाफ किस तरह से नया षड्यंत्र शुरू हुआ है
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक किताब बांटी जा रही है जिसका नाम है गीता का ज्ञान अमृत और मूल्य बेहद कम यानी ₹20 रखा गया है
यह किताब हरियाणा के मेवात एरिया में छापी गई है
इतना ही नहीं यदि किसी के पास सिर्फ ₹10 हो… pic.twitter.com/E1gZ0MAvcV
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) November 2, 2024
अब सवाल उठता है कि क्या महाकुंभ में मुस्लिमों के प्रवेश की मांग और इस तरह के गुप्त धर्मांतरण के प्रयास एक ही साजिश का हिस्सा हैं? क्या कुछ असामाजिक तत्व हिंदू धर्म की गरिमा को नुकसान पहुंचाने के लिए इन धार्मिक आयोजनों में हिन्दू नवयुकों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं? क्या यह मांग केवल एक दिखावा है, या इसके पीछे कोई और उद्देश्य है, जो समाज के ताने-बाने को तोड़ने की कोशिश कर रहा है?