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भारत को भारत के अनुरूप समग्र आदर्श विकसित बनाने का लक्ष्य

प्रधानमंत्री ने देश के लिए चार जातियां बताई थीं- गरीब, युवा, किसान और महिला

Awadhesh Kumar द्वारा Awadhesh Kumar
7 February 2025
in मत
भारत को भारत के अनुरूप समग्र आदर्श विकसित बनाने का लक्ष्य
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केंद्रीय बजट से एक दिन पूर्व आर्थिक समीक्षा में ही सरकार ने बजट की भावी दिशा बता दी थी। आर्थिक सर्वेक्षण में स्वतंत्रता के 100 साल बाद 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने के लक्ष्य की दृष्टि से काफी बातें कहीं गई थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का लक्ष्य विरासत के साथ विकास है। यानी भारत को अपनी पहचान, आध्यात्मिक अंतःशक्ति सभ्यता, संस्कृति के साथ सामंजस्य बिठाते, इसे एक मुख्य आधार बनाते हुए विश्व में विकसित देश बनाना। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण का आरंभ इन्हीं बिंदुओं से किया। सर्वेक्षण में कहा गया था कि विकसित भारत बनाने के लिए एक या दो दशक तक, स्थिर कीमतों पर औसत 8 प्रतिशत की विकास दर हासिल करने की ज़रूरत है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से बढ़ रही है। इसके आगे उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों के हमारे विकास ट्रैक रिकॉर्ड और संरचनात्मक सुधारों ने पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। यह सच भी है कि भारत की क्षमता और संभावनाओं पर वैश्विक विश्वास और बढ़ा है। वित्त मंत्री ने भविष्य दृष्टि के लिए कहा कि हम अगले 5 वर्षों को सबके विकास को साकार करने और सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास को प्रोत्साहित करने के एक अनूठे अवसर के रूप में देखते हैं। बजट को पांच बिंदुओं पर आधारित बनाया गया है– विकास की गति बढ़ाना, समग्र विकास, निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना, घरेलू संवेदनाओं को मजबूत करना तथा मध्यम वर्ग की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाना।

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वित्त मंत्री ने आगे कहा कि मेक इन इंडिया, रोजगार और अनुसंधान, ऊर्जा आपूर्ति, खेलों का विकास और एमएसएमपी यानी सूक्ष्म व लघु उद्योगों का विकास हमारी विकास यात्रा में शामिल हैं और इसका ईंधन सुधार हैं। इन दो पहलुओं को देखने के बाद बजट आसानी से समझा जा सकता है। आर्थिक सर्वेक्षण में चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा गया था कि विकास दर की वांछनीयता निर्विवाद है, लेकिन यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि वैश्विक परिवेश – राजनीतिक और आर्थिक कारण भी भारत के विकास परिणामों को प्रभावित कर रहे हैं। यानी चुनौतियां हमारे समक्ष हैं और उनका सामना करना ही पड़ेगा। जब आपका उद्देश्य स्पष्ट हो, समस्याएं दिखाई दे रही हों तो रास्ते अपनाने और नीतियों के निर्धारण में आसानी हो जाती है।

वास्तव में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण उत्पन्न समस्याओं और चिंता के बीच विकास के रास्ते में उत्पन्न बाधाओं का सामना करने के लिए वर्तमान परिस्थितियों में जितना कुछ संभव है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उसे पूरा करने की कोशिश की है। सच है कि भूमि, श्रम, कृषि और प्रशासन के क्षेत्र में संभावित साहसिक और राजनीतिक रूप से संवेदनशील सुधारों से सरकार बची है। बावजूद 2025-26 का बजट उस भारत की छवि को मजबूत करता है जो सुधार के लिए तत्पर है, संभावनाओं से भरा हुआ है तथा विश्व में उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति है। प्रधानमंत्री ने देश के लिए चार जातियां बताई थीं- गरीब, युवा, किसान और महिला। कुल मिलाकर 10 क्षेत्रों में बदलाव संबंधी कोशिशें पर फोकस किया गया है। 2024-25 के 48 लाख 21 हजार करोड़ की तुलना में इस बार कुल 50 लाख 65 हजार करोड़ का बजट है । इसका अर्थ है कि सरकार को वित्तीय चुनौतियों का आभास है और खर्च ज्यादा बढ़ाया नहीं गया है जो व्यवहारिक है। इन परिस्थितियों में वित्त घाटे को संपूर्ण अर्थव्यवस्था के 4.4% तक रखना बहुत बड़ी उपलब्धि है। 5 वर्ष पहले यह 9.02% था।

आयकर में छूट ऐतिहासिक है, नौकरी पेशा वालों के लिए 12 लाख 75 हजार और आम कारोबारी के लिए 12 लाख तक आयकर में छूट की कल्पना किसी को नहीं थी। इसलिए सबसे ज्यादा चर्चा उसकी हो रही है। इसे हम राजनीतिक रूप से प्रभावी मध्यमवर्ग को खुश करने की योजना बता सकते हैं। लेकिन इसके आर्थिक और वित्तीय महत्व को नकारा नहीं जा सकता। मध्यम वर्ग का आर्थिक और वित्तीय सशक्तिकरण तथा उसकी क्रय शक्ति बढ़ाने का लक्ष्य शामिल है। मध्यमवर्ग की जेब में धन बचने का अर्थ है कि वे आवश्यकताओं पर ज्यादा खर्च कर सकेंगे, जिससे प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास गति को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही अपने जीवन को ज्यादा सुरक्षित और खुशहाल होने की कल्पना से अंदर सकारात्मकता का विकास होगा और इसका असर हमारे संपूर्ण आर्थिक ,सामाजिक, सांस्कृतिक वातावरण पर पड़ेगा। इसके साथ 95% आयकर दाता अब आयकर देने से मुक्त हो चुके हैं। इस दृष्टि से यह साहसी, क्रांतिकारी और ऐतिहासिक कदम है।

बजट के सारे पहलुओं पर एक लेख में चर्चा करना संभव नहीं है। भारत अब जिस स्थिति में पहुंच गया है उसमें बजट से बहुत ज्यादा आश्चर्य की घोषणा हो सकती है ना होनी चाहिए। भारत के मूल यानी विरासत के साथ समाज के नीचे से ऊपर सभी तत्वों के संतुलित विकास के साथ ही देश अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा। हम देखेंगे कि समाज के सबसे निचले तबके यानी सड़कों पर सामान बेचने वाले, श्रमिकों, असंगठित मजदूरों ,किसानों ,मत्स्यपालकों, लघु ,मध्य व सूक्ष्म उद्योगों, युव नव उद्यमियों, धार्मिक आध्यात्मिक केन्द्रों आदि सभी समूहों की विकास के दौर में गतिशील होने की व्यवस्था इस बजट में है। भारत के प्रमुख धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक स्थानों पर जिस ढंग से तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है वह हमारी सबसे बड़ी ताकत होगी।

इसे ध्यान में रखते हुए 50 ऐसे स्थलों को राज्यों की भागीदारी के साथ विकसित करने की योजना है। रोजगार प्रेरित विकास के लिए, आतिथ्य प्रबंधन संस्थानों के लिए, कौशल विकास कार्यक्रमों के साथ होम स्टे के लिए मुद्रा ऋण, यात्रा और संपर्क में सुधार करना, वीजा शुल्क में छूट के साथ ईवीजा को और बढ़ाना, चिकित्सा पर्यटन और स्वास्थ्य लाभ को बढ़ावा दिया जाएगा। इस तरह के व्यवहारिक सूक्ष्मता स्तरीय सोच का कितना असर होगा इसकी आप कल्पना कर सकते हैं। तो भविष्य के एक विशेष पहचान वाले, आदर्श महाशक्ति की दृष्टि से आधारभूमि बनाने की कोशिश लगातार मोदी सरकार के बजट में है और इसे इस बार सशक्त और त्वरित करने की कोशिश की गई।

सरकार ने सर्वेक्षण में स्पष्ट किया था कि कृषि, जिसका योगदान कुल अर्थव्यवस्था में 16% के आसपास है, में काफी क्षमता है और प्रतिवर्ष यह 0.75 प्रतिशत से एक प्रतिशत का योगदान दे सकता है। बजट में कृषि विकास के लिए जबरदस्त कदमों की घोषणा है। प्रधानमंत्री धनधान्य योजना में ऐसे 100 जिलों को चुना जाएगा, जहां कृषि उत्पादकता कम है। इनसे उत्पादकता बढ़ाने, खेती में विविधता लाने, सिंचाई और उपज के बाद भंडारण की क्षमता मजबूत करने में मदद मिलेगी। इससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ होगा।

किसान क्रेडिट कार्ड अभी 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों को अल्पावधि ऋण की सुविधा प्रदान करता है। संशोधित ब्याज अनुदान योजना के साथ किसान क्रेडिट कार्ड की ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की गई है। दलहन में आत्मनिर्भरता के लिए छह वर्ष का मिशन शुरू होगा। खाद्य तेलों के उत्पादन पर ध्यान दिया जाएगा। नैफेड और एनसीसीएफ में पंजीकृत किसानों से दालें खरीदेगी। श्रीअन्न ,सब्जियां और फलों के लिए भी बड़ी योजना का प्रस्ताव है। ऐसे किसानों की आय बढ़ाने के लिए योजना राज्यों के साथ साझेदारी के साथ लॉन्च किया जाएगा। बिहार में राष्ट्रीय फूड टेक्नोलॉजी संस्थान शुरू किया जाएगा। इससे पूरे पूर्वी क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण क्षमताएं मजबूत करने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय उच्च पैदावार बीज मिशन के अंतर्गत बीजों की ऐसी 100 से अधिक किस्मों को उपलब्ध कराने का प्रस्ताव कितना महत्वपूर्ण है यह किसान और कृषि से जुड़े विशेषज्ञों को अच्छी तरह पता है। मछली पालन में भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, इसका बाजार करीब 60 हजार करोड़ का है। भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्रों और गहरे समुद्र में स्थायी मत्स्य पालन पर ज़ोर दिया गया। अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह को मत्स्य पालन विकास के लिए लक्षित किया गया है। डेयरी और मछली पालन के लिए 5 लाख रुपए तक का कर्ज का प्रस्ताव महत्त्वपूर्ण है। यही नहीं समुद्री उत्पादों पर सीमा शुल्क सीधे 30% से घटाकर 5% करना बहुत बड़ा कदम है। अंडमान, निकोबार और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को बढ़ावा मिलेगा। ध्यान रखिए मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देने की घोषणा के बाद एक्वाकल्चर स्टॉक में 12.5% तक की वृद्धि हुई है।

बिहार के किसानों की मदद के लिए मखाना बोर्ड का गठन होगा। मिथिलांचल में पश्चिमी कोसी नहर परियोजना शुरू होगी। जिससे 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के किसानों को फायदा मिलेगा। कपास उत्पादकता मिशन के तहत उत्पादकता में पर्याप्त बढ़ोतरी होगी और कपास के लंबे रेशे वाली किस्मों को बढ़ावा दिया जाएगा। बजट में इन सबसे किसानों की आए व्यापक रूप से बढ़ाने की कल्पना की गई है। यूरिया उत्पादन को बढ़ावा दिए जाने पर फोकस है और असम के नामरूप में नया यूरिया प्लांट लगेगा।

गांव के साथ शहरों को विकास केन्द्र बनाने के प्रस्तावों को क्रियान्वित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपए का शहरी चुनौती कोष स्थापित करने की योजना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आर्थिक विकास के साथ शहरों की व्यवस्था कमजोर हो रही है। उस कारण वे क्षमताओं के अनुरूप अर्थव्यवस्था में योगदान देने की जगह अपनी ही चुनौतियों से निपटने में ज्यादा उलझे हुए हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग 7.5 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहा है। ये एमएसएमई उत्पादकों के साथ निर्माण में 45 प्रतिशत योगदान कर रहे हैं। इसमें वर्गीकरण के लिए निवेश और टर्नओवर की सीमा को क्रमशः 2.5 और 2 गुना तक बढ़ाया जाएगा।

इससे उन्हें आगे बढ़ने और हमारे युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने का आत्मविश्वास मिलेगा। कर्ज की सीमा 5 करोड़ से 10 करोड़ कर 1.5 लाख करोड़ के आवंटन से इस क्षेत्र के उद्योगों के लिए उत्पादन और वितरण में निश्चित रूप से आसानी होगी। एमएसएमई को विदेशों में शुल्क में सहायता मिलेगी। स्टार्टअप के लिए लोन 10 करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए किया जाएगा। गारंटी फीस में भी कमी होगी। भारत को चीन के समानांतर खिलौने का सबसे बड़ा हब बनाने का लक्ष्य पहली बार बजट में है। खिलौना उद्योग के लिए मेक इन इंडिया के तहत विशेष योजना शुरू की जाएगी, नेशनल एक्शन प्लान बनाया जाएगा। इसके बाद लिए स्किल और विनिर्माण के लिए इको सिस्टम बनाया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना- ‘भारत ट्रेड नेट’ (BTN) की स्थापना की जाएगी, जो व्यापार दस्तावेजीकरण और वित्तपोषण समाधान के लिए एक एकीकृत मंच होगा इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप बनाया जाएगा।

स्वाभाविक रूप से बजट में ऊर्जा क्षेत्र में सुधारो की दृष्टि से भी काफी प्रस्ताव है। विकसित भारत की दृष्टि से 2047 तक कम से कम 100 गीगावॉट परमाणु नाभिकीय ऊर्जा के विकास का के लक्ष्य की दृष्टि से निजी क्षेत्र और साधनी क्षेत्र दोनों के लिए योजनाएं घोषित है। परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधन किए जाएंगे।

इस तरह के अनेक पहलू बजट में है जो हमारे आपको अपने देश के प्रति आत्मविश्वास पैदा करने के साथ योगदान देने की आर्थिक वित्तीय ठोस भागीदारी दे सकता है। कोई भी बजट आलोचनाओं से परे नहीं है और इनमें भी ऐसे बिंदु निकाले जा सकते हैं। कुल मिलाकर यह भारत को भारत के अनुरूप समग्र और प्रेरक विकास की दृष्टि वाले बजट का ही अगला पड़ाव है जिसमें हमारे आपके सबके लिए आर्थिक दृष्टि से योगदान देने की भूमिका निभाने के कदम उठाने की कोशिश है।

स्रोत: बजट, आयकर, नरेंद्र मोदी, निर्मला सीतारमण, किसान, Budget, Income Tax, Narendra Modi, Nirmala Sitharaman, Farmers,
Tags: BudgetfarmersIncome TaxNarendra ModiNirmala Sitharamanआयकरकिसाननरेंद्र मोदीनिर्मला सीतारमणबजट
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