केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को बजट पेश किया। लंबे समय से अपने लिए कुछ सरकारी प्रावधानों का इंतजार कर रहे मध्यम वर्ग को भारी सौगात दी गई है। मोदी सरकार ने मध्यम वर्ग को भारी राहत देते हुए 12 लाख रुपए की सालाना आय पर इनकम टैक्स को माफ कर दिया है। बजट में सरकार ने गिग वर्कर्स के लिए भी लिए भी कई बड़े ऐलान किए हैं। वहीं, हर क्षेत्र में पिछड़े बिहार को भी कई परियोजनाएँ दी गई हैं। इनमें मखाना बोर्ड का गठन, खाद्य प्रसंस्करण संस्थान, एयरपोर्ट, IIT पटना का विस्तार, कोसी नहर परियोजना, भगवान बुद्ध के स्थान का विकास आदि शामिल हैं। मोदी सरकार के साल 2025 के बजट की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। हालाँकि, विपक्ष इसे आने वाले बिहार विधानसभा चुनावों से जोड़ने की कोशिश कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि चुनाव देखकर सरकार बिहार पर केंद्रित बजट तैयार किया है।
हालाँकि, विपक्ष कुछ भी कहे लेकिन बिहार को लंबे इंतजार का सामना करना है। विपक्ष ये नहीं देख रहा है कि मध्यम वर्ग को दी गई राहत सिर्फ बिहार के लोगों के लिए, बल्कि पूरे देश के मध्यम वर्ग के लिए हैं। इससे भी बड़ी बात है असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए सरकार द्वारा किया जाने वाला सामाजिक सुरक्षा का कार्य। मोदी सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। संभवत: गरीबों के लिए हर समय सोचने वाली मोदी सरकार के अलावा किसी दूसरी सरकार का इस पर ध्यान गया भी नहीं होता।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में फूड डिलीवरी, कैब चालक, फ्रीलांसर, लॉजिस्टिक्स, फ्रीलांस डिजाइनर, कंटेंट क्रिएटर्स, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स आदि श्रमिकों के लिए एक महत्वपूर्ण ऐलान किया है। मोदी सरकार ने ऐलान किया कि गिग और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कर्मचारी प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के माध्यम से स्वास्थ्य बीमा के हकदार होंगे। इसके अलावा, उन्हें पहचान पत्र और ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण किया जाएगा। सरकार ने गिग वर्कर्स के लिए पंजीकरण कराने की बात कही है। इसके साथ ही अब फूड डिलीवरी बॉय को सरकारी बीमा कवर का लाभ भी दिया जाएगा। इससे लगभग एक करोड़ गिग वर्कर्स को सीधे फायदा मिलेगा।
गिग वर्कर्स (Gig Workers) वो लोग होते हैं, जिन्हें उनके काम बदले भुगतान किया जाता है। एक तरह से दिहाड़ी मजदूर जैसे। ऐसे कर्मचारी कंपनी के साथ लंबे समय तक भी जुड़े तो रहते हैं, लेकिन स्थायी कर्मचारियों की सुविधाएँ एवं फायदे इन्हें नहीं मिलते हैं। इन्हें काम के बदले रकम या कमीशन आदि मिलती है। गिग वर्कर्स में स्वतंत्र रूप से ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए काम करने वाले कर्मचारी, ठेका कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी, कॉल पर काम के लिए उपलब्ध कर्मचारी और अस्थायी कर्मचारी शामिल होते हैं। देश में ऐसे कर्मचारियों की संख्या लगभग 1 करोड़ है। इनमें डिलीवरी बॉय को लेकर सरकार ने विशेष प्रावधान किए हैं।
दरअसल, ग्राहकों के सामान को उनके घर तक जल्दी-से-जल्दी पहुँचाने वाले डिलीवरी बॉय के लिए ये बहुत बड़ी राहत है। अभी डिलीवरी बॉय को कोई दुर्घटना होती थी तो उन्हें सरकार की ओर से कोई बीमा कवर नहीं मिलता था। हालाँकि, ये डिलीवरी बॉय को डिलीवरी कंपनियां बीमा का विकल्प देती हैं। अगर कोई डिलीवरी बॉय अपना बीमा करवाना चाहता है तो उसे कंपनी को एक निर्धारित राशि जमा करनी पड़ती है। कई कंपनियाँ तो एक बार में 1500 रुपए तक लेती हैं। इस बीमा कवर को लेने के बाद अगर डिलीवरी बॉय के साथ कोई दुर्घटना होती है तो कंपनी उसका इलाज करवाती है।
दरअसल, इन गिग वर्कर्स के पंजीकरण कराने से इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों की सही संख्या का पता चला चलेगा और इससे सरकार को उनके हित से जुड़ी नीतियाँ बनाने में मदद मिलेगी। बजट के दौरान सरकार का यह निर्णय एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। क्रांतिकारी कदम इसलिए कहना पड़ रहा है, क्योंकि ये वही डिलीवरी पर्सन हैं जिन्होंने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में इन्हीं कोरोना योद्धाओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर घर-घर जाकर लोगों की जरूरतों का सामान पहुँचाया था। खाना हो या दवा, मास्क हो या अन्य जरूरी चीजें डिलीवरी बॉय ने बिना रूके, बिने थके निरंतर काम किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ डिलीवरी बॉय्ज की जमकर तारीफ की थी और उन्हें कोरोना योद्धा बताया था। लॉकडाउन को सफल बनाने में डिलीवरी बॉय की अहम भूमिका रही है। आखिरकार सरकार ने उनकी सुध ली और उनके लिए बीमा जैसी महत्वपूर्ण एवं बुनियादी जरूरत का प्रावधान करने की घोषणा की है।