छत्तीसगढ़ में कांग्रेस राज के दौरान हुए 2,161 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले पर आखिरकार शिकंजा कसना शुरू हो गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के ठिकानों पर छापेमारी(Raid) की। यह वही घोटाला है, जिसने कांग्रेस शासन की पोल खोल दी थी, लेकिन तब इसे दबाने की पूरी कोशिश की गई थी।
भिलाई में चैतन्य बघेल के साथ-साथ उनके करीबी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल और अन्य सहयोगियों के परिसरों पर भी छापे मारे गए। ईडी की इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार सिर्फ एक अपवाद नहीं, बल्कि एक पैटर्न था। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत हो रही यह जांच कांग्रेस के उस मॉडल को उजागर कर रही है, जिसमें सत्ता का उपयोग सिर्फ भ्रष्टाचार और लूट के लिए किया गया।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या भूपेश बघेल इस घोटाले से बच पाएंगे, या फिर उनके करीबी साथियों की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस का एक और ‘भ्रष्टाचार गाथा’ सामने आएगी?
छापेमारी के दौरान क्या क्या मिला
ईडी की छापेमारी में भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के ठिकानों से कई चौंकाने वाले सबूत सामने आ रहे हैं। इस कार्रवाई के दौरान अधिकारियों ने बड़ी मात्रा में अहम दस्तावेज जब्त किए हैं, जिनमें वित्तीय लेन-देन से जुड़े महत्वपूर्ण रिकॉर्ड शामिल हैं। जांच एजेंसी ने छह मोबाइल फोन और कई सिम कार्ड बरामद किए हैं, जिनकी बातचीत की डिटेल्स खंगाली जा रही हैं। सूत्रों की मानें तो इन डिवाइसेस में ऐसे सुराग मिल सकते हैं, जो घोटाले के नेटवर्क को और स्पष्ट कर सकते हैं।
कार्रवाई के दौरान नकदी मिलने की संभावना को देखते हुए ईडी ने बैंक अधिकारियों को बुलाकर नोट गिनने की मशीनें मंगवाईं। इससे यह संकेत मिलता है कि बघेल परिवार के पास बेहिसाब नकदी का जखीरा हो सकता है, जो इस घोटाले की गहराई को और उजागर करता है। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी रकम आखिर कहां से आई और किस उद्देश्य से इसे छिपाकर रखा गया था? यह पूरी जांच इस बात पर केंद्रित होती जा रही है कि इस पैसे की उत्पत्ति कहां से हुई और इसके पीछे कौन-कौन लोग शामिल हैं।
ईडी ने इस छापेमारी में चैतन्य बघेल से जुड़े परिसरों से भी कुछ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और दस्तावेज जब्त किए हैं, जिससे उनकी संलिप्तता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसी के पास उनके खिलाफ ठोस सबूत हैं, और जल्द ही उनसे पूछताछ की जा सकती है। इस बात की संभावना है कि आज ही पूछताछ का पहला दौर शुरू हो जाए, जिससे यह पता चले कि इस घोटाले में कौन-कौन से बड़े नाम शामिल हैं और इसके तार कितने दूर तक फैले हुए हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए ईडी ने छत्तीसगढ़ में अन्य 14 स्थानों पर भी छापेमारी की है। यह जांच इस बात की ओर इशारा कर रही है कि घोटाले का नेटवर्क राज्य के बाहर तक फैला हो सकता है। ईडी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि उन्हें कई पुख्ता सबूत मिले हैं, जो सीधे चैतन्य बघेल और उनके संपर्कों तक पहुंचते हैं। इस कार्रवाई के जरिए एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस भ्रष्टाचार के पीछे कौन-कौन सी ताकतें काम कर रही थीं और इसका मास्टरमाइंड कौन है।
भूपेश बघेल और उनके परिवार पर शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। यह छापेमारी इस बात का स्पष्ट संकेत देती है कि कांग्रेस सरकार के दौरान सत्ता का किस तरह दुरुपयोग किया गया और किस तरह से जनता के पैसे का गबन हुआ। अब बड़ा सवाल यह है कि इस घोटाले की पूरी परतें कब तक खुलेंगी और इसमें और कौन-कौन चेहरे बेनकाब होंगे।
भ्रष्टाचार पर कार्रवाई से बौखलाहट
एक तरफ जहां ईडी की छापेमारी हो रही वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने इसको लेकर जोरदार हंगामा किया है। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्ष ने प्रश्नकाल के दौरान ईडी की कार्रवाई का मुद्दा उठाया और सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश की। कांग्रेस विधायकों का आरोप था कि केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।
हंगामे के दौरान कांग्रेस विधायक उमेश पटेल और अन्य नेताओं ने भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। उनका कहना था कि सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है और राजनीतिक द्वेष के कारण विरोधियों को निशाना बनाया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील करते हुए कांग्रेस विधायकों से शून्यकाल में अपनी बात रखने को कहा, लेकिन वे नारेबाजी करते रहे। स्थिति बेकाबू होती देख कांग्रेस विधायक आसन के समक्ष आ गए, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई। नियमों के तहत अध्यक्ष ने हंगामा कर रहे कांग्रेस विधायकों को निलंबित कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सदन में मौजूद नहीं थे।
कांग्रेस का यह आक्रामक रुख यह संकेत देता है कि ईडी की कार्रवाई से पार्टी बौखलाई हुई है। जिस 2,161 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले की जांच चल रही है, उसमें ईडी को कई अहम सुराग मिले हैं, जिससे कांग्रेस की परेशानी और बढ़ गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस इस हंगामे के जरिए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है?