बीते कुछ महीनों में पति-पत्नी के बीच हिंसक घटनाएं और एक-दूसरे की जान लेने की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक अध्ययन के अनुसार, हर साल दुनिया भर में करीब 50000 महिलाएं और लड़कियां हत्या का शिकार बनती हैं। इनमें से करीब 60% मामलों में हत्यारा महिलाओं का पति, प्रेमी या कोई करीबी रिश्तेदार होता है। हाल ही में भारत में हुए एक रिसर्च से पता चला है कि हर साल करीब 275 पुरुष अपनी पत्नियों के हाथों मारे जाते हैं। वहीं, 225 महिलाएं अपने पतियों द्वारा हत्या का शिकार बनती हैं। इस अपराध को लेकर सामने आए आंकड़े हैरान करने वाले हैं।
यूं तो भारत की जनसंख्या करीब 1.4 अरब है। इतनी बड़ी आबादी में हर दिन, हर महीने और हर साल कई अपराध होते हैं। लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी हैं जो लोगों का ध्यान खींचती हैं। पुराने जमाने में, जब टीवी, मोबाइल, इंटरनेट या सोशल मीडिया नहीं थे, तब भी पति-पत्नी के बीच छोटी-मोटी तकरार और बहस आम बात थी। लेकिन आज के झगड़े खतरनाक रूप ले रहे हैं।
अब प्रेमी जोड़ों और पति-पत्नी के बीच सिर्फ तीखी बहस नहीं होती, बल्कि अब ये रिश्ते ऐसी दुखद खबरों का हिस्सा बन रहे हैं, जिनकी हेडलाइन कुछ इस तरह होती है- “ड्रम में, फ्रिज में, प्रेशर कुकर में, सूटकेस में, दीवारों में, फर्श में, बिस्तर में पंखे में, जंगल में और टुकड़ों में मरे मिले।” इन घटनाओं की संख्या बीते कुछ महीनों में इतनी तेजी से बढ़ी है कि अब इन्हें ट्रैक करना या इन पर खबर लिखना मीडिया के लिए भी टफ टास्क बन गया है।
अपने पति को काट कर ड्रम में भरने वाली मुस्कान ने सौरभ से लव मैरिज की थी। सौरभ ने उसके लिए अपने परिवार से रिश्ता तोड़ लिया था और परिवार ने भी उसे नकार दिया था। लेकिन जब साहिल मुस्कान की जिंदगी में आया, तो हालात बदल गए। इसका नतीजा यह हुआ कि सौरभ की जान चली गई और उसका शव ड्रम में सीमेंट में दबा हुआ मिला। ऐसा सिर्फ एक मामला नहीं है।
औरैया की प्रगति ने भी अपने पति को मार डाला। उसके परिवार ने उसकी शादी एक अमीर कारोबारी दिलीप से तय की थी, जिसमें दोनों परिवारों और दंपति की सहमति थी। लेकिन शादी के महज 15 दिन बाद प्रगति, जो अनुराग नामक अपने गाँव के ही एक व्यक्ति से प्रेम करती थी, ने मुंह दिखाई के पैसों से एक सुपारी किलर को हायर किया और शादी के दो हफ्ते के भीतर अपने पति की हत्या करवा दी।
संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय (UNODC) की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में हर 11 मिनट में एक महिला या लड़की की हत्या हो रही है। हर दिन औसतन 140 महिलाएं या लड़कियां अपने घरों में मारी जा रही हैं। 25 नवंबर 2024 को जारी हुई ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में दुनिया भर में 51,100 महिलाओं और लड़कियों की हत्या हुई, जिनमें से करीब 60% मामलों में उनके पति, साथी या परिवार के लोगों ने हत्या की थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल 2022 में 48,800 महिलाओं और लड़कियों की हत्या हुई थी, जिनमें 60% से ज्यादा मामले उनके करीबी रिश्तेदारों से जुड़े थे। 2022 में अफ्रीका में ऐसे मामले सबसे अधिक थे। वहीं, एशिया नंबर 2 पर था, लेकिन साल 2023 में एशिया पहले स्थान पर पहुंच गया और अफ्रीका दूसरे स्थान पर रहा।
रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला आंकड़ा रिश्तों से जुड़ी हत्याओं में 58% शिकार महिलाएं या लड़कियां होती हैं। लेकिन एक बड़ा सच यह भी है कि 42% शिकार पुरुष होते हैं, जिससे लगता है कि इन अपराधों में लिंग के आधार पर अंतर उतना बड़ा नहीं है जितना पहली नजर में दिखता है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 60% महिलाओं की हत्याएं उनके मौजूदा या पुराने साथी द्वारा होती हैं। रिसर्च से यह भी पता चला है कि दुनियाभर में महिलाओं को अपने वर्तमान या पूर्व साथियों से हत्या का सबसे अधिक खतरा है। दूसरी ओर, पुरुषों की सिर्फ 6.5% हत्याएं उनकी मौजूदा या पुरानी महिला साथियों द्वारा की जाती हैं। यह रिसर्च -विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन और साउथ अफ्रीकन मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने मिलकर किया था।
भारत का राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) पति-पत्नी के बीच हत्याओं के सटीक आंकड़े नहीं देता, लेकिन यह प्रेम संबंधों और अफेयर से जुड़ी हत्याओं का रिकॉर्ड रखता है। साल 2022 का डेटा देखें तो एक डरावनी तस्वीर सामने आती है कि जिसमें दिखता है कि प्यार अब जान लेने का कारण बन रहा है। प्रेम और वैवाहिक रिश्तों से जुड़ी हत्याएं भारत में हत्या के तीसरे सबसे बड़े कारण हैं। आंकड़ों के हिसाब से, देश में हर 10 में से एक हत्या प्रेमी, पति या साथी द्वारा होती है।
NCRB के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 28,522 हत्या के मामले दर्ज हुए, जो 19 अलग-अलग कारणों से जुड़े थे। इनमें निजी दुश्मनी, धार्मिक या सांप्रदायिक तनाव, राजनीति, जादू-टोना, जातिगत विवाद और लूटपाट शामिल हैं। खास बात यह है कि प्यार, धोखा, बेवफाई और विवाहेतर संबंध हत्या के तीसरे सबसे बड़े कारण बने। कुल हत्याओं में से 2,821 मामले इन रिश्तों से जुड़े थे।
प्यार के नाम पर हत्या कोई नई बात नहीं है। इतिहास में भी रोमांटिक रिश्तों में लोग हिंसा करते रहे हैं। लेकिन 2010 के बाद से वैवाहिक झगड़ों, बेवफाई और अफेयर से जुड़ी हत्याओं में तेजी आई है। पिछले 15 साल के डेटा से साफ पता चलता है कि जैसे-जैसे सोशल मीडिया का चलन बढ़ा, वैसे-वैसे रिश्तों में हिंसा भी बढ़ी। 2010 से 2014 तक प्रेम और रिश्तों से जुड़ी हत्याएं 7-8% थीं, लेकिन 2015 से 2022 तक यह 10-11% तक पहुंच गईं, और यह सिलसिला थमता नहीं दिख रहा।
NCRB के मुताबिक, 2022 में देश में 17,924 आत्महत्याएं दर्ज हुईं। इनमें 8,204 लोगों ने वैवाहिक समस्याओं के चलते अपनी जान दी। 7,692 प्रेमी-प्रेमिकाओं ने असफल प्रेम के कारण आत्महत्या की। 855 आत्महत्याएं गैरकानूनी संबंधों से जुड़ी हुई थीं। NCRB के आंकड़ों के अलावा, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण बताता है कि 4% शादीशुदा महिलाएं अपने पतियों को शारीरिक नुकसान पहुंचाने की बात मानती हैं।
अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (IIPS) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नौकरी करने वाली और मोबाइल इस्तेमाल करने वाली महिलाओं के अपने पतियों से झगड़े की आशंका ज्यादा होती है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाएं अपने पतियों से ज्यादा बहस करती हैं, जबकि पुरुषों में यह उम्र के साथ कम होता जाता है।
IIPS की रिपोर्ट के अनुसार, एकल परिवारों में पति-पत्नी के बीच हिंसक झगड़े ज्यादा होते हैं। भारत में हर 1,000 में से 29 पति अपनी पत्नियों से हिंसा झेलते हैं। वहीं, 1,000 में से 32 महिलाएं पतियों की हिंसा झेलती हैं। इसके अलावा, 2022 में दर्ज हत्याओं में 220 मामले पतियों की हत्या के थे, जबकि 270 से ज्यादा मामले पत्नियों की हत्या के थे।
इन तमाम आंकड़ों को देखें तो यह समझ आता है कि जैसे-जैसे आधुनिकता बढ़ती जा रही है। वैसे-वैसे आधुनकिता की अंधी दौड़ में भाग रहे जोड़ों के बीच प्रेम में कमी आ रही है और हिंसक घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। बेशक यह न केवल एक परिवार के दृष्टिकोण से बेहद हानिकारक है बल्कि समाजिक और देश के स्तर पर भी गंभीर समस्या बनता जा रहा है।