देशभर में होली के त्योहार की धूम है, हर ओर उड़ता रंग और अबीर लोगों के हर्षोल्लास की गवाही दे रहा है। भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में धूम-धाम से होली का महोत्सव मनाया जा रहा है। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर गुरुवार को मथुरा में होली महोत्सव में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने होली के गीत गाए और भक्तों के साथ होली भी खेली। इस दौरान देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि देश में होली, दीपावली, जन्माष्टमी और नवरात्रि तब तक ही मनाई जा सकती हैं, जब तक इस देश में सनातनियों की संख्या सबसे अधिक है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह ‘होली मुबारक’ कहने के बजाय होली की शुभकामनाएं दें क्योंकि हमारी संस्कृति में शुभकामनाएं ही दी जाती हैं।
होली पर हिंदुओं से एकजुट होने की अपील
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने पाकिस्तान में बच्ची के साथ हुई घटना का ज़िक्र किया है। उन्होंने कहा, “ऐसा संदेश सुनने को मिला है। 14 वर्ष की बच्ची के साथ दो महीने तक पाकिस्तान में अत्याचार किया गया। अगर ऐसे ही अत्याचार बढ़ते रहे और हम लोगों ने आवाज उठाई तो मुझे नहीं लगता कि आने वाले समय में हम लोग होली मना पाएंगे।” उन्होंने आगे कहा, “मैं सभी से अपील करूंगा कि होली को बचाने के लिए एकजुट हो जाएं और इसलिए मैं सनातन बोर्ड बनाने की भी मांग करता हूं। हमारी यही कोशिश होगी कि अगली होली श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में धूमधाम के साथ मनाई जाए।”
‘होली पर ना करें नशा’
होली के पर्व पर देवकीनंदन ठाकुर ने लोगों से अपील की है कि यह त्योहार नशा करने या गुंडागर्दी करने का नहीं है। उन्होंने कहा कि इसलिए सभी लोगों को कसम खानी चाहिए कि किसी भी पर्व पर नशा नहीं करना चाहिए और जुआ भी नहीं खेलना चाहिए। गौरतलब है कि पिछले 8 दिनों से श्री प्रियाकांत जू मंदिर में होली खेली जा रही है। इस मंदिर में होली उत्सव की शुरुआत विश्व शांति प्रार्थना और श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ के साथ हुई थी।
देवकीनंदन का डर कितना सही?
अब देवकीनंदन ठाकुर के बयान को लेकर यह समझना ज़रूरी है कि क्या वाकई जो वो कह रहे हैं उस बात में गंभीरता है और अगर है तो यह बात कितनी गंभीर है। भारत में पिछले कुछ समय में हिंदुओं के धार्मिक आयोजनों पर हमलों की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। देवकीनंदन ठाकुर के बयान में जो डर नज़र आ रहा है वो दरअसल इन घटनाओं से ही जुड़ा हुआ है। वह रामनवमी हो, हनुमान जयंती हो या दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, हर साल देश में अलग-अलग जगहों पर ऐसे धार्मिक आयोजनों के दौरान धार्मिक उन्मादी हिंसा भड़का देते हैं। जिस पैटर्न में इन हमलों को अंजाम दिया जाता है, उससे लगता है कि यह केवल संयोग तो नहीं हो सकता कि जब-जब हिंदू समुदाय अपने धार्मिक आयोजन करे तब-तब ही हिंसा, विवाद या झड़प जैसी स्थिति बने या कहें तो बनाई जाए।
कुछ ही दिन पहले की बात है जब उत्तर प्रदेश के बरेली में हिंदू समुदाय के लोगों पर जानलेवा हमला कर दिया गया था। हिंदू समुदायों के लोगों ने आरोप लगाया कि होली मनाने पर उन्हें लाशें बिछाने तक की धमकी दी गई। ऐसा ही नज़ारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में नज़र आया था, हिंदू छात्रों ने बीते 25 फरवरी को यूनिवर्सिटी प्रशासन से होली मिलन समारोह आयोजित करने की अनुमति मांगी जिसे सीधे शब्दों में नकार दिया गया। इसी AMU में दूसरे धर्मों के धार्मिक आयोजनों की अनुमित दे दी जाती है लेकिन हिंदुओं की त्योहार पर माहौल बिगड़ने की खतरा बन जाता है। हालांकि, विरोध प्रदर्शनों के बाद होली की इजाज़त दे दी गई है।
होली के दौरान माहौल बिगाड़ने की घटनाओं का ऐसी ही पैटर्न पिछले साल भी नज़र आया था। पिछले वर्ष होली के बाद मध्य प्रदेश में जब एक लड़की ने रंग धोने के लिए पानी मांगा तो एक मुस्लिम शख्स ने उसके ऊपर खौलता हुआ पानी डाल दिया। तेलंगाना में पिछले साल ही बस्ती में डीजे बजाकर होली मना रहे हिंदुओं पर मुस्लिम भीड़ ने हमला कर दिया। वजह बताई गई कि मुस्लिम इसलिए नाराज़ हो गई थी कि हिंदुओं ने डीजे बजा दिया था। 25 मार्च 2024 की जागरण की एक रिपोर्ट बताती है कि आगरा में होली खेलते लोगों पर अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों ने हमला बोल दिया। इस दौरान जमकर मारपीट और घरों पर पथराव भी किया गया। इस रिपोर्ट में आरोप है कि अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों ने इस दौरान पाकिस्तान के नारे भी लगाए। पिछले साल AMU में भी होली के दौरान हंगामा किया गया था। वहां होली खेल रहे छात्रों को एक धर्म विशेष के छात्रों ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था।
हिंदुओं के त्योहारों पर हमले की घटनाएं हर साल होती रही हैं और इनकी तीव्रता साल दर साल बढ़ी ही है। 2023 में भी होली पर हमले से जुड़ी कई घटनाएं सामने आई थीं। 2023 में मेरठ में होलिका दहन के लिए चंदा मांग रहे हिंदू युवकों पर धर्म विशेष के लोगों ने हमला कर दिया। त्योहारों को जहां आपसी भाईचारे, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है, वहां 2023 में मुरादाबाद में एक इमाम ने होली पर दंगा करने की धमकी दी थी। 2023 में ही राजस्थान के बीकानेर, हैदराबाद, तेलंगाना और बिहार के बेगूसराय समते कई जगहों पर हिंदुओं पर हमले की घटनाएं हुई थीं। देवकीनंदन ठाकुर के बयान को अब इन घटनाओं से जोड़कर देखेंगे तो समझ आएगा कि उनका डर बेकार तो नहीं है। तय पैटर्न के तहत हिंदुओं के मन में उनके त्योहार ना मनाने को लेकर डर पैदा करने की कोशिशें की जा रही हैं।
क्या है इस आक्रामकता की वजह?
इस आक्रामकता की सबसे बड़ी वजह अपनी पहचान को लेकर एक वर्ग का असुरक्षित महसूस करना है। एक वर्ग विशेष का ना केवल अपनी धार्मिक यात्राओं बल्कि दूसरे धर्मों की यात्राओं के दौरान भी उग्र व्यवहार देखने को मिलता है। उस वर्ग के लिए धर्म एक व्यक्तिगत आस्था से ज़्यादा अस्मिता को प्रदर्शित करने और दूसरों पर प्रभाव जमाने का तरीका है। यह समस्या धार्मिक ना होकर आइडेंटिटी क्राइसिस यानी पहचान के संकट से जुड़ी हुई है। जब किसी वर्ग को अपनी जड़ों पर संदेह होने लगे या उसे अपनी पहचान को लेकर असुरक्षा महसूस होने लगे, तो वह इसे आक्रामकता और दिखावे से छिपाने की कोशिश करता है। ऐसे ही लोग दूसरों के धार्मिक आयोजन पर हमला करते हैं, पत्थरबाज़ी करते हैं और फिर दंगे-फसाद की स्थिति पैदा करने की कोशिश करते हैं।