पश्चिम बंगाल से सामने आ रही भीषण हिंसा की घटनाओं के बीच भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने बड़ा कदम उठाया है। पुरुलिया से BJP सांसद महतो ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि राज्य के सीमावर्ती जिलों को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करते हुए वहां सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम यानी AFSPA लागू किया जाए।
महतो ने अपने पत्र में राज्य सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि मुर्शिदाबाद, मालदा, नदिया और दक्षिण 24 परगना जैसे जिलों में लगातार हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की सरकार तुष्टिकरण की राजनीति में इतनी लिप्त है कि उसने इन हमलों के खिलाफ आंखें मूंद रखी हैं।
महतो का गंभीर दावा और चेतावनी
सांसद ज्योतिर्मय महतो ने अपने पत्र में हालिया हिंसा का दर्दनाक विवरण साझा करते हुए कहा कि मुर्शिदाबाद जिले में 86 से अधिक हिंदू परिवारों के घरों और दुकानों को या तो लूट लिया गया या पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि हरगोबिंदो दास नामक एक व्यक्ति और उसके बेटे समेत कई हिंदुओं की बेरहमी से हत्या कर दी गई। झाउबोना गांव में पान के बागानों को भी आग के हवाले कर दिया गया जिससे स्थानीय ग्रामीणों की आजीविका पर सीधा प्रहार हुआ है।
महतो ने कहा कि सिर्फ एक जिला नहीं, बल्कि अन्य सीमावर्ती इलाके भी अशांति और दहशत के माहौल में डूबे हैं। वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर फैली हिंसा का उल्लेख करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि उग्र भीड़ ने न सिर्फ हिंदुओं के घरों और सार्वजनिक संपत्तियों पर हमला किया, बल्कि पुलिस बल तक को निशाना बनाया गया।
उन्होंने इस स्थिति को राज्य की “प्रशासनिक विफलता” करार देते हुए कहा कि जब कलकत्ता हाई कोर्ट को खुद हस्तक्षेप कर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की तैनाती का आदेश देना पड़ा, तो इससे साफ जाहिर होता है कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था संभालने में पूरी तरह असफल रही है। सबसे गंभीर बात यह कि महतो ने इस माहौल की तुलना 1990 के कश्मीरी पंडितों के पलायन से करते हुए आगाह किया कि यदि समय रहते निर्णायक कदम नहीं उठाए गए, तो बंगाल भी वैसी ही त्रासदी की ओर बढ़ सकता है। उन्होंने अपने पत्र के अंत में लिखा, “मैं आपसे बहुत सम्मानपूर्वक आग्रह करता हूं कि पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में अविलंब AFSPA लागू किया जाए, ताकि राष्ट्रविरोधी ताकतों पर कठोर प्रहार किया जा सके।”
क्या है AFSPA और क्यों है यह ज़रूरी?
सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम यानी AFSPA एक महत्वपूर्ण संसदीय कानून है, जो भारतीय सेना, राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों को उन क्षेत्रों में विशेष अधिकार देता है जिन्हें “अशांत क्षेत्र” घोषित किया गया हो। इस अधिनियम का मकसद स्पष्ट है देश की अखंडता को खतरे में डालने वाली ताक़तों से सख्ती से निपटना और ऐसे इलाकों में कानून-व्यवस्था बहाल रखना, जहां हिंसा, उग्रवाद या आतंकी गतिविधियों का बोलबाला हो।
AFSPA के तहत सुरक्षाबलों को बिना वारंट तलाशी लेने, संदिग्धों को गिरफ्तार करने और आत्मरक्षा में आवश्यक बल प्रयोग करने की कानूनी छूट प्राप्त होती है। ये शक्तियां खासतौर पर उन इलाकों में दी जाती हैं जहां सामान्य कानून व्यवस्था तंत्र बिखर चुका होता है और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सशस्त्र हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है।
यह कानून सबसे पहले 11 सितंबर 1958 को भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में लागू किया गया था, जहां उग्रवाद तेजी से पैर पसार रहा था। बाद में, 1990 में इसे जम्मू-कश्मीर में भी लागू किया गया, जब वहां आतंकी गतिविधियों ने गंभीर रूप ले लिया था। अब जब बंगाल के सीमावर्ती ज़िलों में भी लगातार हिंदू समुदाय पर हमले हो रहे हैं और राज्य प्रशासन मूक दर्शक बना बैठा है, ऐसे में सांसद महतो की यह मांग कि इन क्षेत्रों को AFSPA के तहत लाया जाए सिर्फ राजनीतिक चेतावनी नहीं, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा की रक्षा के लिए उठाई गई एक निर्णायक आवाज़ है।