मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग ब्रेकथ्रू कार्यक्रम में शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने बाबा बौखनाग मंदिर में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी भाग लिया। मुख्यमंत्री विशेष रूप से देहरादून स्थित अपने आवास से पूजा सामग्री और भेंट लेकर कार्यक्रम स्थल पहुंचे। सीएम धामी ने सुरंग में फंसे श्रमिकों के रेस्क्यू के दौरान सिलक्यारा में डेरा डालकर लगातार अभियान की निगरानी और दिशा-निर्देशन किया था। सीएम धामी उस समय बाबा बौखनाग से यह संकल्प लिया था कि यदि सभी श्रमिक सकुशल बाहर आ जाते हैं, तो उस स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा। बुधवार को मुख्यमंत्री ने उसी संकल्प की पूर्ति करते हुए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लिया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ऐलान किया कि अब सिलक्यारा टनल को ‘बाबा बौखनाग सुरंग’ के नाम से जाना जाएगा। यह टनल चारधाम यात्रा मार्ग का हिस्सा है, जिससे भविष्य में तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को काफी लाभ होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुरंग न केवल उत्तराखंड के लिए एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह उस आस्था और विश्वास का प्रतीक भी है, जिससे यह पूरा रेस्क्यू अभियान जुड़ा हुआ था।
चारधाम यात्रियों को मिलेगी बेहतर सुविधा
सिलक्यारा सुरंग का निर्माण जहां एक ओर तकनीकी रूप से बड़ी उपलब्धि है, वहीं दूसरी ओर यह श्रद्धालुओं की यात्रा को भी कहीं अधिक सरल और सुरक्षित बना रहा है। इस सुरंग के पूरा होने से चारधाम यात्रा मार्ग पर चलने वाले तीर्थयात्रियों को अब 40 किलोमीटर की घुमावदार और समय लेने वाली दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी।
अब यह सफर कुछ ही किलोमीटर में सिमट जाएगा, जिससे डेढ़ से दो घंटे की यात्रा महज़ 5 से 10 मिनट में पूरी हो सकेगी। उत्तराखंड जैसे दुर्गम पर्वतीय राज्य में यह बदलाव केवल यात्रा का नहीं, बल्कि जीवन और आस्था को जोड़ने वाला पुल साबित होगा। करीब 1384 करोड़ रुपये की लागत से बन रही यह 4.531 किलोमीटर लंबी डबल लेन सुरंग गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी को भी लगभग 25 किलोमीटर तक घटा देगी। इससे न सिर्फ समय बचेगा, बल्कि पहाड़ी रास्तों में बार-बार आने वाली बाधाओं जैसे भूस्खलन, बारिश या ट्रैफिक जाम से भी राहत मिलेगी। यह सुरंग चारधाम यात्रा करने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक वरदान बनकर सामने आएगी, जिसमें सुविधा के साथ-साथ सुरक्षा और समय की भी पूरी चिंता की गई है।
सिलक्यारा टनल हादसा
12 नवंबर 2023 की सुबह, जब पूरा देश दीपावली की तैयारियों में मग्न था, उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले से एक खबर आई जिसने हर दिल को दहला दिया। सिलक्यारा सुरंग में अचानक भारी मलबा गिरने से सुरंग का एक हिस्सा लगभग 200 मीटर तक पूरी तरह से ब्लॉक हो गया। यह हादसा सुबह 4 बजे शुरू हुआ और साढ़े पांच बजे तक टनल से हर तरह की आवाजाही बंद हो चुकी थी।
जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि सुरंग के भीतर 40 श्रमिक फंसे हैं बाद में संख्या 41 बताई गई। बिना समय गंवाए, प्रशासन और आपदा राहत एजेंसियों ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया। जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, देशभर की निगाहें इस अभियान पर टिक गईं। 17 दिन तक चले इस संघर्ष के बाद, 28 नवंबर 2023 को दोपहर करीब 1:30 बजे वह ऐतिहासिक पल आया, जब रैट माइनर्स की टीम ने सुरंग के भीतर मलबा भेदने में सफलता हासिल की। यह भारत के इतिहास का सबसे लंबा और चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन बन गया। जैसे ही यह खबर बाहर आई, पूरे देश में राहत और खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
टनल के बाहर एंबुलेंस पहले से तैयार खड़ी थीं। जैसे ही श्रमिक एक-एक करके सुरंग से बाहर निकले, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह ने उनका फूलों की माला पहनाकर आत्मीय स्वागत किया। सभी मजदूरों को तुरंत चिकित्सा जांच के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।उत्तराखंड सरकार ने इस दौरान हर मजदूर के परिजनों को ₹1 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा भी की, जिससे परिवारों को तात्कालिक राहत मिल सके। इन 17 दिनों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस मिशन पर नज़र बनाए हुए थे। जैसे ही सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकले और अस्पताल पहुंचकर भोजन एवं इलाज प्राप्त किया, प्रधानमंत्री ने टेलीफोन पर सीधे उनकी कुशलक्षेम जानी। यह सिर्फ एक रेस्क्यू नहीं था, बल्कि एक ऐसा मिशन था जिसमें हर भारतीय की दुआ, सरकार की तत्परता और जमीनी हौसले की मिसाल छिपी थी।