Pahalgam Attack Update: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों को जान चली गई। अब इसके खिलाफ दुनियाभर में आवाज उठने लगी है। कई देशों के राष्ट्र प्रमुखों ने भारत के साथ खड़े होने की बात कही है। इस बीच अमेरिका में इस हमले को USA के खिलाफ बताया जाने लगा है। वहां जिहादी आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस से औपचारिक प्रस्ताव पास करने की अपील की गई है। ऐसा इसलिए भी की ये कोई पहले बार नहीं है जब इस तरह की साजिश के दौरान कोई अमेरिकी नेता भारत दौरे पर है। जेडी वेंस से पहले डोनाल्ड ट्रंप और बिल क्लिंटन की यात्रा के दौरान इस तरह की गतिविधि हो चुकी है।
कश्मीर के पहलगाम में हुए जिहादी आतंकी (Jammu Kashmir Pahalgam Attack) हमले को लेकर फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS On Pahalgam Attack) ने गहरी निंदा की है। संस्था ने अमेरिकी कांग्रेस से इस आतंकी हमले पर औपचारिक प्रस्ताव पास करने की अपील की है। FIIDS ने कहा है कि इस नरसंहार ने न केवल भारत बल्कि अमेरिका की भी गरिमा को चोट पहुंचाई है।
FIIDS का पाकिस्तान पर आरोप
FIIDS ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने नागरिकों पर भीषण हमला किया था। इसमें कम से कम 26 लोगों की मौत हुई। प्रारंभिक खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ है। रिपोर्ट के मुताबिक मारे गए अधिकांश लोग हिंदू थे, जिन्हें पहचान कर निशाना बनाया गया।
प्रस्ताव पास करने की अपील
FIIDS ने कहा कि यह हमला उस समय हुआ जब अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं। यह भारत-अमेरिका संबंधों को कमजोर करने की कायराना कोशिश है। संस्था ने 2000 में राष्ट्रपति क्लिंटन की यात्रा के दौरान छत्तीसिंहपुरा में हुए सिख नरसंहार की याद दिलाई, जहां 36 सिखों की हत्या कर दी गई थी। त्वरित निंदा के लिए FIIDS ने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से आभार जताया है। साथ ही कांग्रेस से अपील की है कि भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हुए आतंकवाद की निंदा का प्रस्ताव पास किया जाए।
USCIRF से चुप्पी तोड़ने की मांग
FIIDS के अध्यक्ष खंडेराव कांड ने कहा कि यह समय है कि दुनिया आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर निर्णायक कार्रवाई करें। उन देशों के खिलाफ भी एक्शन हो जो इन्हें पनाह देते हैं। संस्था के प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) से इस आतंकी हमले पर अपनी चुप्पी तोड़ना चाहिए। भारत में जिहादी आतंकवाद की स्पष्ट निंदा करनी चाहिए। यह वैश्विक आतंक के ढांचे को खत्म करने के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
कब-कब हुई है ऐसी साजिश?
जेडी वेंस की यात्रा: 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ। इसमें 26 लोगों की जान चली गई। इस समय अमेरिका के उप राष्ट्रपति JD Vance अपनी 4 दिवसीय भारत यात्रा पर हैं।
डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा: फरवरी 2020 में CAA के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। इस समय ट्रंप (Donald Trump)पहली आधिकारिक भारत यात्रा पर थे। हालांकि, इन प्रदर्शनों को आतंक से नहीं जोड़ा जा सकता लेकिन ये भारत की छवि के खिलाफ थे।
क्लिंटन की यात्रा: मार्च 2000 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (Bill Clinton)भारत की यात्रा पर थे। उसी समय जम्मू-कश्मीर के छत्तीसिंहपुरा गांव में 36 सिखों की हत्या कर दी गई थी। इसका आरोप पाक समर्थित लश्कर-ए-तैयबा पर लगा था।
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आखिर क्या है मकसद?
तीनों घटनाओं से साफ होता है कि यह केवल भारत पर हमला नहीं है। इन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति की यात्रा से जोड़कर देखा जाना चाहिए। जैसे ये FIIDS ने माना है कि ये अमेरिका के सम्मान (Pahalgam Attack Against America) के खिलाफ है। वैसे ही कई कई विश्लेषकों ने माना कि यह भी भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाने का एक प्रयास है। क्योंकि यह घटना एक हाई-प्रोफाइल विदेशी दौरे के समय हुई थी। ये दौरा भी भारत और अमेरिका को और अधिक करीब लाने के लिए हो रहा है। ऐसे में आतंकी चाहते हैं कि भारत को अस्थिर दिखाया जाए। खैर भारत में हुए हमले के बाद दुनियाभर की ताकतें आतंक खिलाफ खड़ी हो गई है।