Karnataka News: कुछ दिन पहले कर्नाटक के दावणगेरे में भीड़ के बीच मुस्लिम महिला द्वारा रहम की भीख मांगते एक महिला का वीडियो सामने आया था। भीड़ में कोई और नहीं इसी मजहब के कुछ लोग थे जो मजहबी न्याय करने पर उतारू थे। घटना को देखर तालिबानी हुकूमत याद आ जाती है। जहां भीड़ का फैसला ही कानून बन जाता है। इस घिनौनी घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन यह घटना समाज में कानून के समानांतर चलने वाली इस तालिबानी सजा और भीड़ के न्याय के खतरनाक चलन को उजागर किया है।
कर्नाटक (Karnataka) के दावणगेरे के तवरेकेरे गांव में एक 38 वर्षीय महिला के साथ भीड़ द्वारा की गई मारपीट की गई थी। घटना 7 अप्रैल को एक स्थानीय मस्जिद के बाहर हुई। यहां महिला को एक घरेलू विवाद के सिलसिले में बुलाया गया था। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
यहां से होती है शुरुआत
इस पूरे वाकये की शुरुआत होती है महिला के पति जमील से जो दो दिन पहले घर से बाहर था। उसी दौरान महिला की चचेरी बहन अपने दोस्त के साथ घर आती है। जब ये बात जमील को पता चलती है तो वह आग बबूला हो जाता है। उसके लिए सबसे बड़ी चिंता ये थी कि उसकी गैरहाजिरी में ‘गैर मर्द’ घर में कैसे आया? जमील इसे इस्लामिक कानून के खिलाफ मानता है। अगली सुबह उसने मस्जिद समिति में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद शबाना, नसरीन और फैयाज को मस्जिद में तलब किया गया।
जब तीनों मस्जिद पहुंचते हैं तो गांव में इंसाफ के नाम पर बर्बरता का शर्मनाक मंजर सामने आया। महिला वहां तक पहुंचती इससे पहले ही मस्जिद के बाहर उसे दरिंदों की भीड़ घेर लेती है। उसे मस्जिद के बाहर लाठियों, पाइपों से बेरहमी से पीटा गया। सबसे बड़ी बात की यहां मुस्लिम महिला की पिटाई मुस्लिम युवकों ने ही की है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ में से एक व्यक्ति ने तो दंपति पर पत्थर से जानलेवा हमला करने की भी कोशिश की।
वीडियो वायरल होने पर पुलिस का एक्शन
पुलिस को इस घटना की जानकारी तब हुई जब कथित घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने के बाद जब लोगों का गुस्सा फूटा, तो पुलिस हरकत में आई। पुलिस ने पीड़िता शबीना बानो से संपर्क किया। उसके बाद शबीना ने रविवार को छह लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर, पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की के तहत मामला दर्ज किया।
6 लोगों को किया गया गिरफ्तार
Davanagere Karnataka की पुलिस ने कार्रवाई करते हुए छह आरोपियों – मोहम्मद नियाज (32), मोहम्मद गौस पीर (45), चंद पीर (35), इनायत उल्लाह (51), दस्तगीर (24) और रसूल टीआर (42) को गिरफ्तार कर लिया। रविवार को उन्हें कलासा जेएमएफसी अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आगे की जांच जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस हमले में और कितने लोग शामिल थे या क्या यह हमला सुनियोजित था।
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गंभीर सवाल खड़े करती है घटना
– क्या किसी विवाद में मस्जिद को इस तरह का फरमान जारी करने का अधिकार है?
– क्या भीड़ को कानून अपने हाथ में लेने और किसी पर भी बर्बर हमला करने की छूट मिलनी चाहिए?
– आज भी समाज के कुछ वर्गों में कानून के प्रति भय और सम्मान की कमी है?
मानसिकता को जड़ से उखाड़ना चुनौती
सबसे डरावनी बात यह है कि Karnataka की हिंसा धर्म की आड़ में हुई। यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी बताती है कि जब मजहबी कट्टरता हावी होती है, तो इंसानियत किस तरह कुचली जाती है। सवाल उठता है – क्या भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में शरीयत की सजा सड़कों पर दी जाएगी? आज जरूरत सिर्फ न्याय की नहीं, एक ऐसी मिसाल की है जिससे भविष्य में कोई भी मजहब के नाम पर कानून हाथ में लेने की हिम्मत न कर सके। महिला की सार्वजनिक पिटाई का ये संविधान की आत्मा को झकझोर देने वाला है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।