देश में 8 अप्रैल से वक्फ (संशोधन) कानून 2025 लागू हो चुका है लेकिन मुस्लिमों का एक कट्टरपंथी धड़ा अभी भी इसे मानने को तैयार नहीं है। हालांकि, मुस्लिमों का बड़ा वर्ग मान रहा है कि यह कानून आम मुसलमानों के लिए फायदे की बात है लेकिन कट्टरपंथी जमात लगातार लोगों को भड़का रही है। बीते मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में इसे लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। इस कानून का विरोध कर रहे संगठनों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) प्रमुख है। AIMPLB ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और देशभर में इसके विरोध में प्रदर्शन करने का एलान भी कर दिया है। इस बीच AIMPLB के सचिव मौलाना उमरैन महफूज रहमानी ने ऐसी बातें कहीं हैं जिन्हें सीधे तौर पर मुस्लिमों को भड़काने की कोशिश माना जा रहा है।
उमरैन महफूज रहमानी ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के मालेगांव स्थित मस्जिद में बुधवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से एक बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में कई मुस्लिम मौलानाओं ने हिस्सा लिया और इस कानून का ज़ोरदार विरोध किया है। मौलाना उमरैन महफूज रहमानी ने इस बैठक के बारे में मीडिया से बातचीत करते हुए वक्फ संशोधन कानून से वक्फ की संपत्ति को खतरा बताया और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है। महफूज रहमानी का कहना है कि इस तरह के कानून को मौजूदा समय में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
महफूज रहमानी ने इसके बाद जो बातें कहीं वो मुस्लिमों को भड़काने वाली हैं। रहमानी ने कहा, “अगर सरकार को लगता है कि मुसलमान डरता है तो मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इस देश का मुसलमान किसी से डरना नहीं जानता है।” उन्होंने कहा कि मुसलमान वो कौम नहीं है जो आपकी धमकियों से डर जाएगी, धमकी उसे दीजिए जो डरना जानते हों। रहमानी ने कहा, “मुसलमान अपने आपको डर और खौफ से उठाकर अपना ऐतबार अल्लाह पर रखता है, इसलिए आप हमें नहीं डराएं। अगर आप हमें डराएंगे, तो मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आपकी गोलियां कम पड़ जाएंगी लेकिन हमारे सीने कम नहीं पड़ेंगे। हम कुर्बानी देंगे और अपनी मंजिलों तक पहुंचेंगे।”
इस बीच महफूज रहमानी ने वक्फ की मनमानी चलाने देने से जुड़े इस कानून के 1995 के संशोधनों का स्वागत किया लेकिन 2025 के संशोधनों का विरोध किया है। उनका कहना है कि इस कानून से कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं जिसके चलते वे इसका विरोध कर रहे हैं। मौलाना ने आगे कहा कि हम अदालतों का दरवाजा खटखटाएंगे लेकिन हमारे पास कई दूसरे विकल्प भी हैं जिनका इस्तेमाल भी हम आगे आने वाले दिनों में करेंगे।
कोर्ट के अलावा संसद के कानून को बदलने का AIMPLB के पास क्या विकल्प हो सकता है? क्या वे फिर एक बार देश को बंधक बनाने की सोच रहे हैं? जब AIMPLB खुद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चला गया है तो ऐसे में सड़कों पर हंगामा करना या लोगों को भड़काना किस हद तक सही हो सकता है? ऐसे कई सवाल हैं जो मौलाना रहमानी के बयान के बाद खड़े हुए हैं। हालांकि, मुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग यह भी मान रहा है कि इस कानून के बाद कुछ ठेकेदारों की दुकानें बंद हो जाएंगी जिससे वे लोगों को भड़काना चाहते हैं।