यूरोप इस समय इस्लामी कट्टरपंथ की चुनौतियों से जूझ रहा है जो ना केवल सुरक्षा बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता को भी चुनौती दे रही हैं। पूरे महाद्वीप में अलग-अलग जगहों पर इस्लामी चरमपंथ से प्रेरित हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं। युवाओं के बीच ऑनलाइन माध्यमों से कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने के प्रयास भी सामने आए हैं। ब्रिटेन ग्रूमिंग गैंग की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। इन सबके बीच ब्रिटेन के राजा किंग चार्ल्स द्वारा ईसाइयों के त्योहार ईस्टर के संदेश में इस्लाम और अन्य धर्मों का ज़िक्र किए जाने को लेकर उनकी तीखी आलोचना हो रही है। इससे पहले पिछले साल किंग चार्ल्स के क्रिसमस के संदेश को लेकर भी उनकी आलोचना हुई थी जिसमें उन्होंने सभी धर्मों को एक समान बताया था।
किंग चार्ल्स ने क्या कहा?
किंग चार्ल्स ने बीते 17 अप्रैल को ईस्टर का संदेश जारी किया था। उन्होंने इस संदेश में लिखा, “हमारी मानवता की एक पहेली यह है कि हम महान क्रूरता और महान दयालुता दोनों करने में कैसे सक्षम हैं। ‘मौंडी थर्सडे’ को यीशु ने घुटने टेके और उन लोगों के पैर धोए जो उन्हें छोड़ कर चले गए थे। उनका विनम्र कार्य उनके प्रेम का प्रतीक था जिसकी कोई सीमा नहीं थी और जो ईसाई विश्वास का केंद्र है।”
उन्होंने अपने संदेश में आगे लिखा, “पृथ्वी पर रहने के दौरान उन्होंने जो प्रेम प्रदर्शित किया, वह अजनबियों और जरूरतमंदों के प्रति देखभाल करने की यहूदी नैतिकता को प्रतिबिंबित करता है। यह एक गहरी मानवीय प्रवृत्ति है, जो इस्लाम और अन्य धार्मिक परंपराओं में प्रतिध्वनित होती है जो दूसरों की भलाई चाहते हैं। ऐसे तीन गुण हैं जिनकी संसार को अभी भी आवश्यकता है- विश्वास, आशा और प्रेम। और इनमें सबसे बड़ा है प्रेम।”
लोगों ने की किंग की आलोचना
ईस्टर के मौके पर अन्य धर्मों का ज़िक्र किया जाना लोगों को नागवार गुज़रा है जिसे लेकर वे किंग चार्ल्स की आलोचना कर रहे हैं। शाही परिवार का इतिहास लिखने वाले अलेक्जेंडर लैमन ने जीबी न्यूज़ से बात करते हुए राजा चार्ल्स के ईस्टर संदेश में अन्य धर्मों का उल्लेख करने के निर्णय पर सवाल उठाया है। लैमन ने कहा कि इस तरह के उल्लेख के लिए यह उचित समय और स्थान नहीं था और उन्होंने पारंपरिक ईसाई संदेश में यहूदी धर्म और इस्लाम को शामिल करने पर भी सवाल उठाए हैं।
लैमन के अलावा सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों ने किंग चार्ल्स की आलोचना की है। एक सोशल मीडिया यूज़र ने इसकी आलोचना करते हुए लिखा कि ‘यह कोई मज़ाक चल रहा है’। जबकि एक अन्य ने लिखा, “क्या वह चर्च ऑफ इंग्लैंड के मुखिया नहीं है? जब मेरे बेटे का जन्मदिन होता है तो मैं अपनी बेटी को भी जन्मदिन की शुभकामनाएं नहीं देता। ईस्टर को बस ईस्टर ही रहने दें।”
एक यूज़र ने तीखी आलोचना करते हुए लिखा, “किंग चार्ल्स-III ने ईस्टर संदेश जारी किया है जिसमें इस्लाम का अनुचित संदर्भ शामिल है। यह अपमानजनक है। चार्ल्स ‘आस्था के रक्षक’ के रूप में अपनी भूमिका की उपेक्षा कर रहे हैं।” एक अन्य यूज़र ने लिखा, “किंग प्रिंस चार्ल्स का ईस्टर संदेश इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए बेताब है। मुझे यकीन है कि दुनिया भर में इस्लामवादियों द्वारा मारे जा रहे ईसाई इसे सराहेंगे। उनके रमजान संदेश में ईसा मसीह का कोई जिक्र नहीं था।”